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वीर अब्दुल हमीद ने शहीद होकर भाई से निभाया मेडल का वादा

गाजीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर. यूं तो जिले के धामूपुर (दुल्लहपुर) निवासी परम वीर चक्र विजेता वीर अब्दुल हमीद के पराक्रम से सभी वाकिफ है। भारत-पाकिस्तान के 1965 के युद्ध में जिस तरह से उन्होंने पाकिस्तान के सात अमेरिका के अजेय माने जाने वाले पैटन टैंक को ध्वस्त किया था उसकी गााथा आज भी लोगों के जुबां पर है लेकिन यह कम लोगों को ही पता है कि उन्होंने युद्ध में जाने से पहले अपने भाई से मेडल लाने का किया था। उस वादे को शहादत देकर निभाया। 

32 साल की उम्र में अपने प्राणों को देश के लिए न्यौछावर करने वाले इस वीर को शहादत पर 10 सितंबर को नमन किया जाता है। कम लोगों को पता होगा कि उनका जीवन बेहद संघर्ष मय रहा। शुरू में दर्जी का पेशा रास नहीं आया तो निकल गए रेलवे की नौकरी की तलाश में। नसीब में तो देश सेवा लिखी थी, सो आर्मी ज्वाइन कर ली। एक जुलाई 1933 को मोहम्मद उस्मान व सकीना के घर जन्मे अब्दुल हमीद  ने परिवार के लोगों से कहा था अगर मुझे वीरता दिखाने का मौका मिला तो अवश्य मेडल लाऊंगा। तब किसी ने कल्पना भी नहीं की रही होगी कि उनकी वीरता का इस कदर परचम लहराएगा। 10 सितंबर को दुश्मन को अभेद्य पैटर्न टैंक के साथ आगे बढ़ते देखा मजबूत संसाधन के अभाव में भी दुश्मन से मोर्चा ले  लिया। शहीद होने से पहले अपनी  जीप को टीले के समीप खड़ा कर गोली बरसाते हुए दुश्मन के तीन टैंकों को ध्वस्त कर जवानों में जोश भरने का काम किया और दुश्मन को खदेड़ दिया गया। मरणोपरांत उन्हें सर्वोच्च सैनिक सम्मान परमवीर चक्र से उनकी पत्नी रसूलन बीवी को सम्मानित किया गया। शहीद की याद में उनकी जन्म भूमि धामूपुर में एक भव्य पार्क का निर्माण शासन की तरफ से कराया गया है, जहां उनकी शहादत दिवस 10 सितंबर पर हर साल श्रद्धांजलि देकर कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है। इसमें राज्यपाल, थल  सेनाध्यक्ष, राजनीतिज्ञ, अभिनेता सहित अनेक हस्तियां शिरकत कर चुकी हैं।


शहादत दिवस आज सेना के अधिकारी पहुंचेंगे धामूपुर
कोविड-19 को देखते हुए इस वर्ष वीर अब्दुल हमीद का शहादत दिवस सादगी से मनाया जाएगा। इस मौके पर परिजनों की ओर से धामूपुर स्थित शहीद पार्क में अब्दुल हमीद की प्रतिमा पर कुरानख्वानी का आयोजन किया जाएगा। सेना के कुछ अधिकारी गांव आकर श्रद्धांजलि देंगे।

वीर अब्दुल हमीद के पौत्र जमील अहमद ने जिलाधिकारी ओमप्रकाश आर्य व जखनियां एसडीएम सूरज कुमार यादव को पत्रक लिखकर उनके तरीके से शहादत दिवस माने का आग्रह किया था। जमील अहमद ने बताया कि सेना के अधिकारी कर्नल वी अब्राहम का फोन उनके पास आया था। कहा कि उन्होंने पिछले वर्ष की तरह किसी प्रकार का कोई आयोजन नहीं रखा है। जिला प्रशासन को पत्र लिखकर शहादत दिवस मनाने का आग्रह किया है, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला है।  

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