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राज्यसभा में घट रही सपा की ताकत, भाजपा की हिस्सेदारी में बढ़ोत्तरी

गाजीपुर न्यूज़ टीम, लखनऊ. उत्तर प्रदेश से राज्यसभा में समाजवादी पार्टी की ताकत घटती जा रही है और भाजपा की हिस्सेदारी लगातार बढ़ रही है। बेनी प्रसाद वर्मा व अमर सिंह के निधन से रिक्त हुई दो सीटें भी भाजपा के झोली में जाना तय है। यह दोनों सीटें सपा के पास ही थीं। यही नहीं नवंबर में होने वाले राज्यसभा की रिक्त हो रही 9 सीटों में सपा को एक से ज्यादा सीट मिलना खासा मुश्किल है। हाल में सपा के दो सदस्य बेनी प्रसाद वर्मा व अमर सिंह का निधन हो गया। इन दोनों का कार्यकाल 4 जुलाई 2022 तक था। अब इन रिक्त सीटों पर उपचुनाव होना है। बेनी प्रसाद की रिक्त सीट पर तो चुनाव भी घोषित हो गया है।

अमर सिंह की रिक्त सीट पर चुनाव भी जल्द होगा। उत्तर प्रदेश से राज्यसभा के लिए 31 सदस्य चुने जाते हैं। वर्तमान में दो सीट रिक्त हो गईं। अब बाकी 29 में भाजपा के पास 15, सपा के पास 8, बसपा के पास 4 व कांग्रेस के पास 2 सीट हैं। इन 29 सीटों में 9 सीटों पर सदस्यों का कार्यकाल इसी 25 नवंबर तक है।  9 अन्य सीटों पर सदस्यों का कार्यकाल 4 जुलाई 2022 को पूरा होगा।  इसके अलावा 11 अन्य सदस्य 2 अप्रैल  2024 तक राज्यसभा में  बने रहेंगे।  

नवंबर में और घटेगी सपा और बढ़ेगी भाजपा   
इस साल 25 नवंबर को नौ सदस्यों का कार्यकाल खत्म हो रहा है। इनमें  सपा के जावेद अली खां, प्रो. रामगोपाल यादव , चंद्रपाल सिंह यादव व रवि प्रकाश वर्मा चार सदस्य  हैं। भाजपा के नीरज शेखर व हरदीप सिंह पुरी दो सदस्य हैं। श्री पुरी केंद्रीय मंत्री हैं जबकि नीरज शेखर सपा छोड़कर आए थे। उस सीट पर उपचुनाव हुआ और वह भाजपा के टिकट पर जीत गए। बसपा के दो सदस्य राजाराम, वीर सिंह एडवोकेट व कांग्रेस के पीएल पुनिया का कार्यकाल भी इसी साल 25 नवंबर तक है। 

समाजवादी पार्टी के विधानसभा में 45 विधायक हैं और उसके एक प्रत्याशी का चुना जाना तो तय है। बसपा, कांग्रेस व रालोद मिल कर चाहें तो एक और सीट निकाल सकते हैं जबकि भाजपा को सात या आठ सीट पर जीत मिल सकती है। पिछले साल से सपा के तीन राज्यसभा सांसद नीरज शेखर, सुरेंद्र नागर, व संजय सेठ ने पार्टी छोड़ी और राज्यसभा सीट से इस्तीफा दिया और भाजपा में शामिल हो गए। भाजपा ने खास रणनीति बनाई। अलग-अलग समय पर इस्तीफे हुए तो उपचुनाव भी अलग-अलग हुए। एक एक सीट पर उपचुनाव होने से भाजपा के सामने किसी और दल के आगे आने की हिम्मत नहीं पड़ी। इसके अलावा सपा की तंजीन फातिमा ने विधायक बनने के बाद अपनी राज्यसभा  सीट छोड़ दी और उपचुनाव में भाजपा एक और सीट निर्विरोध जीत गई।
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