सहारनपुर में मिला हाथी का 50 लाख साल पुराना जबड़ा, डायनासोर के काल का है जीवाश्म
गाजीपुर न्यूज़ टीम, सहारनपुर। उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले में स्थित शिवालिक की पहाड़ियों में हाथी का 50 लाख साल से भी अधिक पुराने जबड़े का जीवाश्म मिला है। वन विभाग व डब्लूडब्लूएफ के सर्वेक्षण में यह जीवाश्म हिप्पोपोटेमश व डायनासोर के समकालीन हाथियों की स्टेगोडॉन प्रजाति का पाया गया है। इस अनूठी विरासत से वन विभाग भी गदगद हैं।
मंडल के वन संरक्षक वीके जैन ने बताया कि डब्लूडब्लूएफ (वर्ल्ड वाइड फंड फॉर नेचर एंड कंजर्वेशन) की मदद से शिवालिक में पिछले कई माह से कैमरा ट्रेप विधि से तेंदुओं व हाथियों के विशेष सर्वेक्षण का काम चल रहा है। इस दौरान वन संरक्षक वीके जैन व डब्लूडब्लूएफ कोर्डिनेटर डॉ आईपी बोपन्ना को बादशाही बाग से 4 किलोमीटर दूर डाठा स्रोत के किनारे से यह जीवाश्म मिला। वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी देहरादून की जांच में फोसिल्स हाथियों की विलुप्त हो चुकी स्टेगोडॉन प्रजाति का पाया गया हैं। शिवालिक ही नहीं, पूरे क्षेत्र में यह पहली बार हैं कि हिमाचल, जम्मू व नेपाल की तलहटी में पाई जाने वाले स्टेगोडॉन प्रजाति के जीवाश्म शिवालिक में पाए गए हैं।
50 लाख साल से भी अधिक पुराना है जीवाश्म
वन संरक्षक वीके जैन ने बताया कि वह खुद भी वाडिया इंस्टिट्यूट गए थे, जहां सीनियर साइंटिस्ट डॉ आरके सहगल व रिटायर्ड साइंटिस्ट डॉ एसी नंदा आदि ने अपनी स्टडी व म्यूज़ियम में विभिन्न जीवाश्मों से मिलान आदि के बाद फोसिल्स को विलुप्त हो चुकी स्टेगोडॉन प्रजाति का 50 लाख साल से भी अधिक पुराना बताया है। वन संरक्षक वीके जैन ने कहा कि हाथी जीवाश्म मध्य शिवालिक यानि बादशाही बाग रेंज से 3-4 किमी दूर डाठा सौत जगह से मिला है जो पहाड़ियों के टूटने या फिर पानी में बह कर आया होगा, ऐसा माना जा रहा है।
डायनासोर के समकालीन है जीवाश्म
वाडिया इंस्टीट्यूट के अनुसार, यह स्टेगोडॉन प्रजाति हिप्पोपोटेमश व डायनासोर के समकालीन हैं। जीवाश्म (जबड़े के चबाने वाले नीचे के दांत) का है, जो 24 सेमी. चौड़ाई का हैं। स्टेगोडॉन प्रजाति के हाथी दांत की लंबाई 12 से 18 फुट होती थी।
कभी बहुत समृद्ध था शिवालिक का इतिहास
हाथी की 50 से 80 लाख साल पुरानी प्रजाति के जीवाश्म के पाए जाने से साफ है कि शिवालिक का इतिहास कभी बहुत समृद्ध रहा है। वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के वैज्ञानिकों के अनुसार जीवाश्म के अध्ययन से पता चलता है कि यह मध्य शिवालिक की धोकपठान फॉर्मेशन का हैं जिससे साफ है कि उस वक्त भी शिवालिक बहुत घने जंगलों व नदी जल स्रोतों की बहुतायत वाला क्षेत्र रहा हैं।
A fossil of an elephant has been discovered from the Siwalik sediments exposed in the vicinity of Badshahi Bagh in Saharanpur. Fossil is from Dhok Pathan formation of Siwalik. Age of the specimen may range from 5 to 8 million yrs: VK Jain, Chief Conservator of Forest, Saharanpur pic.twitter.com/Hyd1bWvZln
— ANI UP (@ANINewsUP) June 19, 2020