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गाजीपुर: हमीद सेतु पर अभी 15 दिन तक नहीं चलेंगे बड़े वाहन

गाजीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर. तीन जून से बंद गाजीपुर के वीर अब्दुल हमीद सेतु पर बड़े वाहनों की आवाजाही के लिए अभी पांच सितंबर तक और इंतजार करना पड़ेगा। यूपी-बिहार को जोड़ने वाले गंगा नदी पर बने पुल से रोज करीब एक हजार वाहन गुजरते थे जो ढाई महीने से दूसरे रास्तों से निकल रहे हैं। पुल पिछले पांच साल में छह बार क्षतिग्रस्त हो चुका है। बार-बार पुल को वाहनों के लिए ‘लाक’ करना इसके निर्माण एवं गुणवत्ता पर सवालिया निशान लगा रहा है।
1985 में शुरू होने वाले इस पुल की उम्र तो 100 साल आंकी गई लेकिन 35 साल में बूढ़ा नजर आ रहा है। जानकार बताते हैं कि क्षमता से अधिक बोझ ढोने के कारण पुल बार-बार दरक रहा है। अब हमीद सेतु की मरम्मत के साथ-साथ इसका स्थायी हल ढूंढ़ना जरूरी है। लेकिन इसका स्थायी इलाज पुल की क्षमता के हिसाब से वाहनों का आवागमन बताया जा रहा है। जिला प्रशासन ने इसका स्थायी निदान नहीं किया, तो पुल असमय ही टूट सकता है और बड़ी दुर्घटना हो सकती है।

पिछले पांच सालों में पुल छह बार क्षतिग्रस्त हो चुका है। पहली बार यह पुल वर्ष 2015 में क्षतिग्रस्त हुआ था। इसके बाद वर्ष 2016,  2017, 2018,  2019 तथा 2020 में लगातार पुल की मरम्मत होती आ रही है। यह पुल खासकर पडोसी राज्य बिहार ताडीघाट -बारा हाई-वे, जमानिया सैय्यदराजा -गाजीपुर राष्ट्रीय राजमार्ग 24/97 से सीधा जुडा हुआ है।

इस पुल से प्रतिदिन छोटे-बड़े, सवारी तथा मालवाहक वाहन 1000 से अधिक गुजरते हैं। यह पुल राष्ट्रीय राजमार्ग के अधीन था। अब कुछ सालों से यह एनएचएआई के अधीन हो चुका है। तभी से इस पुल की देख-रेख भगवान भरोसे हो गई है।

जिले के अति महत्वपूर्ण हमीद सेतु में बीते सात जून को अचानक दरार पड़ने की सूचना मिली। इसके बाद हरकत में आया जिला प्रशासन ने पुल पर आवागमन पूरी तरह प्रतिबंधित कर दिया। विभागीय इंजीनियरों ने पुल की जांच-पड़ताल की। इसके बाद पुल के मरम्मत का कार्य बीते तीन जुलाई से शुरू कर दिया गया।

पहले 20 अगस्त से पुल पर चार पहिया और तीन पहिया वाहनों का आवागमन बहाल करने की घोषणा की गई थी। लेकिन मरम्मत कार्य इस बीच पूरा न होने से अब एहतियातन पुल को पांच सितंबर तक खोला जाएगा। इसकी घोषणा जिलाधिकारी ने की है।

पुल मरम्मत के कार्य में लगे एनएचएआई के अधिकारियों की मानें तो एक स्पैन, स्टील पेडिस्टल कास्टिंग व कांक्रिट, न्यू प्लेटलेट व बेयरिंग लगाने का काम अब तक पूरा हो चुका  है। इसके उपरांत क्रमश: शेष बचे नौ स्पैन का काम भी तेजी से चल रहा है, उधर मरम्मत में जुटे इंजीनियरों ने बताया कि चूंकि स्पैन प्रेस जैक पर टिका है।

पुल के रास्ते बिहार से नेेपाल तक जाते हैं भारी वाहन
बिहार सहित अन्य पडोसी जनपदों व ग्रामीण अंचलों के लिए व्यापारिक दृष्टि सहित अन्य दृष्टिकोण से यह सेतु काफी महत्वपूर्ण है, बक्सर-भरौली पुल के साथ ही बलुआ, चंदौली, सैदपुर, जमानिया गंगा पुल. ओवरलोड वाहनों की वजह से पहले ही क्षतिग्रस्त हो गए हैं। इन्हें बंद हुए कई साल हो गए हैं। इस कारण एकमात्र यही सेतु हर दृष्टि से आवागमन का प्रमुख मार्ग बचा है।

साथ ही यह मार्ग कम समय में पहुंचने का एकमात्र प्रमुख मार्ग है। इस पुल से बिहार, पश्चिम बंगाल, आसाम, दिल्ली, मुंबई, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, नागालैंड, उडीसा सहित पडोसी देश  नेपाल, बग्लादेश, गोरखपुर, बलिया, वाराणसी, चंदौली, मिर्जापुर, आजमगढ, मऊ, फैजाबाद, कानपुर, लखनऊ, जौनपुर, भदोही सहित अन्य जगहों के लिए माल वाहक जाते थे। इससे समय की भी बचत होती थी। अब पांच से छह घंटे अधिक लग रहे हैं। जिससे ट्रांसपोर्टरों को दिक्कतों का समाना करना पड़ रहा है।

कमलापति त्रिपाठी ने रखी थी हमीद सेतु की आधारशिला
वीर अब्दुल हमीद सेतु की आधारशिला 1975 में तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलापति त्रिपाठी ने रखी थी, जो करीब दस वर्षों के अन्तराल पर बनकर तैयार हुआ। यह सेतु 1985 में आमजन के लिए खोल दिया गया। उस समय पुल निर्माण में कुल करीब चालीस करोड़ खर्च किया गया था। हमीद सेतु करीब 1100 मीटर लंबा है, जो 12 पिलर और 26 ज्वाइंटर, 52 रोलर बेयरिंग पर टिका हुआ है।
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