बदलेगा ट्रेन की बोगियों का डिजाइन और रंग, जानिए क्या हो रहा है बदलाव
गाजीपुर न्यूज़ टीम, गोरखपुर. रेलवे ट्रेनों की बोगियों में बदलाव करने जा रही है। अब बोगियां अब अंदर से आरामदेय तो होंगी ही, आंखों को सुकून भी देंगी। रेलवे ने बोगियों के अंदर के यात्री सुविधाओं को बढ़ाने के साथ ही रंगों में भी बदलाव की तैयारी शुरू कर दी है। कुछ औपचारिकताओं के बाद जल्द ही अंदरूनी दीवारें समुद्री हरे रंग में दिखाई देंगी।
डॉक्टरों का कहना है कि हरा रंग आंखों को सुहाता है। विज्ञान इसकी वजह बताता है कि सात रंगों के मिश्रण (विब्ग्योर) में यह सबसे बीच का रंग है। इसका वेब औसत होता है। जिससे यह आंखों में चुभता नहीं है। वर्कशॉप में काम कर रहे फर्म ने रंगों को प्रोटोटाइप तैयार कर लिया है। जल्द ही इस प्रोटोटाइप को मंजूरी मिलने की उम्मीद है। मंजूरी मिलते ही रंगों को बदलने का काम दूसरी बोगियों में भी शुरू कर दिया जाएगा।
बोगियों को संवार रहा है वर्कशॉप :
गोरखपुर के रेलवे वर्कशॉप को पहले चरण में 156 बोगियों के रिफरबिसमेंट का जिम्मा मिला है। इसके लिए 40 करोड़ का टेंडर जारी हो गया है। ये सभी बोगियां चार महीने के अंदर बिल्कुल नई जैसी हो जाएंगी। इनमें टॉयलेट की फिटिंग काफी सुविधाजनक होगी। दरवाजे के पास काफी जगह बढ़ जाएगी जिससे यात्री बेसिन के पास आराम से हाथ-मुंह धुल सकते हैं। इस स्कीम के तहत उन बोगियों का कायाकल्प किया जा रहा है जिनकी उम्र 12 साल पूरी हो चुकी है। छह बोगियां सितम्बर के आखिरी सप्ताह तक बाहर आ जाएंगी।
ये होंगे अहम बदलाव :
न्यू मॉडीफाइड कोच में किसी भी जगह कोई स्क्रू या हुक नहीं दिखेगा। सभी फिटिंग स्मार्ट होंगी। सीट के रंग से मैचिंग फ्लोरिंग और सीलिंग रहेगी। सीट में भी अहम बदलाव किया गया है। इसमें मोटा फोम लगाया जाएगा।
75 जनरल व 81 स्लीपर कोच की संवरेगी जिंदगी
वर्कशॉप में जिन 156 कोच को नया जैसा करना है उनमें 75 जनरल कोच और 81 स्लीपर कोच शामिल हैं। बोगियों में सामान्य माइका की जगह जीएफआरई फायर प्रूफ माइका लगाया जाएगा। इससे आग लगने की आशंका भी न के बराबर रहेगी।
पंकज कुमार सिंह, सीपीआरओ ने बताया कि कुछ बोगियां वर्कशॉप में रिफर्बिशमेंट के लिए आई हैं। उसमें अंदरूनी बदलाव के साथ ही अंदर की दीवारों का रंग भी बदलना प्रस्तावित है। मॉडल के रूप में प्रोटोटाइप तैयार किया गया है। मंजूरी मिलते ही यहां आईं बोगियों में काम शुरू कर दिया जाएगा। रंगों का चयन इस प्रकार किया जा रहा है कि यात्रियों को सुकून मिले। डॉ. शशांक सिंह, नेत्र रोग विशेषज्ञ काा कहना है कि हरा रंग प्रकृति का प्रतीक है। यह रंग आंखों में जरा भी नहीं चुभता।
रेलवे की इस पहल से यात्रियों को सुकून भी मिलेगा। हरा रंग बीमार व्यक्तियों के लिए जीवनदायी औषधि के समान है। फेंग्शुई ने इसे विकास, स्वास्थ्य और सौभाग्य का भी प्रतीक माना है। डॉ. अपर्णा पाठक, मनोवैज्ञानिक के मुताबिक आजकल लगभग हर तीसरा व्यक्ति तनाव-डिप्रेशन से प्रभावित हो रहा है। हरा रंग तनाव दूर करने का एक बेहद उम्दा उपाय है। यह रंग सकारात्मक ऊर्जा का अच्छा संवाहक भी माना जाता है। ऐसे में रेलवे का यह प्रयोग काफी अच्छा है।