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पंचायत चुनाव 2020: दो बच्चों वाला आया कानून तो कई दावेदार होंगे बाहर

गाजीपुर न्यूज़ टीम, लखनऊ. पंचायत चुनाव की अधिकारिक घोषणा हुई है और न ही अभी दो बच्चों से अधिक पर चुनाव लड़ने से वंचित रहने का कानून आया है, लेकिन ग्राम पंचायतों के वर्तमान जनप्रतिनिधियों की धुकधुकी जरूर बढ़ गई है। कारण, कई वर्तमान प्रधान, बीडीसी व डीडीसी और संभावित प्रत्याशी निर्वाचन की रेस से पहले ही बाहर हो जाएंगे।
दरअसल, इस साल पंचायत चुनाव होने थे, लेकिन कोरोना संक्रमण आदि की वजह से कोई औपचारिक घोषणा नहीं हुई है। हालांकि निर्वाचन विभाग का दावा है कि तैयारी में देर नहीं लगेगी। सिर्फ वोटर सूची का पुनरीक्षण अभियान ही चलेगा। दूसरी ओर इन दिनों दो बच्चों से अधिक पर प्रत्याशियों के पंचायत चुनाव न लड़ने की बात कही जा रही है। इसको लेकर संभावित प्रत्याशी, मौजूद प्रधान, क्षेत्र पंचायत सदस्य, ग्राम पंचायत सदस्य व जिला पंचायत सदस्यों की धड़कने तेज हो गई हैं। अभी मसौदा तैयार होने की बात कही जा रही, विधेयक या कानून नहीं बना है। आगे अगर ऐसा नियम लागू हो गया तो जिले के 60-70 फीसदी प्रधान चुनाव लड़ने से वंचित हो जाएंगे। लागू होने के बाद इस कानून में ब्लॉक प्रमुख व जिला पंचायत अध्यक्ष भी दायरे में आ जाएंगे।

क्या कहते हैं जानकार
सहायक जिला निर्वाचन अधिकारी बिनीत कटियार ने बताया कि पंचायत चुनाव की वोटर लिस्ट के रिवीजन को पहले कहा गया था, लेकिन बाद में मामला टल गया। कई राज्यों में पहले से ही दो बच्चों से अधिक पर चुनाव न लड़ने का कानून लागू है। पंचायत चुनाव से पहले विधानसभा क्षेत्रों की मतदाता सूची का पुनरीक्षण अभियान चलेगा।

फंस सकता है पेस : 
चुनाव से पहले टू-चाइल्ड पॉलिसी पर भी बहस छिड़ गई। विशेषज्ञों की मानें तो ये आसान नहीं होगा। इसमें बड़े पेंच हैं। कैबिनेट प्रस्ताव लाना होगा। फिर संसद से प्रस्ताव पास करना होगा। पंचायतीराज एक्ट में संशोधन कराना होगा। यह एक लंबी प्रक्रिया है। ऐसे में इस बार पंचायत चुनाव में समय कम बचा है इसलिए ये सब हो पाना थोड़ा मुश्किल नजर आ रहा है।

दरअसल पंचायत में टू-चाइल्ड पॉलिसी की बहस ने 11 जुलाई के बाद तूल पकड़ा। 11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस के मौके पर केंद्रीय कृषि राज्यमंत्री संजीव बालियान ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखी। संजय बालियान ने मांग की थी कि यूपी के आगामी पंचायत चुनाव में उन्हीं को चुनाव लड़ने का अधिकार मिलना चाहिए, जिनको दो से ज्यादा बच्चे नहीं है। उन्होंने अपने पत्र उत्तराखंड राज्य में बने कानून का हवाला दिया। बलियान ने कहा है कि प्रदेश की बढ़ती जनसंख्या एक गंभीर समस्या है और इस बारे में एक समग्र नीति बनाने की जरूरत है.
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