कांग्रेस ने फेरबदल में दी उत्तर प्रदेश के नेताओं को तरजीह
गाजीपुर न्यूज़ टीम, नई दिल्ली. कांग्रेस अध्यक्ष को असंतुष्ट नेताओं की तरफ से लिखे पत्र को लेकर हुए विवाद के बाद संगठनात्मक फेरबदल में उत्तर प्रदेश चुनाव की तैयारियों की छाप साफ नजर आती है। किसी दूसरे प्रदेश के मुकाबले उत्तर प्रदेश के नेताओं को नए फेरबदल में सबसे अधिक तरजीह दी गई है। इस बदलाव के जरिए पार्टी ने प्रदेश के ब्राह्मण मतदाताओं को भी संदेश दिया है।
उत्तर प्रदेश में कांग्रेस एक बार फिर अपना पुराना जातीय समीकरण साधने में जुटी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कई फैसलों को लेकर ब्राह्मण समाज नाराज है। कांग्रेस को इस नाराजगी में अपना फायदा दिख रहा है। यही वजह है कि अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) में किए गए फेरबदल में प्रदेश कांग्रेस के कई ब्राह्मण नेताओं को जगह मिली है।
इनमें सबसे प्रमुख जितिन प्रसाद हैं। जितिन प्रसाद पार्टी अध्यक्ष को लिखे गए पत्र पर हस्ताक्षर करने वाले नेताओं में शामिल हैं। पर वह पिछले कई साल प्रदेश में ब्राह्मण सम्मेलन कर ब्राह्मणों को एकजुट करने में जुटे हैं। इस कार्यक्रम के जरिए वह यह संदेश दे रहे हैं कि समाज को एकजुट होने की जरूरत है। तभी हम अपना खोया हुआ गौरव प्राप्त कर सकते हैं।
फेरबदल में जितिन प्रसाद के साथ राजीव शुक्ला को भी प्रदेश प्रभारी बनाया गया है। जबकि वरिष्ठ नेता प्रमोद तिवारी को कांग्रेस कार्यसमिति में शामिल किया है। पूर्व सांसद राजेश मिश्रा को नए अध्यक्ष के चुनाव का जिम्मा संभालने वाले चुनाव प्राधिकरण का सदस्य बनाया गया है। वहीं, कुछ दिन पहले कल्कि पीठ के पीठाधीश्वर आचार्य प्रमोद कृष्णम को पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा की सलाहकार समिति में शामिल किया गया था।
इन सभी नेताओं के साथ पीएल पुनिया, आरपीएन सिंह और विवेक बंसल भी कांग्रेस अध्यक्ष की नई टीम में शामिल हैं। पुनिया और आरपीएन सिंह पहले से ही प्रदेश के प्रभारी थे, पर विवेक बंसल को राजस्थान घटनाक्रम में उनकी भूमिका को देखते हुए उन्हें इनाम दिया गया है। बंसल राजस्थान के प्रभारी सचिव रह चुके हैं। इसलिए, विधायकों की एक माह तक चली बाडेबंदी में उनकी भी भूमिका रही है। इसके साथ वह राहुल गांधी के भरोसेमंद नेताओं में शामिल हैं।
दिग्विजय, खुर्शीद, अनवर की वापसी
कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह, सलमान खुर्शीद और तारिक अनवर समेत कई ऐसे नेताओं की पार्टी के राष्ट्रीय संगठन में वापसी हुई है जो लंबे समय से एआईसीसी से बाहर थे। इन नेताओं को जगह देकर पार्टी ने अनुभव और युवा के बीच संतुलन बनाने की कोशिश की है।इस फेरबदल से विभिन्न राज्यों में कांग्रेस का संगठन मजबूत होगा और इसके परिणाम चुनावों में भी दिखेंगे। दिग्विजय सिंह ने सीडब्ल्यूसी के बतौर स्थायी आमंत्रित सदस्य एक बार फिर से राष्ट्रीय संगठन में वापसी की है। 2018 में उन्हें महासचिव पद से मुक्त किया गया था। पूर्व विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद को सीडब्ल्यूसी में स्थायी आमंत्रित सदस्य बनाया गया है।
अनुभवी नेताओं को जगह
शरद पवार के साथ राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी बनाने वाले तारिक अनवर ने कांग्रेस संगठन में महासचिव के तौर पर लंबे समय बाद वापसी की है। वह 2019 के लोकसभा चुनाव से कुछ महीने पहले राकांपा छोड़कर कांग्रेस में वापस आए थे। इसके साथ राजीव शुक्ला को हिमाचल प्रदेश, पवन कुमार बंसल को पार्टी प्रशासन का प्रभारी बनाया है तो उत्तर प्रदेश से ताल्लुक रखने वाले वरिष्ठ नेता प्रमोद तिवारी को सीडब्लूसी में स्थायी आमंत्रित सदस्य नियुक्त किया गया है।