गोरखपुर में लोकार्पण होते ही उखड़ने लगा 16 करोड़ की लागत से बने पुल का एप्रोच मार्ग
गाजीपुर न्यूज़ टीम, गोरखपुर। गोरखपुर के जैतपुर-कैली मार्ग के गाडर और शाहिदाबाद के मध्य आमी नदी पर बने पुल का एप्रोच मार्ग लोकार्पण के 20 दिन के भीतर ही उखड़ गया। तकरीबन 16 करोड़ की लागत से यूपी राज्य सेतु निगम लिमिटेड ने जून में ही निर्माण पूरा किया था। उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या ने 30 जून को इसका ऑनलाइन लोकार्पण किया था। एक पखवारे में ही पुल के निकट एप्रोच मार्ग पर बनी रिटेनिंग वॉल और पहुंच मार्ग की पटरी बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई।
गाड़र गांव की तरफ पुल से जुड़े एप्रोच मार्ग की रिटेनिंग वॉल दोनों तरफ तकरीबन 200 मीटर लम्बाई में क्षतिग्रस्त हो गई है। बारिश में बड़े-बड़े रेनकट हो गए हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि यदि बारिश का पानी निकलने के लिए नालियों के निर्माण और गुणवत्ता का ध्यान रखा जाता तो यह समस्या नहीं होती। इसी तरह शाहिदाबाद की ओर भी रिटेनिंग वॉल क्षतिग्रस्त है। अब पुल पर लोगों का आवागमन शुरू है, अंधेरे में हादसे की आशंका भी बनी रहती है। हालांकि जेई केडी सिंह का कहना है कि एप्रोच मार्ग की रिटेनिंग वाल और क्षतिग्रस्त एप्रोच मार्ग की मरम्मत के लिए ठेकेदार को निर्देश दिए गए हैं। जल्द ही मरम्मत करा दी जाएगी।
जमीन अधिग्रहण के कारण अटका था पहुंच मार्ग
106.88 मीटर लम्बाई में पुल का निर्माण किया जाना था। 16 करोड़ में 6.50 करोड़ पुल निर्माण पर खर्च हुए। 9.50 करोड़ पहुंच मार्ग, अतिरिक्त पहुंच मार्ग और सुरक्षात्मक कार्यों पर खर्च किए गए। 3 मार्च 2018 को पुल निर्माण पूरा हो गया लेकिन पहुंच मार्ग का निर्माण भूमि अधिग्रहण में विलम्ब से फरवरी 2020 की डेडलाइन तक सिर्फ 44 फीसदी ही हो सका। लॉकडाउन से निर्माण कार्य प्रभावित रहा। 22 मार्च के बाद काम शुरू कर सेतु निगम ने 6 जून को एप्रोच मार्ग का निर्माण पूरा किया।
7 किमी कम हो गई सहजनवा और खजनी की दूरी
पिपरौली संवाद के मुताबिक इस पुल के बनने से खजनी और सहजनवा की दूरी 7 किमी कम हो गई है। पुल निर्माण से सतुआभार, डोडो, शाहिदाबाद, बसिया खोर, अहिरौली, राउत डाडी, उसवां, तड़सड़ के ग्रामीण अब नाव की बजाए सड़क मार्ग से मजदूरी के लिए गीडा पहुंच रहे हैं। पहले अड़िलापार पुल और सहजनवा होते हुए घूम कर गीडा पहुंचते थे। नदी इस पार के गांव गाड़र, कटका, कैली, कोल्हुई, तेनुअन, बेलवाडाड़ी, बनौड़ा के लोग जिन्हें खजनी जाना होता था, जैतपुर होकर जाना पड़ता था। इस कारण उन्हें 5 किलोमीटर का अतिरिक्त सफर तय करना पड़ता था।