अस्पताल की व्यवस्थाओं से डरकर कोरोना जांच न कराना जिंदगी पर पड़ेगा भारी
गाजीपुर न्यूज़ टीम, लखनऊ. कोरोना वायरस संक्रमण कोई इंसान नहीं, जो चार-पांच महीने हाहाकार मचाकर थक-हार गया हो। यह पहले भी जानलेवा था और आज भी है। तेजी से बढ़े रिकवरी रेट को देखकर गलतफहमी न पालें। जान उनकी बची है, जिन्होंने जरा भी संदेह होने पर जांच कराई और इलाज कराकर बीमारी से लड़े। और हां, यदि कोई अस्पतालों की अव्यवस्थाओं से बचने के लिए जांच नहीं करा रहा तो जान ले कि होम आइसोलेशन एक बेहतर विकल्प है। उत्तर प्रदेश में एक लाख से ज्यादा रोगी घर बैठे भी कोरोना का गला घोंट चुके हैं।
लॉकडाउन खुल चुका है और तमाम गतिविधियों पर से बंदिश हटती जा रही हैं। केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार का यह रिस्क अर्थव्यवस्था बचाने की मजबूरी के तहत है। कोरोना तो अब भी तेजी से फैल रहा है और लापरवाही करने वालों की जान भी ले रहा है। लापरवाही भी यही हो रही है कि कोविड अस्पताल में भर्ती होने के डर से लोग जांच ही नहीं करा रहे और अपनी मर्जी से बुखार आदि उतारने के लिए कोई भी दवा ले रहे हैं। कोरोना की जांच से यह सोचकर न घबराएं कि रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद अस्पताल में भर्ती होना पड़ेगा और फिर वहां पता नहीं किस तरह की सुविधाएं मिलें।
होम आइसोलेशन की सुविधा : उत्तर प्रदेश सरकार ने ऐसे लोग, जिनके पास घर में एक अलग कमरा व शौचालय की सुविधा है, उन्हें होम आइसोलेशन में रहकर इलाज की पहले से ही सुविधा दे रखी है। पूरा इलाज स्वास्थ्य विभाग की देखरेख में ही होता है। रैपिड रिस्पांस टीम (आरआरटी) इसकी पूरी निगरानी करती है। डॉक्टर समय-समय पर इलाज व पैरामेडिकल कर्मी जरूरी दवा देते हैं। होम आइसोलेशन की सुविधा का लाभ बड़े पैमाने पर रोगी उठा भी रहे हैं। अभी तक 75.2 फीसद मरीज स्वस्थ भी हो चुके हैं।
75.2 फीसद रोगी हुए ठीक : उत्तर प्रदेश में अभी तक कोरोना वायरस से संक्रमित मिले कुल 2,85,184 रोगियों में से 1,36,300 मरीज होम आइसोलेशन की सुविधा ले चुके हैं। होम आइसोलेशन की सुविधा लेने वाले इन रोगियों में से 1,02,569 यानी 75.2 फीसद रोगी ठीक हुए हैं। वहीं, वर्तमान में कुल 64,028 एक्टिव केस में से 33,731 ने होम आइसोलेशन में ही इलाज का विकल्प चुना है। करीब 53 फीसद रोगी घर पर ही इलाज करा रहे हैं।
घर पर भी गहन निगरानी में इलाज : स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ.डीएस नेगी का कहना है कि होम आइसोलेशन में भी स्वास्थ्य विभाग की गहन निगरानी में ही पूरा इलाज होता है। अच्छे नतीजे आने के कारण लोगों का रुझान इस ओर बढ़ रहा है। कोरोना के बिना लक्षण वाले रोगियों को यह सुविधा दी गई है। प्रदेश में करीब 80 फीसद बिना लक्षण वाले ही मरीज हैं। गर्भवती महिलाओं और ऐसे व्यक्ति जो पहले से किसी गंभीर रोग से ग्रस्त हैं, उन्हें यह सुविधा नहीं दी गई है। फिलहाल होम आइसोलेशन में इलाज अब बेहतर विकल्प के रूप में सामने आ रहा है।