रेल सफर में यात्रियों को नहीं भा रहा डिब्बाबंद भोजन, मांग रहे दाल-चावल
गाजीपुर न्यूज़ टीम, गोरखपुर। इन ट्रेनों में पैंट्रीकार ट्रेनों की पैंट्रीकार में मिल रहा पैक्ड भोजन (रेडी टू ईट मील) यात्रियों को रास नहीं आ रहा है। यात्री ताजा दाल-चावल और थाली की मांग कर रहे हैं। उधर वेंडरों के सामने संकट है कि उन्हें सिर्फ पैक्ड व्यंजन बेचने के ही निर्देश हैं। वेंडरों का कहना है कि इसको लेकर काफी नोकझोंक भी होती है लेकिन रेलवे से मिले निर्देशों का पालन कर रहे हैं।
यात्रियों का कहना है कि डिब्बा बंद (रेडी टू ईट) भोजन की शुद्धता और गुणवत्ता की कोई गारंटी नहीं है। ऐसे में भोजन के समय थाली ही बेहतर विकल्प है। एक जून से शुरू हुई ट्रेन सेवा में जिन ट्रेनों में पैंट्रीकार की व्यवस्था है उनमें सिर्फ पैक्ड आइटम और रेडी टू ईंट मील की ही सप्लाई दी जा रही है। चिप्स बिस्किट तो यात्री ले रहे हैं लेकिन डिब्बा बंद भोजन से तौबा कर रहे हैं। सप्तक्रांति एक्सप्रेस के मैनेजर रोशन ने बताया कि यात्री पैंट्रीकार में चले आते हैं और खाने में दाल-चावल और नाश्ते में ब्रेड ऑमलेट और पूड़ी सब्जी की डिमांड करते हैं।
रोशन ने बताया कि उनके पास सिर्फ पैक्ड आइटम है उसमें भी सिर्फ फ्राइड राइस और खिचड़ी। ये दोनों रेडी टू ईट मील हैं। गर्म पानी डालने के बाद 10 मिनट में तैयार हो जाते हैं। इसके बावजूद यात्री इसे पसंद नहीं कर रहे हैं। रोशन का कहना है कि पैक्ड फूड की पूरे रास्ते में 20 से 25 पैकेट की ही डिमांड है। जबकि थाली मांगने वालों की संख्या 100 से ऊपर है। वेंडर जब कोच में ऑर्डर लेने जाते हैं तो अधिकतर लोग थाली की ही डिमांड करते हैं।
वैशाली एक्सप्रेस के मैनेजर सत्यम बताते हैं कि पैक्ड फूड आइटम की महज चार से पांच फीसदी यात्री डिमांड करते हैं। अधिकतर यात्री नाश्ते में ब्रेड ऑमलेट और भोजन में थाली की ही डिमांड कर रहे हैं। आईआरसीटीसी के सीआरएम अश्वनी श्रीवास्तव का कहना है कि संक्रमण से बचाव के लिए सिर्फ पैक्ड आईटम ही देने की व्यवस्था है। हालात सामान्य होने के बाद ही मेन्यू में बदलाव होगा।