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उत्तर प्रदेश में धान खरीद के लिए 3000 केंद्र होंगे स्थापित, अनिवार्य होगा किसानों को पंजीकरण कराना

गाजीपुर न्यूज़ टीम, लखनऊ. उत्तर प्रदेश में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर एक अक्टूबर से शुरू होने वाली धान की सरकारी खरीद के लिए क्रय नीति को कैबिनेट बाई सर्कुलेशन मंजूरी दे दी गई है। प्रदेश में तीन हजार से अधिक क्रय केंद्र स्थापित किए जाएंगे और किसानों को धान बिक्री से पूर्व पंजीकरण कराना अनिवार्य है। आधार कार्ड की अनिवार्यता के अलावा किसानों को पीएफएमएस (पब्लिक फाइनेंसियल मैनेजमेंट सिस्टम) के जरिये उनके बैंक खातों में धान मूल्य उपलब्ध कराया जाएगा।

धान समर्थन मूल्य 1868-1888 रुपये प्रति क्विंटल दर से पश्चिमी जिलों में एक अक्टूबर से तथा पूर्वी जिलों में एक नवंबर से खरीदा जाएगा। किसानों को उपज का उचित मूल्य उपलबध कराने और बिचौलियों के हस्तक्षेप पर अंकुश लगाने के लिए प्रभावी कदम उठाए जाए। ऐसे कर्मचारी व अधिकारी जो धान या गेहूं खरीद में बिचौलियों से सांठगांठ करने के आरोपित रहें हो उन्हें चिन्हित करके क्रय कार्यक्रम से दूर रखा जाए। धान क्रय केंद्रों पर बोरों व स्टाफ की उपलब्धता बनाए रखने के लिए सभी जरूरी व्यवस्थाएं समय रहते पूरी करा ली जाए। केवल पंजीकृत किसानों को ही क्रय केंद्रों पर अपना धान बेचने की अनुमति दी जाए। गेहूं खरीद के लिए पंजीकृत करा चुके किसान यदि अपना धान भी बेचना चाहते है तो उन्हें दोबारा पंजीकरण कराने की आवश्यकता नहीं होगी।


विधान परिषद सचिवालय सेवा नियमावली को मंजूरी : कैबिनेट ने उत्तर प्रदेश विधान परिषद सचिवालय सेवा (भर्ती तथा सेवा की शर्तें) नियमावली, 2020 को मंजूरी दे दी है। यह प्रस्ताव कैबिनेट बाई सर्कुलेशन मंजूर हुआ। साथ ही विधानमंडल के सत्रावसान संबंधी प्रस्ताव को भी बाई सर्कुलेशन मंजूर किया गया है।


अब निजी विश्वविद्यालय खोलने को जमीन में नहीं फंसेगा पेंच : निजी विश्वविद्यालय खोलने के लिए अब जमीन को लेकर पेंच नहीं फंसेगा। उत्तर प्रदेश निजी विश्वविद्यालय अधिनियम में संलग्न भूमि की व्याख्या करते हुए उसकी अधिसूचना जारी करने को कैबिनेट ने अपनी मंजूरी दे दी। अब निजी विश्वविद्यालय के लिए जमीन खरीदने पर अगर जमीन के टुकड़े से सटा चकरोड या नाली इत्यादि है तो उसे विश्वविद्यालय की जमीन का ही हिस्सा मान लिया जाएगा। ऐसे में निजी विश्वविद्यालय को खोलने के लिए जमीन का इंतजाम करने में अब दिक्कत नहीं होगी। मालूम हो कि अभी प्रदेश में निजी विश्वविद्यालय को स्थापित करने के लिए ग्रामीण क्षेत्र में 20 एकड़ व नगरीय क्षेत्र में 10 एकड़ जमीन होना जरूरी है। ऐसे में कई बार जमीन के मानक पूरा करने में दिक्कत होती थी। अब ऐसा नहीं होगा।


दो नए निजी विश्वविद्यालयों की स्थापना के लिए दिए आशय पत्र : प्रदेश में दो नए निजी विश्वविद्यालयों की स्थापना के लिए आशय पत्र दिए जाने को भी कैबिनेट की बैठक में मंजूरी दी गई। इसमें गोरखपुर में महायोगी गोरक्षनाथ निजी विश्वविद्यालय व आगरा में स्थापित किया जा रहा अग्रसेन निजी विश्वविद्यालय शामिल है। अभी प्रदेश में करीब 27 निजी विश्वविद्यालय हैं और 28 नए निजी विश्वविद्यालय खोलने के लिए बीते 18 मार्च में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आशय पत्र निर्गत किए थे। अब दो और निजी विश्वविद्यालयों को आशय पत्र जारी करने को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है।


