आजम खां को भी मिलेगा इंसाफ- अखिलेश यादव
गाजीपुर न्यूज़ टीम, लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत मथुरा जेल में बंद डॉ. कफील खान की रिहाई पर खुशी जाहिर करते हुए उम्मीद जताई है कि उन्हीं की तरह झूठे मुकदमों में फंसाए गए वरिष्ठ समाजवादी पार्टी के नेता व सांसद आजम खां को भी जल्द इंसाफ मिलेगा। अखिलेश यादव ने बुधवार को ट्वीट कर कहा कि सत्ताधारियों का अन्याय और अत्याचार हमेशा नहीं चलता है।
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने ट्वीट कर कहा कि इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा डॉ. कफील खान की रिहाई के आदेश का देश और प्रदेश के हम सभी इंसाफ पसंद लोगों ने सहर्ष स्वागत किया है। उम्मीद है झूठे मुकदमों में फंसाये गए आजम खान को भी शीघ्र ही न्याय मिलेगा। उन्होंने उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार को घेरते हुए कहा कि सत्ताधारियों का अन्याय और अत्याचार हमेशा नहीं चलता है।
बता दें कि इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश के बाद बीआरडी मेडिकल कॉलेज गोरखपुर के लेक्चरर डॉ. कफील खान को मंगलवार मध्य रात्रि मथुरा जेल से रिहा कर दिया गया। मथुरा जेल रिहाई के बाद डॉ. कफील ने कहा कि सभी का धन्यवाद, जिन्होंने मेरा साथ दिया। उन्होंने कहा कि हाई कोर्ट ने आदेश में लिखा है कि उत्तर प्रदेश सरकार ने ड्रामा करके एक झूठा और बेबुनियाद केस बनाया, जिसके तहत मुझे आठ महीने तक जेल में प्रताड़ित किया गया। उन्होंने कहा कि प्रशासन उन्हें रिहा करने को तैयार नहीं था, लेकिन लोगों की दुआ की वजह से वह रिहा हुए हैं। उन्हें आशंका है कि सरकार फिर किसी मामले में फंसा सकती है।
हाईकोर्ट द्वारा डॉ. कफ़ील की रिहाई के आदेश का देश-प्रदेश के हम सभी इंसाफ़पसंद लोगों ने सहर्ष स्वागत किया है. उम्मीद है झूठे मुक़दमों में फँसाये गये आज़म खान जी को भी शीघ्र ही न्याय मिलेगा. सत्ताधारियों का अन्याय व अत्याचार हमेशा नहीं चलता.#नहीं_चाहिए_भाजपा#NoMoreBJP pic.twitter.com/FW44zBNlSx
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) September 2, 2020
यह है पूरा मामला : अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) में 12 दिसंबर, 2019 को नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के विरोध प्रदर्शन में डॉ. कफील खान, योगेंद्र यादव भी शामिल हुए थे। आरोप है कि डॉ. कफील खान ने इस दौरान भड़काऊ भाषण दिया था। इसके मद्देनजर अलीगढ़ के सिविल लाइंस थाना में एफआईआर दर्ज की गई। 29 जनवरी, 2020 को उन्हें गिरफ्तार करके मथुरा जेल भेज दिया गया। 10 फरवरी को सीजेएम अलीगढ़ ने डॉ. कफील की जमानत अर्जी मंजूर कर ली लेकिन, 13 फरवरी को जिलाधिकारी अलीगढ़ ने रासुका के तहत निरुद्धि का आदेश दे दिया। डॉ. कफील की मां ने रासुका की वैधता को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। हाई कोर्ट के आदेश के बाद वह करीब साढ़े सात महीने बाद मथुरा जेल से छूटे।