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काश! हम बच्‍चों के लिए बचा पाते लॉकडाउन वाली हवा

गाजीपुर न्यूज़ टीम, गोरखपुर. कोरोना से बचाव के लिए लगे लॉकडाउन के बीच मई 2020 में पहली बार वो मौका आया जब गोरखपुर में हवा की गुणवत्‍ता फेफड़ों के लिए बहुत अच्‍छी श्रेणी में आ गई। लेकिन अनलॉक के पहले और दूसरे चरण की शुरुआत से ही ये आंकड़े फिर खतरनाक होने लगे। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड दिल्‍ली के तत्‍वावधान में 'राष्‍ट्रीय वायु गुणवत्‍ता अनुश्रवण कार्यक्रम' के तहत मिले आंकड़े शहर के आवासीय, व्‍यवसायिक और औद्योगिक तीनों क्षेत्रों में धीरे-धीरे हालात फिर खराब होते जाने की तस्‍दीक कर रहे हैं। ऐसे में पर्यावरणविद् कहने लगे हैं कि काश! हम लॉकडाउन वाली हवा अपने बच्‍चों और भावी पीढ़ी के लिए बचा पाते।

आज दुनिया पहली दफा 'नीले आकाश के लिये स्वच्छ वायु अंतरराष्ट्रीय दिवस' मना रही है।  संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 19 दिसंबर 2019 को एक प्रस्ताव पारित कर 2020 से हर साल सात सितंबर को यह दिवस मनाने का एलान किया था। 'इस मौके पर गोरखपुर में हवा की ताजा स्थिति जानने और अनलॉक के साथ-साथ स्‍वच्‍छ हवा को लेकर जताई जा रही चिंताओं को आपके सामने लाने की कोशिश की। शहर में तीन स्‍थानों जलकल (व्‍यावसायिकयिकय), गीडा (औद्योगिक) और एमएमएमयूटी (आवासीय) पर 2011 से हवा की गुणवत्‍ता की मानीटरिंग की जाती है। लॉकडाउन शुरू होने से पहले फरवरी, लॉकडाउन के दौरान मई और अनलॉक-02 शुरू होने के बाद जुलाई के आंकड़ों पर एक नज़र डालकर स्थिति का अंदाज लगाया जा सकता है।

इन आंकड़ों के मुताबिक फरवरी में जहां शहर की हवा चिंताजनक स्थिति में थी तो मई में पहली बार हमारे फेफड़ों को 10 माइक्रान से छोटे कणों को लीलने की मजबूरी से मुक्ति मिली। जुलाई में औद्योगिक और व्‍यवसायिक गतिविधियां धीरे-धीरे शुरू होने लगीं तो ये आंकड़े फिर बदलने लगे। लेकिन तब भी गुणवत्‍ता के पैमाने पर स्थिति संतोषजनक रही।  जानकारों का कहना कि इंसानी जरूरतों को पूरा करने के लिए बाजार,औद्योगिक गतिविधियां और विकास के काम जरूर करने होंगे लेकिन लेकिन इन्‍हें इस अंदाज में किया जाना चाहिए कि हवा लॉकडाउन जैसी न सही इंसान के जीवन के लिए जरूरी जितनी स्‍वच्‍छ जरूर रहे। इसके लिए वाहनों और उद्योगों के प्रदूषण पर रोक के साथ-साथ हरित को बढ़ाने पर भी जोर देना होगा।


एक नज़र आंकड़ों पर
पीएम10  सल्‍फर डाई आक्‍साइड   नाइट्रोजन डाई आक्‍साइड   एयर क्‍वालिटी इंडेक्‍स

फरवरी 2020
आवासीय- 167.82,  2.85,   11.45,   145
व्‍यवसायिक-280.68,   8.56,   21.71,   231
औद्योगिक-329.83,   23.58,   39.14,  280

मई-2020
आवासीय- 44.64,   1.47,   3.98,   45
व्‍यवसायिक-78.46,   2.55,   6.97,   78
औद्योगिक-132.24,  10.14,  18.40,   121

जुलाई-2020
आवासीय-59.97,   1.14,   3.10,   60
व्‍यवसायिक-105.71,   3.10,   9.58,   104
औद्योगिक-189.97,   12.87,   22.55,  160

ये हैं मानक
पीएम-10 यानि हवा में तैरने वाले 10 माइक्रान से छोटे कण जो नाक के बालों से भी रुकते नहीं बल्कि सांस के साथ सीधे फेफड़े तक पहुंच सकते हैं। इनकी मात्रा प्रति घन मीटर 60 माइक्रोग्राम से अधिक नहीं होनी चाहिए। इसी तरह सल्‍फर डाई आक्‍साइड की मात्रा 50 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर और नाइट्रोजन की मात्रा 40 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से अधिक नहीं होनी चाहिए। एयर क्‍वालिटी इंडेक्‍स की छह श्रेणियां हैं। शून्‍य से 50 अच्‍छी, 51 से 100 संतोषजनक, 101 से 200 मध्‍यम, 201 से 300 खराब, 301 से 400 बहुत खराब और 401 से ज्‍यादा अत्‍यंत चिंताजनक श्रेणी में आता है। 


साफ है कि गोरखपुर में लॉकडाउन से पहले फरवरी में जहां आवासीय क्षेत्र की हवा मध्‍यम श्रेणी में थी वहीं व्‍यवसायिक और औद्योगिक क्षेत्र में खराब श्रेणी में। लॉकडाउन के दौरान मई में हवा आवासीय क्षेत्र में पहली बार अच्‍छी, व्‍यवसायिक क्षेत्र में संतोषजनक और औद्योगिक क्षेत्र में मध्‍यम श्रेणी में आ गई थी। अनलॉक के साथ आंकड़े फिर बिगड़ने लगे। जुलाई में आवासीय क्षेत्र में संतोषजक, व्‍यवसायिक क्षेत्र और औद्योगिक क्षेत्र में मध्‍यम स्थिति में आ गई।

विशेषज्ञ बोले
इंसानी जरूरतों को पूरा करने के लिए बाजार और औद्योगिक गतिविधियों के साथ विकास को भी गति देनी होगी लेकिन लॉकडाउन से सबक लेते हुए अब हमें साथ-साथ उद्योगों में प्रदूषण नियंत्रण संयंत्र, वाहनों के प्रदूषण की रोकथाम, निर्माण कार्यों में गिट्टी-बालू आदि को ढंकने और हरित क्षेत्र बढ़ाने पर जोर देना चाहिए। अभी गोरखपुर में सामाजिक वानिकी को मिलाकर वन क्षेत्र करीब सात प्रतिशत तक है। इसे राष्‍ट्रीय वन नीति 1988 के अनुसार 33 प्रतिशत पर लाने का प्रयास किया जाना चाहिए।-प्रो.गोविन्‍द पांडेय, प्रधान अन्‍वेषक, परिवेशीय वायु गुणवत्‍ता अनुश्रवण कार्यक्रम

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