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दो साल से भटक रहे युवक को फेसबुक ने दो घंटे में परिवार से मिलवाया

गाजीपुर न्यूज़ टीम, वाराणसी। बस्ती जिले का हाईस्कूल टॉपर रहे अनिल यादव के घर में गुरुवार को त्योहार एक साथ ही लौट आए। आखिर हो भी क्यों ने दो साल से लापता बेटा जो मिल गया। अनिल दो साल से लापता था और उसकी तलाश करते करते उसके परिजन अब निराश होने लगे थे। गुरुवार की दोपहर काशी के जुझारू युवा अमन के फोन कॉल से पता चला कि अनिल जिंदा है। अर्द्धविक्षिप्त अवस्था में संकट मोचन मंदिर के पीछे साकेत नगर में मंदिर की चहार दीवारी के पास सड़क पर पड़ा मिला। दो साल से लापता बेटे से परिजनों को फेसबुक ने दो घंटे में मिलवा दिया।

वाराणसी के समाजसेवी अमन कबीर को उनके परिचत विनय तिवारी ने बताया कि कुछ दिनों से एक अक्षविक्षिप्त युवक कॉलोनी में पड़ा है। जानकारी मिलते ही अमन प्राथमिक चिकित्सा सुविधाओं से लैस अपनी बाइक से मौके पर पहुंचे। अमन ने उससे बातचीत में नाम पता पूछने की कोशिश की लेकिन वह बार बार अमन को घूरता और फिर खुद में खो जाता। अमन ने बात करने के लिए जोर दिया तो अनिल अचानक अंग्रेजी में बात करने लगा। इसी दौरान उसने अपनी जेब से कुछ कागज निकाले। उन कागजों में उसका आधार कार्ड भी था।

अमन ने आधार कार्ड के विवरण के साथ युवक की तस्वीर अपने फेसबुक प्रोफाइल पर दोपहर में डाली। एक घंटा भी नहीं बीता थे कि बस्ती जनपद के एक व्यक्ति ने अमन से संपर्क किया। उसने बताया कि वह अनिल के गांव सुगिया के ही रहने वाला है। उस व्यक्ति ने युवक अनिल यादव के घर पहुंचकर उसके परिजनों से अमन की बात कराई। उसके कुछ ही देर बाद अनिल के पिता राम प्रकाश यादव का फोन आया। बेटे की सलामती की खबर पाकर वह फोन पर ही रो पड़े। अमन द्वारा भेजी गई तस्वीर और आधार कार्ड देखने के बाद उन्होंने उसकी पहचान अपने बेटे अनिल के रूप में की। वह छुट्टी लेकर जल्द से जल्द बनारस पहुंचने वाले हैं। इधर रात आठ बजे तक अमन अनिल को मना कर अपने घर ले जाने की कोशिश करता रहा लेकिन अनिल उसके साथ जाने को तैयार नहीं हुआ।

हेडकांस्टेबल राम प्रकाश यादव ने बताया कि दो साल पहले अनिल बीसीए की काउंसिलिंग के लिए बीएचयू आया था। यहां कुछ सप्ताह रह कर लौटने के बाद उसने लखनऊ में बीसीए करने की बात बताई। घर से 50 हजार रुपए लेकर वह लखनऊ के लिए निकला था। उसके बाद से उसका हमारा संपर्क ही टूट गया। उसने लखनऊ के जिस कॉलेज का नाम बताया था वहां भी जानकारी की गई लेकिन वहां उसने प्रवेश लिया ही नहीं।
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