अब स्व-घोषणापत्र के आधार पर बोर्ड में पंजीकरण करा सकेंगे निर्माण श्रमिक : उत्तर प्रदेश भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड में पंजीकरण कराने के लिए निर्माण क्षेत्र के मजदूरों को अब किसी किस्म के सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं होगी। पंजीकरण के लिए अब उनका स्व-घोषणापत्र मान्य होगा। बोर्ड में ज्यादा से ज्यादा मजदूरों का पंजीकरण कराने और इसमें उन्हें सहूलियतें देने के लिए राज्य सरकार ने मंगलवार को कुछ अहम फैसले किये हैं। इसके लिए उप्र भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार (नियोजन तथा सेवा शर्त विनियमन) नियमावली, 2009 में संशोधन के प्रस्ताव को मंगलवार को कैबिनेट बाई सर्कुलेशन मंजूरी दी गई।


उप्र भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड में पंजीकरण कराने के लिए मजदूर को राज्य में पिछले वर्ष कम से कम दिन 90 दिन काम करना अनिवार्य है। इसके लिए मजदूर को ठेकेदार या लेबर इंस्पेक्टर से सर्टिफिकेट लेना होता था। अब इस व्यवस्था को खत्म करने का फैसला हुआ है। पंजीकरण के लिए मजदूर का स्व घोषणापत्र ही मान्य होगा। यह भी फैसला हुआ है कि कोरोना आपदा और लॉकडाउन से उपजी परिस्थतियों को देखते हुए राज्य सरकार बोर्ड में पंजीकरण और उसका नवीनीकरण कराने वाले मजदूरों को अब पंजीकरण और नवीनीकरण फीस से छूट दे सकेगी। पंजीकरण की प्रक्रिया भी ऑनलाइन होगी।


पत्थर की खदानों में नहीं होगी 10 फीसद सालाना वृद्धि : पत्थर की खदानों के पट्टों की रॉयल्टी में होने वाली 10 फीसद की सालाना वृद्धि अब नहीं होगी। यह फैसला मंगलवार को हुए कैबिनेट बाई सर्कुलेशन के जरिए हुआ। कैबिनेट ने इसके लिए उत्तर प्रदेश उपखनिज परिहार नियमावली में 51वां संशोधन को मंजूरी दे दी। इससे स्टोन क्रशर व्यवसायियों को राहत मिलेगी। प्रदेश सरकार पत्थर की खदानों का पट्टा 10 साल या इससे अधिक अवधि के लिए देती है। नियमावली में शर्त यह है कि सरकार हर साल रॉयल्टी में 10 फीसद की बढ़ोत्तरी करेगी। इस कारण व्यवसायी को काफी अधिक स्टांप ड्यूटी देनी पड़ती है। इससे प्रदेश में स्टोन क्रशर व्यवसाय प्रभावित हो रहा है। साथ ही प्रदेश के व्यवसायी मध्य प्रदेश पलायन कर रहे हैं। इस समस्या को देखते हुए सरकार ने अब स्टोन क्रशर व्यासायियों को राहत देने के लिए नियमावली में बदलाव कर दिया है। इस बदलाव के तहत अब पट्टा धारकों को रॉयल्टी में हर साल 10 फीसद की वृद्धि अब नहीं होगी। सरकार के इस फैसले से स्टोन क्रशर व्यवसायियों को ऑक्सीजन मिल गई है।


