गाजीपुर: नोडल अधिकारी और सचिव के सामने खुली स्वास्थ्य विभाग की कलई
गाजीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर सरकार की ओर से गाजीपुर के नोडल अधिकारी और सचिव पीडब्ल्यूडी समीर वर्मा ने कोरोना संक्रमण की मानीटरिंग और योजनाओं का क्रियान्वयन जाना। विकास खंड जखनियां के जलालाबाद में अस्पताल का निरीक्षण कर स्वास्थ्य विभाग का हाल जाना। गंदगी और अव्यव्स्थाओं के मिलने पर नाराजगी जताई और अन्य सुविधाएं जांचने के साथ ही अग्रिम तैयारियों पर निर्देश दिए। प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र धर्मागतपुर में होने वाली बैठक भी अस्पताल की बदहाली को देखते हुए जलालाबाद स्थित माडल प्राथमिक विद्यालय में की गयी। लॉकडाउन में जिले में सख्ती, नियमों का पालन और क्रियान्वयन की जानकारी ली।
संचारी रोगों व कोविड-19 की जनजागरूकता के लिए सचिव पीडब्ल्यूडी समीर वर्मा को गाजीपुर भेजा गया है। रविवार को जलालाबाद अस्पताल में जांच के दौरान स्वास्थ्य कर्मियों और एनएम उन्हें सवालों पर सही जानकारी नहीं दे सके। रविवार की सुबह साढ़े दस बजे पीडब्ल्यूडी के सचिव समीर वर्मा के पहुंचने के तीन घंटे पहले ही वहां अधिकारियों का जमावड़ा लग गया था। सचिव ने एएनएम, आशा और आंगनबाड़ी से पूछताछ शुरू की, तो स्वास्थ्य विभाग की कलई खुल गई। आंगनबाड़ी व आशा थर्मल स्क्रीनिंग के बारे में नहीं बता सकीं। एएनएम से मिजिल्स के टीकाकरण के बारे में पूछा गया, तो नहीं बता पायी। ड्यूलिस्ट में कितने बच्चे हैं यह भी जानकारी एएनएम नहीं दे पायीं। 19 आंगनबाड़ी में से केवल एक ही आंगनबाड़ी मौके पर पहुंची थी।
जब दवा छिड़काव के बारे में पूछा गया, तो सीएमओ व एडीओ ने दो तरह के जवाब दिए। एडीओ ने बताया कि दवा दुकान से खरीदी जाती है, जबकि सीएमओ डा. जीसी मौर्या ने बताया कि ब्लाक पर दवा भेजवाया जाता है। गांव में दवा छिड़काव के बारे में स्पष्ट जानकारी नहीं मिली। जांच को पहुंचे नोडल अधिकारी नाराज हो गए। लापरवाहों पर चेतावनी देते हुए एक सप्ताह में फीडबैक की बात कही। अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि इस तरह के अभियान की दैनिक समीक्षा होनी चाहिए। दैनिक समीक्षा में सभी अधिकारियों और कर्मचारियों के उपस्थित होना अनिवार्य है। जो कर्मचारी जनता तक पहुंचता है, उसे इसके बारे में पूरी जानकारी होनी चाहिए कि किस तरह से लोगों को जागरूक किया जाए। इस दौरान सीएमओ जीसी मौर्या, डीपीआरओ अनिल कुमार सिंह, एसडीएम सूरज कुमार यादव, बीडीओ संदीप श्रीवास्तव, तहसीलदार रामसुधार, ग्राम प्रधान प्रतिनीधि संतोष गुप्ता आदि मौज़ूद रहे।
नोडल अधिकारी की जांच में कोरोना व संचारी रोगों की रोकथाम के लिए स्वास्थ विभाग तैयारी की पोल खुल गई। उन्होंने कहा कि कर्मचारियों को सामान्य और व्यवहारिक जानकारी नहीं दिखी और कर्मचारी बुखार का तापमान नहीं बता सके। कितने फारेनहाइट पर व्यक्ति को बुखार होता है और कितने पर नहीं, के सवाल पर जानकारी स्वास्थ्य विभाग के कर्मियों को नहीं आता।