आटे की सप्लाई का ठेका दिलाने के नाम पर 9.72 करोड़ की ठगी में मंत्री के प्रधान निजी सचिव समेत सात गिरफ्तार
गाजीपुर न्यूज़ टीम, लखनऊ। आटे की सप्लाई का ठेका दिलाने के नाम पर 9.72 करोड़ रुपए हड़पने के मामले में एसटीएफ ने पशुधन राज्य मंत्री के प्रधान निजी सचिव रजनीश दीक्षित सहित सात लोगों को गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तार आरोपियों में पशुपालन विभाग के कर्मचारी धीरज कुमार देव, उमाशंकर तिवारी, पत्रकार एके राजीव उर्फ अखिलेश कुमार, आशीष राय, अनिल राय और आशीष के चचेरे भाई रूपक राय शामिल हैं। इस मामले में 11 लोगों के खिलाफ हजरतगंज कोतवाली में एफआईआर दर्ज करायी गई थी।
यह पूरा फर्जीवाड़ा सचिवालय के एक कमरे में चलता रहा, जिसमें सहायक समीक्षा अधिकारी उमेश मिश्र, संविदाकर्मी, लखनऊ में तैनात हेड कांस्टेबल दिलबहार सिंह यादव और होमगार्ड भी शामिल थे। पूरे फर्जीवाड़े में एसटीएफ की जांच के दायरे में दो आईपीएस समेत चार अन्य सरकारी कर्मचारी भी है। उधर पुलिस कमिश्नर सुजीत पाण्डेय ने आरोपी हेड कांस्टेबिल को निलम्बित कर दिया है।
एसटीएफ और हजरतगंज पुलिस इस मामले में अन्य आरोपियों की तलाश कर रही है। आरोपियों के पास कई फर्जी दस्तावेज, कोविड प्रवेश पास और 28 लाख 32 हजार रुपये और दो लग्जरी वाहन बरामद हुए हैं। इनमें से एक वाहन आईएएस अफसर का बताया जाता है। एसटीएफ के आईजी अमिताभ यश के मुताबिक इन सब आरोपियों ने इंदौर के पुरनिया कालोनी निवासी मंजीत सिंह भाटिया को पशुधन विभाग में आटे का ठेका दिलाने के नाम पर अपने जाल में फंसाया था। मंजीत के साथ फर्जीवाड़ा पूरी साजिश के तहत किया गया।
इसका पूरा जाल एक इलेक्ट्रॉनिक चैनल में पत्रकार आशीष राय, अनिल राय, एके राजीव और सहायक समीक्षा अधिकारी उमेश मिश्र ने बुना था। इसमें अलग-अलग स्तर पर कई लोग शामिल थे जिन्होंने कई और लोगों के साथ ठगी की है। आटा फैक्ट्री के मालिक मंजीत भाटिया ने कहा कि वर्ष 2018 में आरोपियों से उन्हें संतोष शर्मा व वैभव ने मिलवाया था। कहा था कि मंत्री से मिलवाया जायेगा और 292 करोड़ रुपये का वर्कआर्डर मिल जाएगा।
मंजीत को इन लोगों ने कई करोड़ रुपये का यह ठेका दिलाने का झांसा दिया था। जब मंजीत लखनऊ आया तो ये लोग उसे एक लग्जरी गाड़ी में सचिवालय ले गये। वहां कई लोगों से मिलवाया। इस पर वह इन पर शक ही नहीं कर सका। इसी झांसे में वह अलग-अलग समय में नौ करोड़ 72 लाख रुपये इन्हें दे बैठा। इन लोगों ने मंजीत को फर्जी वर्कआर्डर भी दे दिया था। जब असलियत सामने आयी तो उसने इन लोगों से विरोध जताया और रुपये लौटाने को कहा। रुपये न देने पर मंजीत सिंह ने शासन में शिकायत की थी। इसके बाद ही एसटीएफ ने इस पूरे मामले की जांच शुरू की थी।
एसीपी अभय मिश्र ने बताया कि 11 आरोपियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 406, 419, 420, 467, 468, 471, 120 बी और भ्रष्टाचार अधिनियम के तहत एफआईआर दर्ज की गई है।
ये लोग बने आरोपी
रजनीश दीक्षित, एके राजीव, धीरज कुमार देव, आशीष राय, उमेश मिश्र, रघुवीर यादव, विजय कुमार, मोन्टी गुर्जर, रूपक राय, संतोष मिश्र, अमित मिश्र, उमाशंकर तिवारी, हेड कांस्टेबिल दिलबहार सिंह यादव, अरुण राय और अनिल राय।