गाजीपुर: आस्था और श्रद्धा के बीच जिले में मनी हरतालिका तीज
गाजीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर. जिले में हरतालिका तीज पूर्ण आस्था और श्रद्धा के बीच मनाया गया। महिलाओं ने पवित्र मन एवं विचारों के साथ व्रत रखा। इस दौरान उनके द्वारा कई धार्मिक अनुष्ठान आयोजित किए गए। इसमें कथा श्रवण से लेकर पूजापाठ का कार्यक्रम शामिल रहा। शहर से ग्रामीण अंचलों में महिलाओं ने अपने घरों में या फिर सखी-सहेलियों के साथ मिलकर वार्षिक त्योहार को मनाया। मेंहदी रचाने के साथ ही सातों श्रृंगार कर महिलाओं ने पति-पत्नी के आपसी प्रेम एवं विश्वास के पर्व को चरितार्थ किया।
हरतालिका तीज भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हस्त नक्षत्र के दिन पूरे जिले में मनाई गई। हिंदू मान्यता में तीज का बड़ा महत्व माना गया है। सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए निर्जला व्रत रखा। शुक्रवार को व्रती महिलाओं ने घर-घर भगवान शिव और पार्वती की कथा सुनी और पूजा अर्चना की। तीज पर्व को पूरे पूर्वांचल में धूमधाम से मनाया गया। यह पर्व मां पार्वती को समर्पित है। तीज के दिन गौरी-शंकर की पूजा की जाती है। इस दिन गौरी-शंकर की मिट्टी की प्रतिमा बनाकर घर-घर पूजा होती है। तीज पर्व पर मां पार्वती को सुहाग का सारा सामान भी अर्पित किया जाता है। इसके अलावा रात में भजन-कीर्तन भी किया जाता है। इसके साथ ही जागरण कर तीन बार आरती की जाती है। हरतालिका तीज के दिन हरे रंग का विशेष महत्व होता है। इस दिन महिलाएं हरी चूड़ियां और हरी साड़ी पहनती हैं। यह व्रत भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को रखा जाता है।
हरतालिका तीज व्रत की कथा
लिंग पुराण की कथा के अनुसार एक बार मां पार्वती ने भगवान शंकर को पति रूप में पाने के लिए गंगा के तट पर घोर तप करना शुरू कर दिया था। इस दौरान उन्होंने कई दिनों तक अन्न और जल ग्रहण नहीं किया। माता पार्वती को तप करते हुए कई वर्ष बीत गए। उनकी स्थिति देखकर उनके पिता हिमालय अत्यंत दुखी थे। एक दिन महर्षि नारद पार्वती जी के लिए भगवान विष्णु की ओर से विवाह का प्रस्ताव लेकर आए। नारदजी की बात सुनकर माता पार्वती के पिता ने कहा कि अगर भगवान विष्णु यह चाहते हैं तो उन्हें कोई आपत्ति नहीं है लेकिन माता पार्वती को जब यह बात पता चली तो वह फूट-फूट कर रोने लगी। उनकी एक सखी के पूछने पर बताया कि वो भगवान शिव को अपने पति के रूप में पाना चाहती हैं। इसीलिए वह कठोर तपस्या कर रही थी। लेकिन उनके पिता उनका विवाह विष्णु से कराना चाहते हैं। इस कथा को घर-घर पुरोहितों पंडितों ने व्रती महिलाओं को सुनाई गई।
पति की दीर्घायु के लिए रखा निर्जला व्रत
औड़िहार। महिलाओं के अखंड सौभाग्यवती होने का महान पर्व हरतालिका तीज ग्रामीण इलाके में भी उत्साह और उमंग के साथ मनाया गया। नए परिधानों और आभूषणों में सजी सवरी महिलाएं निर्जला व्रत रख शिव और पार्वती की आराधना की। इस कठिन व्रत के माध्यम से सौभाग्यवती महिलाएं अपने पति की दीर्घायु की कामना की, तो कुंवारी कन्याओं ने सुंदर और सुयोग्य वर प्राप्ति के लिए भी व्रत रखा। कुछ महिलाएं पुत्र रत्न की प्राप्ति होने पर शिव और पार्वती की आराधना के साथ व्रत की। इस कठिन व्रत पर व्रती महिलाओं के सिंगार और सजने संवरने के पीछे जो कहानी प्रचलित है, उस क्रम में इस दिन पार्वती ने घोर सिंगार के साथ शिव के समक्ष उपस्थित हुई थी। भगवान शिव अपलक पलकों से पार्वती को देखते रह गए और उन्हें अखंड सौभाग्यवती होने का आशीर्वाद दिया था। भारतीय त्योहारों में तब से तीज पर्व का महात्म चला आ रहा है।
व्रती महिलाएं सिंगार के साथ फल फूल और आरती की थाली लेकर भगवान शिव पार्वती की आराधना करती हैं। उनके महात्मा की कथा सुनती हैं और पुण्य के भागी बनती हैं। सैदपुर नगर क्षेत्र, खानपुर, भीमापार, मौधा और आंचलिक इलाकों में इस त्यौहार के पूर्व संध्या से ही व्रती महिलाएं कुंवारी कन्याएं अपने हाथों में मेहंदी रचती हैं। पैरों में महावर लगाती हैं। नई चूड़ियां पहनती हैं और तीज के दिन सज सावरकर शिव मंदिरों में दर्शन, पूजन और अर्चना करती हैं। मंदिर परिसर मैं महिलाओं की गोठ बैठती है और मंदिर के पंडित पुजारियों से तीज महात्मा की कथा सुनती हैं। व्रत रखी महिला शैलेश पांडेय, सुषमा सरोज, कृति, आयुषी आदि महिलाओं ने बताया कि अपनी श्रद्धा और विश्वास के चलते वह प्रतिवर्ष तीज का व्रत रखती हैं। शिव पार्वती की विविध तरीके से पूजन अर्चन करती हैं।