Today Breaking News

श्रीराम मंदिर भूमि पूजन :रामजन्म भूमि संघर्ष यात्रा के 70 साल, 5 अहम पड़ाव

गाजीपुर न्यूज़ टीम, लखनऊ। अयोध्या राम मंदिर भूमि पूजन पांच अगस्त को होने जा रहा है। इस कार्यक्रम में मुख्य पूजा के लिए पीएम मोदी अयोध्या आएंगे। इस इतिहासिक पल से पहले आइए जानते हैं कि राम जन्म भूमि संघर्ष यात्रा के अहम पड़ाव के बारे में...

सदियों पुरानी राम जन्म भूमि संघर्ष यात्रा में वैसे तो कई मकाम आए मगर इस पूरी संघर्ष यात्रा के पिछले सत्तर साल कई महत्वपूर्ण रहे। इन सत्तर बरसों में पांच अहम पड़ावों पर गौर करें। 

पहला पड़ाव: 1949: जुलाई में प्रदेश सरकार ने विवादित ढांचे के बाहर राम चबूतरे पर राम मंदिर बनाने की कवायद शुरू की। लेकिन यह भी नाकाम रही। 1949 में ही 22-23 दिसंबर को विवादित ढांचे में राम सीता और लक्ष्मण की मूर्तियां रख दी गईं।

दूसरा पड़ाव: 1989: नवंबर में विवादित ढांचे से थोड़ी दूर पर राम मंदिर का शिलान्यास किया गया। 

तीसरा पड़ाव: 6 दिसंबर 1992: लाखों कारसेवकों ने विवादित ढांचे को  गिरा दिया।  कारसेवक 11 बजकर 50 मिनट पर ढांचे के गुम्बद पर चढ़े। करीब 4.30 बजे ढांचे का तीसरा गुम्बद भी गिर गया. जिसकी वजह से देशभर में हिंदू और मुसलमानों के बीच सांप्रदायिक दंगे भड़क उठे।

चौथा पड़ाव: 30 सितंबर 2010: इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने आदेश पारित किया।  तीन जजों की बेंच ने फैसला सुनाया, जिसमें मंदिर बनाने के लिए हिन्दुओं को जमीन देने के साथ ही विवादित स्थल का एक तिहाई हिस्सा मुसलमानों को मस्जिद बनाने के लिए दिए जाने की बात कही गयी। मगर यह निर्णय दोनों को स्वीकार नहीं हुआ। विवादित जमीन को राम लला विराजमान, निर्मोही अखाड़ा और सुन्नी वक्फ बोर्ड में बराबर बांटने का फैसला किया, जिसे सबने सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज किया।

पांचवा पड़ाव: 9 नवम्बर 2019-शनिवार-सुबह साढ़े 10 बजे सुप्रीम कोर्ट ने सदियों पुराने इस विवाद पर अपना फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस शरद अरविंद बोबड़े, जस्टिस धनंजय यशवंत चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस अब्दुल नज़ीर पहुंचे। पांच जजों ने लिफाफे में बंद फैसले की कॉपी पर दस्तखत किए और इसके बाद जस्टिस गोगोई ने फैसला पढ़ना शुरू किया।

विवादित जमीन पर रामलला का हक बताते हुए कोर्ट ने केंद्र सरकार को तीन महीने के अंदर ट्रस्ट बनाने का भी आदेश दिया। ट्रस्ट के पास ही मंदिर निर्माण की जिम्मेदारी होगी यानी अब राम मंदिर का निर्माण का रास्ता साफ हो गया। 

कोर्ट ने विवादित जमीन पर पूरी तरह से रामलला का हक माना है, लेकिन मुस्लिम पक्ष को भी अयोध्या में जमीन देने का आदेश दिया है। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि सुन्नी वक्फ बोर्ड को अयोध्या में ही किसी उचित जगह मस्जिद निर्माण के लिए 5 एकड़ जगह दी जाए। फैसले में  (भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण) का हवाला देते हुए कहा गया कि बाबरी मस्जिद का निर्माण किसी खाली जगह पर नहीं किया गया था। विवादित जमीन के नीचे एक ढांचा था और यह इस्लामिक ढांचा नहीं था। कोर्ट ने कहा कि पुरातत्व विभाग की खोज को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।

हालांकि, कोर्ट ने  रिपोर्ट के आधार पर फैसले में यह भी कहा कि मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाने की भी पुख्ता जानकारी नहीं है। इससे आगे कोर्ट ने कहा कि मुस्लिम पक्ष विवादित जमीन पर दावा साबित करने में नाकाम रहा है। कोर्ट ने 6 दिसंबर 1992 को गिराए गए ढांचे पर कहा कि मस्जिद को गिराना कानून का उल्लंघन था। ये तमाम बातें कहने के बाद कोर्ट ने विवादित जमीन पर रामलला का हक बताया। कोर्ट ने शिया वक्फ बोर्ड और निर्मोही अखाड़े के दावों को खारिज कर दिया।
'