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हद है लापरवाही की! वाराणसी में सीवर लाइन में डाला विद्युत केबल, लगा जुर्माना

गाजीपुर न्यूज़ टीम, वाराणसी। नगर की पेयजल व सीवर व्यवस्था को ध्वस्त करने के लिए बिजली विभाग की अनुबंधित कंपनी टाटा पर नगर आयुक्त गौरांग राठी ने शनिवार को पांच हजार रुपये का जुर्माना लगाया। इस कार्रवाई को सुनिश्चित कराने के लिए मुख्य अभियंता बिजली विभाग को निर्देशित किया। साथ ही दोबारा ऐसा न हो, यह भी सुनिश्चित कराने की ताकीद कराई। जलकल विभाग को निर्देशित किया कि ध्वस्त सीवर लाइन व मैनहोल को अविलंब दुरुस्त कराएं। इस पर होने वाले खर्च की वसूली टाटा कंपनी से की जाए।

भूमिगत केबल बिछाने के दौरान सीवर लाइन को कई स्थानों पर किया ध्वस्त
कंपनी ने आइपीडीएस योजना के तहत भूमिगत केबल बिछाने के दौरान सीवर लाइन को कई स्थानों पर ध्वस्त कर दिया है। मामला मलदहिया इलाके का है, जिसको लेकर जलकल व बिजली विभाग के अफसरों में ठनी थी। जलकल विभाग का आरोप था कि सीवर लाइन में ही कार्यदायी कंपनी ने केबिल बिछा दिया है जबकि बिजली विभाग व कंपनी के अफसरों का दावा था कि यह संभव नहीं है। पाइप के व्यास को आधार बनाते हुए कंपनी के अफसरों ने जलकल विभाग के महाप्रबंधक नीरज गौड़ के आरोपों को निराधार बता दिया। इसके बाद नगर आयुक्त ने खुद मामले को संज्ञान में लिया। मौका-मुआयना के लिए बिजली विभाग के साथ ही जलकल विभाग के अफसरों को भी मौके पर बुलाया। दोपहर करीब तीन बजे सीवर लाइन की जांच शुरू हुई। गहरा पिट खोदकर अंदर का जायजा लिया गया।
मामला उजागर हुआ तो टाटा कंपनी के अफसर बगली झांकने लगे
स्पष्ट हो गया कि सीवर लाइन को कई स्थानों पर ध्वस्त करते हुए बिजली का केबल बिछाया गया है। मलदहिया चौराहा से लोहामंडी तक करीब 750 मीटर तक 33 केवीए की केबल लाइन गुजारी गई है। इस गलत कार्य के दौरान सीवर लाइन का मैनहोल, पाइप आदि क्षतिग्रस्त हो गया। इससे इलाके में सीवर ओवरफ्लो की समस्या हो गई है। जब मामला उजागर हुआ तो टाटा कंपनी के अफसर बगली झांकने लगे। पूरे प्रकरण को गंभीर मानते हुए नगर आयुक्त ने कंपनी पर नगर निगम अधिनियम के तहत जुर्माना ठोंक दिया। मौके पर मुख्य अभियंता विद्युत, महाप्रबंधक जलकल, सचिव जलकल, अधिशासी अभियंता जलकल, अधिशासी अभियंता विद्युत व कार्यदायी संस्था टाटा के प्रतिनिधि उपस्थित थे।

पेयजल योजना को भी किया बर्बाद
जेएनएनयूआरएम के तहत पेयजल योजना के तहत बिछाई गई पाइपों को भी आइपीडीएस व गेल कंपनी ने कई स्थानों पर क्षतिग्रस्त किया है। इसको लेकर जल निगम व कार्यदायी कंपनी के अफसरों ने कई बार मामला जिला प्रशासन की मीटिंग में उठाया। नुकसान की राशि तय कर करोड़ों से अधिक रुपये की मांग पेयजल पाइप को क्षतिग्रस्त करने वाली कंपनियों से की गई लेकिन अब तक तरह-तरह के बहाने बनाकर संबंधित कंपनियां बचती रहीं। 
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