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आस्ट्रेलिया में सुगंध फैला रहा चंदौली का काला चावल, जनपद से 600 क्विंटल चावल का हुआ निर्यात

गाजीपुर न्यूज़ टीम, चंदौली. औषधीय गुणों से भरपूर व सुगंधित चंदौली का काला चावल सात समुंदर पार खुशबू बिखेर रहा है। केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी की पहल पर तीन साल पहले जिले में शुरू हुई इसकी खेती किसानों की आमदनी बढ़ा रही है। गुणवत्ता, बेहतर उत्पादन व अच्छी कीमत के चलते धान के कटोरे (चंदौली) में साल दर साल इसकी खेती का रकबा बढ़ रहा है। अपनी खासियत के बूते इस चावल के देश के बड़े महानगरों के मॉल, होटलों व किराना स्टोर के साथ आस्ट्रेलिया में  भी कद्रदान हो गए हैं। इस वर्ष गाजीपुर की निजी एग्रो कंपनी ने चंदौली से करीब 600 क्विंटल काला चावल का निर्यात आस्ट्रेलिया में किया है। वहीं, बीते वर्ष 250 क्विंटल निर्यात आस्ट्रेलिया समेत सउदी अरब, यूएई में किया गया था। चालू सत्र में एक हजार किसानों ने 700 हेक्टेयर में इसकी खेती की है। वहीं, बीते वर्ष 800 किसानों ने 500 हेक्टेयर में काला चावल की खेती की थी।
15 किलो बीज से हुई थी शुरुआत
जिले में नगालैंड से चाक हाओ (काला धान) का 15 किलो बीज मंगाया गया था। जिला प्रशासन ने ड्रीम प्रोजेक्ट के तौर पर इसकी शुरुआत की और 15 किसानों ने प्रदर्शन के तौर पर खेती की। इसका बीज सुरक्षित रखा, तो दूसरे सत्र में उत्पादन बढ़ गया। काला धान का प्रति हेक्टेयर उत्पादन 35 क्विंटल है। इसकी न्यूनतम कीमत 8,500 रुपये प्रति क्विंटल है।

कलेक्टिव मार्क मिलने से बना ब्रांड : प्रशासन की पहल पर काला चावल को कलेक्टिव मार्क यानि विशेष उत्पाद की मान्यता मिली है। चंदौली कृषि उत्पाद में यह मार्क दिलाने वाला प्रदेश का इकलौता जिला है।

फाइबर व विटामिन से भरपूर
इंडियन राइस रिसर्च इंस्टीट्यूट हैदराबाद, फूड टेक्नॉलाजी इंस्टीट्यूट  प्रयागराज और इंटरनेशनल राइस रिसर्च इंस्टीट्यूट बीएचयू ने इस चावल की गुणवत्ता जांच कर इसमें फाइबर, बिटामिन ई, जिंक और आयरन भरपूर  होने की पुष्टि की है। इसके सेवन से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।

85 रुपये प्रति किलो के हिसाब से भुगतान मिला
चंदौली से इस बार किसानों ने करीब 600 क्विंटल काला चावल का आस्ट्रेलिया निर्यात किया है। इसके बदले उन्हेंं 85 रुपये प्रति किलो के हिसाब से भुगतान मिला है। काला चावल की खेती को बढ़ावा देने का प्रयास जारी है।-नवनीत सिंह चहल, जिलाधिकारी।

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