शिक्षक फर्जीवाड़े पर कांग्रेस नेता प्रियंका वाड्रा और शिक्षा मंत्री डॉ. सतीश द्विवेदी में ट्वीट वार
गाजीपुर न्यूज़ टीम, लखनऊ, उत्तर प्रदेश के शिक्षा विभाग में सामने आई अनियमितताओं को कांग्रेस बड़ा मुद्दा बनाना चाहती है। पार्टी की महासचिव व यूपी प्रभारी प्रियंका वाड्रा लगातार इस मामले पर ट्वीट कर योगी सरकार की नीयत पर सवाल उठा रहीं हैं। अब इस पर यूपी सरकार के बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. सतीश द्विवेदी ने भी प्रियंका वाड्रा पर करारा हमला बोला है।
रविवार को प्रियंका वाड्रा ने ट्वीट किया कि शिक्षा विभाग में इतने बड़े-बड़े फर्जीवाड़े हो रहे हैं तो क्या विभाग के मंत्री की जानकारी में ये नहीं था? क्या मुख्यमंत्री कार्यालय को इसकी भनक भी नहीं लगी? हैरानी की बात है कि जीरो टॉलरेंस की बात करने वाले बड़ी मछलियों को खूब टॉलरेट कर रहे हैं।
इस पर बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. सतीश द्विवेदी ने पलटवार करते हुए कहा कि आदरणीय बहन जी, यहां तो कोई मामला मुख्यमंत्री और मेरे संज्ञान में आते ही कड़ी कार्रवाई शुरू हो जाती है लेकिन, देश जानना चाहता है कि रॉबर्ट वाड्रा के जमीन घोटाले की जानकारी आपको थी या नहीं?
आदरणीया बहन जी यहाँ तो कोई मामला मा.मुख्यमंत्री जी और मेरे संज्ञान में आते ही कड़ी कार्यवाही शुरू हो जाती है लेकिन देश जानना चाहता है कि रॉबर्ट वाड्रा के जमीन घोटाले की जानकारी आपको थी या नहीं ? https://t.co/nFgLd44suB— Dr Satish Dwivedi (@drdwivedisatish) June 14, 2020
कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका वाड्रा ने इससे पहले शनिवार को ट्वीट कर सरकार की व्यवस्थाओं पर सवाल उठाए थे। उन्होंने शिक्षा विभाग के घोटालों को लेकर किया लिखा था कि यूपी सरकार की शिक्षा व्यवस्था के तंत्र से भ्रष्टाचार के मामले लगातार सामने आ रहे हैं। अनामिका के नाम पर 25 फर्जी नियुक्तियों, परिषदीय विद्यालयों की फर्जी नियुक्तियों के बाद अब मैनपुरी के कस्तूरबा गांधी विद्यालय में फर्जी नियुक्ति का मामला सामने आया है। ये सब भर्तियां किसके कार्यकाल में हुईं और अभी तक चलती कैसे रहीं? उन्होंने लिखा कि कस्तूरबा विद्यालय की नियुक्तियों में घोटाला सामने आने के बाद तो शिक्षा विभाग में अन्य घोटालों की परतें खुलने लगीं। अब परिषदीय विद्यालयों में फर्जी नियुक्तियों का मामला। नियुक्तियां 2018 में हुईं। दो साल तक ये सब चलता रहा। सच सामने आना चाहिए कि नहीं?