ज़रा ध्यान दे! संक्रमित अंगों के अनुसार ही अलग-अलग दिखता है कोरोना का लक्षण
गाजीपुर न्यूज़ टीम, वाराणसी। कोरोना वायरस शरीर के भीतर न केवल फेफड़ा बल्कि हृदय, किडनी, आंत और तंत्रिका तंत्र को भी नुकसान पहुंचा रहा है। वायरस का अलग-अलग अंगों पर प्रभाव पडऩे से कोरोना के विभिन्न तरह के लक्षण भी देखे जा रहे हैं। सर्दी जुकाम और सांस फूलने संबंधित लक्षण के अलावा पेट खराब होना, सर दर्द, उल्टी, दस्त आदि समस्या भी देखी जा रही है। आइएमएस-बीएचयू के पूर्व माइक्रो बायोलॉजिस्ट प्रो. टीएम महापात्रा के मुताबिक एक्यूट किडनी इंजरी हो तो डायलिसिस वाले मरीजों को ज्यादा सावधान रहने की जरूरत है। आंत में संक्रमण फैलने से पाचन तंत्र खराब हो जाता है, जिससे डायरिया और हैजा संबंधित बीमारी के रूप में कोरोना के लक्षण उभर कर सामने आते हैं।
मस्तिष्क में ब्लड ब्रेन बैरियर किसी भी वायरस को वहां तक पहुंचने से रोकता है
वहीं जब इसकी जद में हृदय आता है तो यह मायोकाॢडटिस के रूप में हृदय की मांसपेशियों में सूजन को बढ़ाता है। वहीं कोरोना अपने सबसे विभत्स स्वरूप में साइटोकाइन स्टॉर्म की दशा में होता है। इसमें समस्त अंग को नुकसान पहुंचाने लगता है, जिसमें मस्तिष्क भी शामिल है। हालांकि आमतौर पर मस्तिष्क में ब्लड ब्रेन बैरियर रहता है, जो कि किसी भी वायरस को वहां तक पहुंचने से रोकता है।
अलग लक्षणों में ये दवाएं हैं कारगर
प्रो. टीएम महापात्रा कहते हैं कि वायरल इंफेक्शन, मलेरिया, एचआइवी, साइटोकाइन स्ट्रॉम जैसे लक्षण भी कोरोना पॉजिटिव मरीजों में देखे जा रहे हैं। वायरल इंफेक्शन यानी कि सर्दी-खांसी में यह सामान्य तौर पर ठीक हो जाता है, लेकिन जब यह बैक्टीरियल लक्षण प्रदर्शित करता है, तो उच्च क्षमता के एंटीबायोटिक जैसे डॉक्सी साइक्लीन या एजीथरोमाइसीन दवा से रोगियों को नियंत्रित किया जा सकता है। जब कोविड एचआइवी वायरस की तर्ज पर मरीज में लक्षण प्रदर्शित करता है तो, लिंफोसाइट काउंट व सीडी-4 सेल काउंट घट जाता है। इस दशा में एंटी एचआइवी दवाएं रोगियों को दी जा सकती हैं।