PM मोदी के हाथों उत्तर प्रदेश के ग्रामीणों को मिलेगी उनके मकानों के मालिकाना हक की सौगात
गाजीपुर न्यूज़ टीम, लखनऊ. देश की आजादी के 73 साल बाद उत्तर प्रदेश के गांवों के आबादी क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को उनके मकानों का मालिकाना हक मिलेगा। यह मुमकिन होगा केंद्र सरकार की स्वामित्व योजना के जरिये जिसके तहत गांवों के आबादी क्षेत्रों की संपत्तियों का सीमांकन किया जा रहा है। प्रदेश के ग्रामीणों को उनके मकानों के मालिकाना हक का दस्तावेज दिलाने की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों कराने की तैयारी जोरशोर से चल रही है। गांधी जयंती पर दो अक्टूबर को प्रधानमंत्री वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये उत्तर प्रदेश के 37 जिलों के 350 गांवों के निवासियों को उनके मकानों के स्वामित्व प्रमाणपत्र के तौर पर ग्रामीण आवासीय अभिलेख (घरौनी) वितरित कर सकते हैं।
दरअसल, गांवों के लोगों के पास अपने खेतों के स्वामित्व को दर्शाने वाले दस्तावेज के तौर पर खतौनी तो होती है लेकिन जिन मकानों में वे पीढ़ियों से रहते आये हैं, उसके मालिकाना हक का उनके पास कोई अभिलेख नहीं होता है। संपत्तियों पर अतिक्रमण के कारण गांवों में आये दिन झगड़े-फसाद होते हैं। गांवों के आबादी क्षेत्र की संपत्तियों का सीमांकन करके ग्रामीणों को उनके मकानों पर उनके स्वामित्व को दर्शाती घरौनी मुहैया कराने के लिए 24 अप्रैल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वामित्व योजना का शुभारंभ किया था। योजना के तहत ड्रोन टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से गांवों के आबादी क्षेत्र की एरियल फोटोग्राफी कर उसमें निहित संपत्तियों का सीमांकन किया जा रहा है। सीमांकन के आधार पर ग्रामीणों को उनके मकानों की घरौनी मुहैया करायी जाएगी। घरौनी का एक फायदा यह होगा कि ग्रामीण अपने मकान के एवज में बैंक से लोन ले सकेंगे।
उत्तर प्रदेश में 1,08,937 राजस्व गांव हैं जिनमें स्वामित्व योजना के तहत ग्रामीण आबादी का सर्वेक्षण किया जाना है। इनमें से लगभग 82000 गांवों में आबादी क्षेत्र के सर्वेक्षण के लिए राज्य सरकार की ओर से अधिसूचना जारी की जा चुकी है। इस वित्तीय वर्ष में इनमें से तकरीबन 54000 गावों में आबादी क्षेत्र के सर्वेक्षण कार्य को पूरा करने का लक्ष्य है। फिलहाल जिन 37 जिलों के ग्रामीणों को घरौनी वितरित की जानी है, उनके 346 गांवों में आबादी सर्वेक्षण का काम पूरा हो चुका है।
इन जिलों के ग्रामीणों को मिलेगी घरौनी : गोरखपुर, वाराणसी, फतेहपुर, गोंडा, गाजीपुर, देवरिया, चंदौली, चित्रकूट, बहराइच, बस्ती, बाराबंकी, बांदा, बलरामपुर, बलिया, आजमगढ़, अयोध्या, अमेठी, अंबेडकरनगर, मऊ, हमीरपुर, जालौन, जौनपुर, झांसी, कौशांबी, कुशीनगर, ललितपुर, महाराजगंज, महोबा, मीरजापुर, प्रतापगढ़, प्रयागराज, संत रविदासनगर, संत कबीर नगर, श्रावस्ती, सिद्धार्थनगर, सोनभद्र और सुलतानपुर।
गांव के हर मकान का होगा यूनीक आइडी नंबर : स्वामित्व योजना के तहत गांवों के निवासियों को दिये जाने वाले ग्रामीण आवासीय अभिलेख (घरौनी) में हर मकान का यूनीक आइडी नंबर दर्ज होगा। यह आइडी नंबर 13 अंकों का होगा। इसमें पहले छह अंक गांव के कोड को दर्शाएंगे। अगले पांच अंक आबादी के प्लांट नंबर को दर्शाएंगे और आखिरी के दो अंक उसके संभावित विभाजन को दर्शाएंगे।
कैबिनेट से मंजूरी दिलाने की तैयारी : ग्रामीण आबादी के सर्वेक्षण कार्य और गांववासियों को घरौनी उपलब्ध कराने की प्रक्रिया को अमली जामा पहनाने के लिए राजस्व विभाग ने उत्तर प्रदेश आबादी सर्वेक्षण एवं अभिलेख संक्रिया विनियमावली, 2020 का ड्राफ्ट तैयार कर लिया है जिसे जल्द ही कैबिनेट से मंजूरी दिलाने की तैयारी है।
आबादी सर्वेक्षण के लिए नियमावली : आबादी सर्वेक्षण के लिए सबसे पहले गांव में चूने से मार्किंग करके संपत्तियों को अलग-अलग दर्शित किया जाएगा ताकि ड्रोन से फोटो खींचे जाने पर वे अलग-अलग दिखाई दें। ड्रोन फोटोग्राफी के आधार पर आबादी क्षेत्र का मानचित्र तैयार किया जाएगा और उसमें दर्शाये गए मकानों और अलग दर्शाये गए स्थानों की नंबरिंग की जाएगी। नंबरिंग के आधार पर प्रत्येक घर के गृह स्वामी का नाम लिखा जाएगा। यदि घर में संयुक्त रूप से कई भाई रहते हैं तो सभी के नाम और उनके हिस्से भी लिखे जाएंगे। इस तरह आबादी क्षेत्र के नक्शे के आधार पर गृह स्वामियों की सूची तैयार की जाएगी। सार्वजनिक भूमि, नाली, खड़ंजा, रास्ता, मंदिर, मस्जिद आदि के अलग-अलग नंबर दिये जाएंगे। आबादी क्षेत्र की संपत्तियों को नौ श्रेणियों में बांटा जाएगा। सर्वेक्षण के आधार पर तैयार की गई सूची गांव में प्रकाशित की जाएगी।
आपत्ति दर्ज कराने के लिए मिलेगा 15 दिन का समय : यदि सूची को लेकर किसी को कोई आपत्ति है तो उसे सूची के प्रकाशन से 15 दिनों के अंदर अपनी आपत्ति दर्ज करानी होगी। आपत्ति की सुनवाई संबंधित एसडीएम (सहायक अभिलेख अधिकारी) करेंगे। पक्षों के बीच सहमति बनने पर उसे दर्ज किया जाएगा और नहीं बनती है तो मामला लंबित रहेगा और सक्षम न्यायालय के आदेश के बाद निस्तारित होगा। जिन घरों पर कोई आपत्ति नहीं होगी या समझौता हो चुका होगा, उनके ग्रामीण आवासीय अभिलेखों को अंतिम रूप देते हुए जिलाधिकारी उन्हें ग्रामीणों को उपलब्ध कराएंगे।