स्टेशनरी व्यापार को लगा तगड़ा झटका, पिछले साल का माल भी अब तक नहीं बिका
गाजीपुर न्यूज़ टीम, वाराणसी, पहले स्टेशनरी की दुकानों पर बच्चों-अभिभावकों की भीड़ जुटती थी। किसी को कॉपी लेनी होती तो किसी को पेसिंल। ये नजारा इस बार गुम है। स्कूलों की बंदी में स्टेशनरी का कारोबार कैद है। कोरोना वायरस के कारण लॉकडाउन ने स्टेशनरी बाजार की गति रोक दी। अब जब अनलॉक हुआ तो भी वही स्थिति है। संक्रमण से बचने के लिए अभी स्कूल व कॉलेजों द्वारा ऑनलाइन पढ़ाई की व्यवस्था की गई है। इसके कारण कॉपी की बिक्री शून्य है। पिछले साल का माल भी अभी तक नहीं बिका है। जबकि दुकानदारों ने हर बार की तरह फरवरी में स्टॉक जमा कर लिया था, ताकि जैसे ही परीक्षाएं खत्म हों तो बच्चे अगले क्लास के लिए कॉपी खरीद सकें। मार्च में अचानक लॉकडाउन हो जाने से सारी चीजें ठप हो गईं।
ये है कॉपियों के दाम
बच्चों की ऑनलाइन पढ़ाई होने से अब वो अपने कंप्यूटर व लैपटॉप में ही नोट््स रखने लगे। एक कॉपी ही उनके लिए काफी है। मगर इससे स्टेशनरी व्यापार को चपत लग रही। होलसेल में अंग्रेजी, हिंदी, गणित, विज्ञान की 120 पेज की कॉपी की कीमत 25 रुपये है। 172 पेज की कॉपी 39 रुपये की है। ऊंची कक्षा की 120 पेज की विज्ञान की कॉपी व रजिस्टर की 32 और 172 पेज की कीमत 42 रुपये है। इस साल कॉपियों का दाम नहीं बढ़ा है। गतवर्ष के रेट पर कॉपियां बिक रही। ये पुराना रेट है।
पुराने रेट पर ही बिक रही कॉपियां
जालपा देवी के होलसेलर का कहना है कि कोरोना के कारण स्टॉक में रखा पुराना माल ही निकालना अभी चुनौती है। ऐसे में पुराने रेट पर ही कॉपियां बिक रही हैं। नया माल नहीं मंगा रहे। गतवर्ष कॉपियों की 70 फीसद से ज्यादा बिक्री हुई थी। इस बार अभी तक शून्य बिक्री है। ऑनलाइन पढ़ाई से बच्चों को कॉपियों की जरूरत नहीं पड़ रही। स्कूल न खुलने से स्टेशनरी व्यवसाय को काफी नुकसान हो रहा है। स्टेशनरी कारोबारी कर्णघंटा अक्षय कुमार मल्होत्रा ने बताया कि गत वर्ष की लगभग पांच लाख रुपये की कापियां नहीं बिकी हैं। इस कारण कापियां पुराने दाम पर ही बिक रही हैं। नया माल तब मंगाते जब मांग होती। अभी तो स्कूल, कॉलेज न खुलने से बाजार से रौनक गायब है। अप्सरा पेंसिल के बारह पीस का पैकेट पहले पांच रुपये में था अब छह रुपये हो गया है। सैकड़े में पेंसिल के दाम में 10 से 15 रुपये तक की वृद्धि हुई है।