गाजीपुर: लहुरीकाशी आस्था के रंग में डूबी पुत्रों की दीर्घायु के लिए माताओं ने रखा जीवित्पुत्रिका व्रत
गाजीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर. जीवित्पुत्रिका के पर्व पर गुरुवार को लहुरीकाशी आस्था के रंग में डूबी रही। नगर सहित ग्रामीण क्षेत्रों में इस पर्व को कोरोना की वजह से एहतियात व कहीं लापरवाही के बीच श्रद्धापूर्वक मनाया गया। माताओं ने निर्जला व्रत रख कर पुत्रों की दीर्घायु की कामना की। शहर के गंगा घाटों पर महिलाओं की भारी भीड़ रही। व्रती महिलाओं ने देर शाम पूजन-अर्चन के बाद जीवित्पुत्रिका की कथा सुनी। बाजार में फलों सहित पूजन सामग्री की खरीदारी की काफी भीड़ रही।
नगर के ददरीघाट, कलेक्टर घाट, स्टीमर घाट, बड़ा महादेवा, आदि गंगा तटों पर व्रती महिलाओं के पहुंचने का सिलसिला दोपहर से शुरू हो गया। शाम होते ही गंगा घाटों पर भारी भीड़ जुट गई। स्नान के बाद श्रद्धालु महिलाओं ने पूजन-अर्चन शुरू कर दिया। पूजा स्थलों पर निराजल व्रती महिलाओं के साथ कथा सुनने वालों की भारी भीड़ रही। इस मौके पर व्रती महिलाओं ने कथा सुनी और पुत्र की लंबी आयु की कामना की। वहीं बाजारों में चढ़ावे के लिए फलों की खरीददारी में तेजी देखी गई।
गुलजार रहे गंगा घाट और तालाब
मुहम्मदाबाद : निराजल व्रत धारण करने के पश्चात माताएं शाम को गंगा तट या पोखरों किनारे पहुंचकर स्नान करने के पश्चात जीवित्पुत्रिका की पूजा कर उसे धारण किया। इस मौके पर बच्छलपुर, सेमरा, गौसपुर, सुल्तानपुर, बलुआ, हरिहरपुर, तिवारीपुर आदि जगहों पर स्नान के लिए काफी भीड़ रही। काफी संख्या में महिलाएं अपने निजी साधनों या भाड़े के वाहनों से गौसपुर गंगा तट पर पहुंचकर स्नान पूजन की। महिलाएं पूरी रात व्रत रहने के बाद दूसरे दिन निर्धारित समय पर पारण कर अन्न जल ग्रहण करेंगी, जिन बच्चों की मां नहीं है उनके पिता ने व्रत धारण किया। मलसा : जीवित्पुत्रिका व्रत पर महिलाओं ने अपने पुत्रों की मंगल कामनाहेतु विभिन्न मंदिरों में दर्शन पूजन किया। चंडी माता ढढनी, झारखंडे महादेव मंदिर भगीरथपुर, मेदनीपुर, ताड़ीघाट, देवरिया, मतसा आदि मंदिरों पर महिलाओं ने गंगा स्नान कर दर्शन पूजन किया । देवकली : क्षेत्रों में जीवित्पुत्रिका ब्रत के प्रथम दिन बुधवार को सायंकाल पुत्र के मंगल भविष्य के कामना को लेकर महिलाओं ने सरपुतिया खाकर व्रत की शुरुआत की। दूसरे दिन गुरुवार को निर्जला रहकर सायंकाल डीहबाबा के स्थान पर इकठ्ठा होकर पुत्र के दीर्घायु को लेकर पूजन अर्चन के साथ कथा सुनी।
संतान के साथ पशुपक्षी प्रेम का पर्व है जीवित्पुत्रिका
खानपुर : कोरोनाकाल में जिउतिया व्रती महिलाएं भारी समूह के बजाय घरों और देवालयों के आसपास पांच-सात की संख्या में सुबह सूर्योदय से पूर्व स्नान के बाद पूजा-पाठ की तैयारियों में जुट गई थीं। पूरा दिन निर्जला व्रत रखते हुए शाम को जीमूतवाहन की गोबर और कुशा से निíमत प्रतिमा को धूप-दीप, अक्षत, पुष्प, फल आदि अíपत करके पूजन स्थल पर सामूहिक रूप से कथा श्रवण किया। व्रती शिक्षिका सीमा यादव कहतीं है कि सनातन पर्व और परंपराओं में प्रकृति और पशु पक्षियों का पुत्र के समान महत्व रखा गया है। उन्हें जन सहयोगी मानकर समय समय पर उनके पूजन और संरक्षण की परंपरा भी है।