वाराणसी के युवाओं का कमाल 'मिट्टी उगल रही मोती', PM मोदी भी हुए निहाल
गाजीपुर न्यूज़ टीम, वाराणसी. खेती- किसानी को लेकर सरकार का प्रयास रंग ला रहा है। किसानों की आय दोगुनी करने के वादे का रंग पढ़े लिखे युवाओं के सिर पर छा रहा है। कुछ ऐसा ही हो रहा बनारस में जहां युवाओं के हौसले से मिट्टी में मोती की फसल लहलहा रही।
कोरोना काल में घर लौटे प्रवासियों को राह दिखा रही है। चिरईगांव के नरायणपुुर में तीन युवाओं का यह प्रयास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संज्ञान में आया तो सोमवार को ट्वीट कर उन्होंने हौसला बढ़ाया। उन्होंने लिखा है - ''वाराणसी के नारायणपुर गांव में मोती की खेती करने वाले तीन युवाओं ने हर किसी के लिए एक मिसाल पेश की है. इन युवाओं ने यह दिखाया कि अगर सही दिशा में परिश्रम हो तो मिट्टी से मोती उगाए जा सकते हैं...।''
दरअसल, मोती की खेती करने वाले तीन युवाओं ने दिखाया कि अगर सही दिशा में परिश्रम हो तो मिट्टी से मोती उगाए जा सकते हैं। इनमें एक श्वेतांक व रोहित आनंद पाठक कहते हैैं बेहतर प्रयास हो तो खेती किसानी से आय दोगुनी ही नहीं इससे भी कहीं अधिक हो सकती है। इस पर विचार करते हुए मोती उत्पादन का ख्याल आया। ऐसे में नौकरी का विचार त्याग इस दिशा में कदम बढ़ाया और रास्ता बनता गया। खास यह कि इसमें पानी की टंकी समेत लगभग 40 हजार रुपये का खर्च आता है।
वहीं पीएम के द्वारा युवाओं के प्रयास की जानकारी सोशल मीडिया पर शेयर करने के बाद मोती की खेती करने वालों के यहां मंगलवार की सुबह मंत्री अनिल राजभर भी पहुंचे और युवाओं का हौसला भी बढ़ाया।
इस तरह बनाते हैं मोती
सीप के खोल में सावधानी पूर्वक चार से छह मिलीमीटर तक का सुराख किया जाता है। इसमें नाभिकानुमा धातु कण (मेटल टिश्यू) स्थापित किया जाता है। इसे इयोसिन नामक रसायन से सीप के बीचों बीच चिपका दिया जाता है और 18 माह तक जाल पर पानी में रखा जाता है जो सुंदर मोती बन कर तैयार हो जाता है। एक मोती के उत्पादन से लेकर बाजार तक पहुंचने में करीब 40 रुपए का खर्च आता है। मोती स्थानीय बाजार में 300 से लेकर 400 रुपये तक में बेची जाती है।