मुख्तार अंसारी के शूटर राकेश पांडे एनकाउंटर केस: आयोग ने भेजा DGP को नोटिस
गाजीपुर न्यूज़ टीम, लखनऊ. जेल में बंद माफिया डॉन और विधायक मुख़्तार अंसारी के शूटर राकेश पांडे उर्फ हनुमान के एनकाउंटर पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने यूपी पुलिस के डीजीपी एचसी अवस्थी को नोटिस भेजकर जवाब तलब किया है. आयोग ने 6 हफ्ते में एनकाउंटर पर जवाब तलब किया है. बता दें यूपी एसटीएफ ने 9 अगस्त को राजधानी लखनऊ में राकेश पांडे को एनकाउंटर में मार गिराया था. मुख्तार के गैंग का सदस्य राकेश 1 लाख का इनामी था और बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय के हत्या आरोपियों में शामिल था.
लखनऊ आने के बाद...
बताते हैं कि जो भी शख्स राकेश पांडे को बचपन से जानता था, वो एक पल को यकीन नहीं कर पाता है कि एक दिन वो इतना बड़ा अपराधी बनेगा. यूपी के चर्चित हत्याकांड का मुख्य आरोपी बनेगा और उस पर हत्या, समेत कई मुकदमे अलग-अलग जिलों में दर्ज होंगे. जी हां सुनने में अजीब लगे लेकिन राकेश पांडे उर्फ हनुमान की कहानी कुछ ऐसी ही है. लखनऊ ने उसकी दिल में छिपी दबंगई की हसरत को मुकाम दिया. यहीं उसे मुन्ना बजरंगी का साथ मिला और फिर एक वक्त जब हमले के बाद मुन्ना बजरंगी का नाम जरायम की आग उगलती दुनिया में ठंडा पड़ा. तब मुख्तार का सिर पर हाथ पाने के बाद हनुमान का चेहरा बहुत तेजी से सुर्खियों में आया. मऊ जिले का कोपागंज थाना क्षेत्र गांव लिलारी भरौली का रहने वाला था राकेश पांडे. पिताजी बलदत्त पांडे सेना में थे. स्वभाव से पिताजी बहुत सख्त थे. घर में अनुशासित माहौल था. शायद इसीलिए स्वभाव से दबंग राकेश गांव में दसवीं तक की पढ़ाई करने के दौरान एक सीधा-साधा लड़का बनकर ही रहा. हाईस्कूल के बाद पॉलीटेक्निक करने के लिए राकेश पांडे लखनऊ चला गया. बस यहीं से राकेश की जिंदगी ने यू टर्न लिया.
ऐसे हुई अपराध की दुनिया में एंट्री
नवाबों के शहर ने राकेश के अंदर छिपी हनक को पूरा खुला आसमान ने दिया और कालेज से शुरू रंगबाजी धीरे-धीरे पूरे इलाके में नजर आने लगी. इसी दौरान लखनऊ में एक मर्डर होता है और उसमें राकेश पांडे का नाम आता है. यहीं से जुर्म की किताब में राकेश पांडे का न केवल नाम रजिस्टर्ड होता है बल्कि वो बाहुबलियों की नजर में भी आ जाता है. राकेश जेल चला जाता है. लेकिन इस केस के बाद भी जरायम की दुनिया में नाम से थर्राने वाली छवि राकेश पांडेय की नहीं बन पाती है. यहां तक कि उसके गांव वाले भी बहुत ज्यादा उसके बारे में नहीं जान पाते हैं.
ये बात साल करीब 1998 की है. दिल्ली में हुई एक मुठभेड़ में मुन्ना बजरंगी को कई राउंड गोलियां लगती है. जिसके बाद कहा जाता है कि मुन्ना बजरंगी बहुत दिनों तक अस्पताल में मरणासन्न हालत में रहा. इस वजह से पूर्वांचल समेत पूरे देश में मुन्ना बजरंगी के गिरोह की जमीन कमजोर हो गई. जब मुन्ना ठीक हुआ तो उसने फिर से अपने गिरोह को खड़ा करने की कोशिशें तेज की. उसे जुर्म की दुनिया में कुछ ऐसे नौजवान की तलाश थी कि जो शातिर भी हों और अच्छे शूटर भी. इसी वक्त अभय सिंह जेल में बंद राकेश पांडे की मुलाकात मुन्ना बजरंगी से कराता है. यहीं से राकेश पांडे को मिलता है मुन्ना बजरंगी का साथ. बजरंगी का साथ पाकर राकेश पांडेय ताबड़तोड़ कई वारदातों को अंजाम देकर चर्चा में आ जाता है.
मुख़्तार ने दिया था हनुमान नाम
कहा जाता है कि मुन्ना बजरंगी एक दिन राकेश की मुलाकात बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी से करवाता है. जेल में अधिक भोजन करने और राकेश की सेवा से खुश होकर मुख्तार ने ही राकेश पांडे को हनुमान नाम दिया. फिर आता है साल 29 नवंबर 2005 का दिन. गाजीपुर के मुहम्मदाबाद विधानसभा क्षेत्र के भांवरकोल ब्लॉक के सियाड़ी गांव में एक खेल प्रतियोगिता का उद्घाटन करने पहुंचे थे तत्कालीन मोहम्मदाबाद से भाजपा विधायक कृष्णानंद राय. उनके साथ कई सहयोगी भी थे. कार्यक्रम के बाद वह और उनके साथ के लोग एक काफिले में निकल पड़े. बासनिया छत्ती गांव से आगे बढ़ने पर एक गाड़ी अचानक उनके काफिले के आगे रुकी.
जब तक कोई कुछ समझ पाता गाड़ी से निकले सात-आठ लोगों ने विधायक कृष्णानंद राय की गाड़ी पर फायरिंग शुरू कर दी. चारो तरफ से हुई गोलियों की बौछार में गाड़ी में सवार सभी सातों लोग मारे गए थे. मरने वालों में विधायक कृष्णानंद राय, गनर निर्भय उपाध्याय, ड्राइवर मुन्ना यादव, रमेश राय, श्याम शंकर राय, अखिलेश राय और शेषनाथ सिंह शामिल थे. कहते हैं कि हमलावरों ने 6 एके-47 राइफलों से 400 से ज्यादा गोलियां चलाई थीं. मारे गए सातों लोगों के शरीर से 67 गोलियां बरामद की गईं. पूर्वांचल की ये पहली वारदात थी, जिसमें एके-47 का इस्तेमाल हुआ. इस हत्याकांड के आरोपियों में राकेश पांडे उर्फ हनुमान का नाम भी बाद में जोड़ा गया. बस यहीं से राकेश पांडे उर्फ हनुमान जुर्म की दुनिया का बड़ा नाम हो गया.