चीन और नेपाल को मुंहतोड़ जवाब देने का निर्णय ले सरकार- अफजाल अंसारी
गाजीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर। सांसद अफजाल अंसारी ने बताया कि जहां एक तरफ दुनिया कोरोना महामारी के बढ़ते प्रकोप से चिंतित है और भारत में भी इस संक्रमण से ग्रसित लोगों की बढ़ती हुई गिनती जो अब लगभग साढ़े तीन लाख तक पहुंच चुकी है, इस प्रकार बीमारी से प्रभावित रोगियों की संख्या में जहां पहले भारत का नम्बर 41 पर था किंतु अब भारत चौथे नम्बर पर पहुंच चुका है। इस प्रकार बेतहाशा हो रही वृद्धि गंभीर खतरे का संकेत दे रही है। दूसरी तरफ ऐसी विकट परिस्थिति में हमारे देश की सीमा पर पड़ोसी देशों द्वारा बदनियति से भारत की सीमा से लगातार छेड़छाड़ करने की घटना देश की आम जनता के लिए गंभीर चिंता का विषय बन चुकी है।
नेपाल ने अपनी संसद में भारत के तीन द्वीपों को नेपाल से जोड़ लेने और भारत के नक्शे को छोटा कर देने का दुष्साहसिक कदम उठाकर एक बड़ा चैलेंज खड़ा कर दिया है, और चीन के सैनिक कथित रुप से 60 किलोमीटर तक भारतीय सीमा में घुसकर एलएसी की सीमा का खुलेआम उल्लंघन कर चुके हैं, इस घुसपैठ से चीन अपने सैनिकों को वापस हटाने के लिए बातचीत के रास्ते को अपनाने का ढोंग रच कर अचानक धोखे से भारतीय सीमा में भारतीय सैनिकों पर हमला कर के पहले तीन और अब बताया जा रहा है कि 20 से अधिक भारतीय सैनिकों जिनमे सेना के बड़े अधिकारी भी हैं हत्या कर दी है।
देश की जनता यह मानती है कि भारतीय सैनिकों के इस बलिदान के बाद भी चीन को उसी की भाषा में जवाब न देने का कारण सीमा पर तैनात हमारे वीर सैनिकों की इच्छा शक्ति पर निर्भर नही करता, क्योंकि अपनी सेना की बहादुरी और शौर्य पर हमारे देश के नागरिकों को अटूट विश्वास है। ऐसा प्रतीत होता है कि सीमा पर उत्पन्न स्थिति के लिए हमारे वीर सैनिक जिम्मेदार नही है बल्कि दिल्ली में बैठे कर व्यवस्था चलाने वाले वे लोग जो आये दिन बड़बोली और अपने जुमलों के लिए मशहूर हैं इनके लिए वे तथाकथित 56 इंच का सीना होने का दम भरने तथा लाल-लाल आंखे दिखाने की कहावत याद दिलाने वाले लोग ज्यादा जिम्मेदार हैं।
बहरहाल अब यह समय विवादित बयान देने का नही बल्कि हर मतभेद को भुलाकर देश को एकजुट होकर आक्रमणकारियों को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए अपनी बहादुर सेना को परिस्थिति के अनुसार जवाबी कार्रवाई करने की छूट देने का है। इस विषम परिस्थिति में अगर सही समय पर उचित निर्णय नही लिये गये तो हमारी अखंडता और सम्प्रभुता को बड़े संकट का सामना करना पड़ सकता है। मेरा मानना है कि चीन से कूटनीति के साथ-साथ उसका मुकाबला करने और उसी की भाषा में उसका जवाब देने की नीति को लेकर आगे बढ़ने की जरुरत है। और तुरंत माननीय प्रधानमंत्री जी को विपक्षी नेतागण के साथ बैठक कर के उन्हे भी विश्वास में लेकर देश की जनता के सामने अपना पक्ष तत्काल रखने की जरुरत है। हमारी अपील है कि इस घटना में शहीद हुए भारतीय सेना के अधिकारी और जवानों को सम्पूर्ण देश एकजुट होकर श्रद्धांजलि दे और सेना का मनोबल बढ़ाये ताकि हमारी सेना देश की आन-बान-शान और सीमा रक्षा के लिए और तत्पर हो।