गाजीपुर: मनोज सिन्हा के उप राज्यपाल बनते ही बदली जिले की राजनीति
गाजीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर। भारतीय जनता पार्टी के मुख्य धारा में लगभग दो दशक तक किंग मेकर की भूमिका में राजनीति करने के बाद मनोज सिन्हा की जिले की राजनीति से शानदार विदाई हुई है। राजनैतिक गलियारों में इसकी चर्चा जोरों पर है कि मनोज सिन्हा के बाद भाजपा की इंटरनल राजनीति और जिले की सपा-बसपा की राजनीति में क्या असर पड़ेगा। राजनीतिक पंडित अपने-अपने चश्मे से अलग-अलग इसकी व्याख्या कर रहे हैं। सपा-बसपा के वरिष्ठ नेता भी बदले हुए राजनीतिक परिदृश्य पर नजर गड़ाये हुए हैं। मनोज सिन्हा का भाजपा में लगभग दो दशक तक जिले में किंगमेकर के रुप में सिक्का चलता था।
भाजपा में वह जिसको चाहते विधायक, जिलाध्यक्ष, नगरपालिका चेयरमैन यहां तक की उनके इशारे पर ही सभासद का टिकट को हरी झंडी दी जाती थी। इसका ताजा उदाहरण वर्तमान में जिलाध्यक्ष का मनोनयन व 2017 में विधानसभा चुनाव में उन्होने अपने नजदीकी जंगीपुर विधानसभा से रामनरेश कुशवाहा, सदर विधानसभा से संगीता बलवंत, जमानियां से सुनीता सिंह, और मुहम्मदाबाद से अलका राय को टिकट दिलवाकर अपनी हैसियत का डंका बजा दिया था।
मनोज सिन्हा के बड़े रसूख के चलते मुहम्मदाबाद में विरेंद्र राय, विजयशंकर राय, राजेंद्र निषाद, जमानियां में बालकृष्ण त्रिवेदी, सदर में बाबूलाल बलवंत, सैदपुर में मुकेश सिंह, जंगीपुर में रमेश सिंह पप्पू आदि दिग्गज नेता भाजपा में हासिए पर आ गये थे। यह नेता बस भाजपा में अपना दिन काट रहे थे। मनोज सिन्हा के जम्मू कश्मीर जाने के बाद इन नेताओं में एक बार फिर खुले आसमान में सांस लेकर राजनीति करने की आस जगी है। अब देखना है कि भविष्य में कितना कामयाब होते हैं। वहीं सपा-बसपा के बड़े नेता इस बात पर नजर गड़ाये हुए हैं कि मनोज सिन्हा के बाद भारतीय जनता पार्टी किस बिरादरी के नेता को लोकसभा का बागडोर सौंपती है। अगर सवर्ण छोड़कर भाजपा बैकवर्ड पर दांव लगायेगी तो अगले लोकसभा में विरोधियों का डगर काफी कठिन हो जायेगा।