योगी सरकार की सफाई: राजा भैया से जुड़ा कोई मुकदमा वापस नहीं लिया गया
गाजीपुर न्यूज़ टीम, लखनऊ। प्रतापगढ़ के कुंडा से विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ़ राजा भैया के खिलाफ दर्ज मुकदमों को वापस लिए जाने को लेकर योगी सरकार की सफाई आई है. जिसमें कहा गया है कि राजा भैया से जुड़ा कोई मुकदमा वापस नहीं लिया गया है. यूपी सरकार की तरफ से स्पष्टीकरण देते हुए कहा गया है कि राजा भैया से जुड़े मुकदमों को लेकर आई खबरों के संदर्भ में ये स्पष्ट करना है कि मार्च 2017 में योगी सरकार बनने के बाद राजा भैया से जुड़ा कोई भी मुकदमा राज्य सरकार ने वापस नहीं लिया है.
शिव प्रकाश मिश्रा सेनानी की याचिका पर आदेश
हाईकोर्ट लखनऊ बेंच ने एक याचिका पर सरकार से ये जवाब मांगा है. दरअसल राजा भईया के खिलाफ चुनाव लड़ चुके शिवप्रकाश मिश्रा सेनानी ने ये याचिका दाखिल की है. याचिका में शिव प्रकाश ने राजा भईया से जान को खतरे के चलते सुरक्षा मिलने का जिक्र है. याची का कहना है कि उसको मिली सुरक्षा की अवधि ख़त्म होने वाली है. याचिका ये सुरक्षा जारी रखने को लेकर हुई है. याचिका में राजा भईया के मुकदमों की वापसी पर भी सवाल उठा, जिस पर कोर्ट ने यूपी सरकार से जवाब तलब कर लिया है. हाईकोर्ट लखनऊ बेंच के जस्टिस मुनेश्वर नाथ भंडारी और जस्टिस मनीष कुमार की बेंच ने यह आदेश दिया है.
याचिका के मुताबिक सेनानी ने राजा भैया के खिलाफ विधानसभा चुनाव लड़ा था और उसे राजा भैया से जान का ख़तरा है, लिहाजा याची को शासन की ओर से सुरक्षा मिली हुई थी, जिसकी अवधि समाप्त हो रही है. सुरक्षा को जारी रखने के लिए सेनानी ने कई बार प्रत्यावेदन दिया था लेकिन उस पर कोई फैसला नहीं लिया जा रहा था.
अदालत ने इस मामले में दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद कहा कि सरकारी वकील सक्षम अधिकारियों से निर्देश प्राप्त कर यह बताएं कि याची के प्रत्यावेदन पर कोई फैसला क्यों नहीं लिया गया है? कोर्ट ने कहा जवाब संतोषजनक न होने पर कोर्ट अवमानना का संज्ञान भी लेगी.
सरकार के इशारे पर वापस लिए गए मुकदमे तो कारण स्पष्ट किया जाए
कोर्ट ने कहा कि अगर आरोपी रघुराज प्रताप सिंह के खिलाफ दर्ज मुकदमे सरकार के इशारे पर वापस लिए गए हैं तो इसका कारण स्पष्ट किया जाए. कोर्ट ने कहा यदि संतोषजनक कारण नहीं मिलता है तो कोर्ट इसका भी स्वतः संज्ञान लेते हुए मामले का परीक्षण करेगी. कोर्ट ने कहा कि आपराधिक मामलों को नरमी के साथ वापस लिए जाने के मामले का परीक्षण किए जाने की जरूरत है.