नामित एमएलसी गृह जिले को ही चुन सकेंगे नोडल जिला : संतुलित क्षेत्रीय विकास (पूर्वांचल/बुंदेलखंड) निधि के अंतर्गत मनोनीत क्षेत्र के विधान परिषद सदस्य (नामित एमएलसी) अब अपने गृह जिले को ही अपना नोडल जिला चुन सकेंगे। सरकार ने इसके लिए संतुलित क्षेत्रीय विकास (पूर्वांचल/बुंदेलखंड) निधि के मार्गदर्शी सिद्धांतों में संशोधन करने का फैसला किया है। मार्गदर्शी सिद्धांतों में संशोधन के लोक निर्माण विभाग के प्रस्ताव को मंगलवार को कैबिनेट बाई सर्कुलेशन मंजूरी दे दी गई। मनोनीत क्षेत्र के एमएलसी का अपना क्षेत्र निर्धारित नहीं होता है। कुछ ऐसे नामित एमएलसी जो पूर्वांचल या बुंदेलखंड क्षेत्र के रहने वाले नहीं हैं लेकिन वे इन क्षेत्रों के किसी जिले को अपना नोडल जिला चुनते थे। इससे पूर्वांचल और बुंदेलखंड विकास निधि से जिलांश के तहत कराये जाने वाले विकास कार्यों में स्थानीय विधायकों और एमएलसी के प्रस्तावों में कटौती हो जाती थी क्योंकि संसाधन सीमित हैं। इसका इन क्षेत्रों के स्थानीय विधायक विरोध कर रहे थे। इसलिए सरकार ने मार्गदर्शी सिद्धांतों में यह संशोधन करने का फैसला किया है।


एफपीओ को मिल सकेगा चार फीसद ब्याज दर पर ऋण : केंद्र सरकार द्वारा पारित कृषि विधेयकों के अनुपालन में एक कदम आगे बढ़ते हुए राज्य सरकार ने कृषक उत्पादक संगठन व व्यवसायिक गतिविधियों को प्रोत्साहित करने के लिए उत्तर प्रदेश कृषक उत्पादक संगठन नीति-2020 लागू किए जाने की मंजूरी मिल गयी है। कृषि मंत्री सूर्यप्रताप शाही ने बताया कि किसानों द्वारा बनाए गए समूह कृषक उत्पादक संगठन (एफपीओ) को कंपनी या सोसाइटी एक्ट में पंजीकृत कराया जा सकता है। लाभांश अर्जित करने वाले एफपीओ को भारत सरकार द्वारा सहयोग राशि भी उपलब्ध करायी जाएगी। एफपीओ को किसानों की उपज को कहीं भी खरीदने और बेचने का अधिकार होगा। इसके अलावा अपना व्यवसाय करने के लिए भी धनराशि उपलब्ध करायी जाएगी। उप्र सरकार ने भी एफपीओ को चार प्रतिशत ब्याज दर से ऋण प्रदान करने और तीन लाख रुपये सीमा में सहयोग राशि भी उपलब्ध करायी जाएगी। एफपीओ को अन्य योजनाओं में भी प्राथमिकता दी जाएगी। नीति लागू होने से किसानों को खाद्य प्रसंस्करण उद्योग स्थापना में भी मदद मिलेगी।


भूमि हस्तान्तरित : प्रयागराज व आजमगढ़ में कृषि विज्ञान केंद्रों की स्थापना के लिए निश्शुल्क भूमि हस्तांतरण की अनुमति प्रदान कर दी गयी। उल्लेखनीय है कि प्रदेश में 20 नए कृषि विज्ञान केेंद्र निर्माण में दो केंद्र शेष थे।


तीन नए राज्य विश्वविद्यालयों के निर्माण को दिए 250 करोड़ : यूपी में तीन राज्य विश्वविद्यालयों की स्थापना के लिए भूमि और निर्माण के लिए 250 करोड़ रुपये की मंजूरी कैबिनेट ने दी है। राजा महेंद्र ङ्क्षसह राज्य विश्वविद्यालय अलीगढ़ और सहारनपुर राज्य विश्वविद्यालय को 100-100 करोड़ रुपये और आजमगढ़ राज्य विवि को 50 करोड़ रुपये देने को मंजूरी दी गई है। इन तीनों राज्य विश्वविद्यालयों की स्थापना के लिए बजट को मंजूरी मिलने से अब काम में तेजी आएगी। यहां शीघ्र निर्माण कार्य शुरू करने के निर्देश दिए गए हैं। अब इन तीन जिलों में नए विश्वविद्यालय खुलने से आसपास के जिलों के युवाओं को भी उच्च शिक्षा हासिल करने में आसानी होगी। अलीगढ़, आजमगढ़ और सहारनपुर में राज्य विश्वविद्यालय स्थापित होने के बाद अब प्रदेश में राज्य विवि की संख्या बढ़कर 19 हो जाएगी।

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