गाजीपुर: सौरभ पांडेय व सुशांत सिंह ने बढ़ाया जिले का मान, आईएएस में मिली 66वीं और 189वीं रैंक
गाजीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर। अगर कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो सफलता खुद-ब-खुद कदम चूमेगी। यह पंक्तियां गाजीपुर जिले के सौरभ पांडेय और सुशांत सिंह पर बिल्कुल सटीक बैठती हैं। भारतीय प्रशासनिक सेवा की परीक्षा में दोनों ने अपनी मेधा का परचम लहराते हुए क्षेत्र ही नहीं जिले का मान बढ़ाया है।
मुहम्मदाबाद तहसील क्षेत्र के कनुआन गांव के मूल निवासी सौरभ पांडेय ने आईएएस की परीक्षा में 66वां स्थान हासिल किया है। दोपहर में इस कामयाबी की खबर लगते ही खुशी से उनके आंसू छलक पड़े। इसके बाद उन्होंने माता-पिता एवं दादी का आशीर्वाद लिया। उनके घर पर बधाइयों का तांता लग गया।
दूरदराज के सगे-संबंधियों ने भी मोबाइल पर प्रसन्नता का इजहार किया। घर पहुंचे लोगों ने एक-दूसरे को मिठाई खिलाकर शुभकामनाएं दी। वर्तमान में मिर्जापुर के विशालपुरी कालोनी में सौरभ पांडेय का परिवार रहता है। सोनभद्र जिले के राबर्ट्सगंज स्थित भारतीय जीवन बीमा निगम की शाखा में प्रबंधक कमलाकर पांडेय के पुत्र सौरभ ने वाराणसी के सेंट जांस स्कूल डीएलडब्ल्यू से इंटरमीडिएट करके बिट्स (बिरला इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलाजी एंड साइंस) से 2013 में बीई की डिग्री हासिल की।
इसके बाद दिल्ली में उन्होंने कोचिंग करने के साथ ही सिविल परीक्षाओं की तैयारी शुरू कर दी। सौरभ इससे पहले दो बार सिविल सर्विस परीक्षा का मेंस दे चुके थे, लेकिन सफलता नहीं मिली। तीसरी बार की परीक्षा में सफलता मिली है। सौरभ कहते हैं कि माता-पिता के सहयोग के बिना यह संभव नहीं था। इसके अलावा कड़ी मेहनत का कोई विकल्प नहीं है। सम-सामयिक मामलों की जानकारी के लिए वह रोजाना अखबार पढ़ते थे। साथ ही कोर्स की किताबों पर भी पूरा ध्यान देते थे। सौरभ की सफलता पर पूरे क्षेत्र में खुशी का माहौल है।
खानपुर थाना क्षेत्र के बेलहरी गांव निवासी सुशांत सिंह ने 189वीं रैंक हासिल की है। उसके पिता अशोक सिंह आईएफएस हैं। इस समय वह फॉरेस्ट विभाग बंगाल में कार्यरत हैं। सुशांत दो भाइयों में सबसे बड़े हैं। उन्होंने प्राथमिक शिक्षा अपने गांव बेलहरी तथा इंटरमीडिएट की शिक्षा वाराणसी स्थित क्वींस कालेज से प्राप्त की।
दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक कर तैयारी की। उनका ननिहाल खानपुर थाना क्षेत्र के गजाधरपुर में है। यहां से इनका खूब लगाव है। उसने अपनी सफलता का श्रेय मां अनुराधा को दिया। बताया कि उन्हीं की देन है कि आज हम इस स्तर पर पहुंचे हैं।