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बेटी जन्मी तो पति व सास ने सात हजार में बेच दिया

गाजीपुर न्यूज़ टीम, वाराणसी. वाराणसी में रामनगर के मच्छरहट्टा वार्ड में मंगलवार को सनसनीखेज मामला सामने आया है। पेंटिंग करने वाले एक परिवार में बेटी के जन्म के तीन दिन बाद उसे सात हजार रुपए में बेच दिया गया। तर्क दिया कि ठीक तरह से परवरिश नहीं हो पाने के कारण यह कदम उठाना पड़ा। इसकी जानकारी नवजात की मां को हुई तो वह तड़प उठी। उसने रामनगर थाने में पति-सास एवं देवर के खिलाफ तहरीर दी है। 

पेंटिंग करने वाला अपने छोटे भाई, मां, पत्नी के साथ किराए के मकान में रहता है। महिला को पहले से ही दो लड़का एवं एक लड़की है। बीती दो जुलाई को महिला ने चौथी संतान के रूप में बच्ची को जन्म दिया। इससे सास, पति एवं देवर नाखुश हो गए। तीनों ने साजिश रची। 

महिला से कहा गया कि बच्ची की परवरिश अच्छे तरीके से हो सके इसलिए इसे ननद को दे दिया जाए। बाद में तीनों ने सादे स्टांप पेपर पर हस्ताक्षर करवा लिया। नवजात मां की गोद में महज तीन दिन रही। पांच जुलाई को उसे बेच दिया गया। एक सप्ताह बाद ननद जब घर आयी तो मालूम हुआ कि बच्ची तो उसके पास आयी ही नहीं। पता चला कि तीनों ने कानपुर के एक नि:संतान दंपती को सात हजार रुपए में बच्ची बेच दी है। 

महिला ने जब पूछताछ की तो उसे स्टांप पेपर पर दिखाते हुए कहा गया कि उसने रजामंदी दी थी। इस पर वह बिलखने लगी और बेटी वापस लाने की मांग करने लगी। प्रभारी निरीक्षक नरेश कुमार का कहना है मामला ह्यूमन ट्रैफिकिंग का नहीं है। इसमें महिला के परिजनों ने कानपुर में एक दंपती को बच्ची बेच दी है। मामले की जांच की जा रही है। 

ननद ने भी बच्ची लेने से कर दिया इनकार 
रामनगर। महिला की ननद को जब पता चला कि बेटी जन्मी है तो उसने परवरिश से इनकार कर दिया। दरअसल महिला को चौथी संतान होने के पहले ही उसकी ननद ने कहा था कि इसकी परवरिश के लिए मुझे दे देना। लेकिन लड़की होने पर उसने मना कर दिया। 

पड़ोसी ने नि:संतान पुत्री के लिए खरीदा 
रामनगर। नवजात बच्ची के मामले में पड़ोसी ही खरीदार निकला। चर्चा है कि दोनों परिवारों के बीच घनिष्ठ रिश्ता है। संबंधों का फायदा महिला की सास ने उठाया। उसने आर्थिक तंगी एवं परवरिश न कर पाने का हवाला दिया। जिस पर पड़ोसी बच्ची अपनी नि:संतान बेटी को देने पर राजी हो गया। पड़ोसी की बेटी कानपुर में रहती है।  

मां की सहमति नहीं ली, फर्जी कराया वकालतनामा 
रामनगर। नियमत कानूनी प्रक्रिया के तहत ही बच्चों को गोद लिया जा सकता है मगर रामनगर में तीन दिन की जन्मी नवजात को महज सौ रुपए का स्टांप पेपर पर ही बेच दिया गया। बेचने का करार नवजात के पिता एवं दूसरे पक्ष की महिला के साथ हुआ है। जबकि सेंट्रल अडॉप्शन रिसोर्स अथॉरिटी के मुताबिक, किसी बच्चे को गोद लेने के लिए सबसे पहले सभी कागजी कार्रवाई जरूरी है। साथ ही मजिस्ट्रेट स्तर के अधिकारी के समक्ष बयान के बाद ही किसी को बच्चा दिया जा सकता है। पुलिस का कहना है रुपये के चक्कर में गलत दस्तावेज बनाया गया है। जांच के बाद दस्तावेज तैयार करने वाले के खिलाफ भी कार्रवाई होगी। 

पति बोला, आर्थिक तंगी इतनी है कि  दूध तक पिला नहीं सकता 
महज तीन दिन के बेटी को बेचने वाले पिता के चेहरे पर कोई पश्चाताप नहीं दिखा। वही बेटी की माँ का रो-रोकर बुरा हाल है। बच्ची के पिता का कहना है कि लॉकडाउन में हमेशा काम नहीं मिलता। आर्थिक तंगी इतनी है कि पहले से तीन बच्चों को दूध भी नही मिल पा रहा है। खाने के लाले पड़े है तो क्या करता। तंगी में सात हजार रुपए भी बहुत है। बोला, पहले 10 हजार मिलने वाले थे लेकिन बाद में सौदा सात पर ही तय हुआ। वहीं बच्ची की मां का कहना है कि मुझे पता नहीं था कि अपने ही मेरे साथ छल करेंगे। पता होता कि मेरी बेटी सात हजार रुपए में बेची जा रही है तो ऐसा कभी होने नहीं देती। बच्चों के साथ भीख मांग लेती लेकिन बेचती नहीं।
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