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श्रमिकों को बड़ा लालच देकर ले जा रहे बाहर के उद्यमी

गाजीपुर न्यूज़ टीम, कानपुर. कोरोना काल के बीच फैक्ट्रियां तो चालू हो गईं पर उद्यमियों के सामने नई समस्या खड़ी हो गई है। उन्हें प्लांट के साथ कामगारों की सुरक्षा भी करनी पड़ रही है। मजे की बात है कि कामगारों की जान-माल को खतरा नहीं बल्कि कोई बड़ा लालच देकर न ले जाए, ये चिंता उद्यमियों को खाए जा रही है। पिछले तीन हफ्ते में पान मसाला और साबुन से जुड़ी इकाइयों में कामगारों को तोड़ने के लिए सेंधमारी हो चुकी है। 80 से ज्यादा कामगारों को दूसरे शहरों के उद्यमी ले जा चुके हैं। इस चक्कर में मसाले की दो और साबुन की एक फैक्ट्री में दो दिन ताला लगा रहा।

पान मसाले और साबुन इकाइयों में खींचतान : कानपुर में पान मसाले के सात बड़े ब्रांड और एक दर्जन छोटे ब्रांड्स की इकाइयां हैं। इससे हर साल 1200 करोड़ का जीएसटी मिलता है। इसी तरह साबुन व डिटर्जेंट की छोटी-बड़ी 30 से ज्यादा फैक्ट्रियां हैं। इनसे भी 900 करोड़ रुपए जीएसटी प्राप्त होता है। दोनों सेक्टरों में कुशल कामगार हैं। इन इकाइयों में काम करने वाले ज्यादातर कामगार दो सौ किमी के दायरे में रहते हैं इसलिए शहर में इकाइयां काफी पहले से चल गई थीं। गाजियाबाद, नोएडा, दिल्ली में स्थितियां अलग हैं। वहां कामगारों का संकट है इसीलिए इस ट्रेड से जुड़ी वहां की इकाइयों ने कनपुरिया लेबरों पर नजरें गड़ा दीं।


ठेकेदार एक को दिलाते हैं काम, वही तोड़ लाता
एक पान मसाला कारोबारी के मुताबिक लेबर कांट्रेक्टरों ने अपने एक-एक आदमी को मजदूर बनाकर फैक्ट्रियों में काम दिलवा दिया। उस आदमी का काम लेबरों से संपर्क कर सौदेबाजी करना होता है। यहां 600 रुपए रोज मिलते हैं तो उसने 750 रुपए रोज का ऑफर देकर तोड़ा। तोड़ने वाले आदमी को प्रति लेबर एक हजार रुपए फीस मिलती है। इसीलिए ज्यादा से ज्यादा स्किल्ड लेबर तोड़ना उसका लक्ष्य रहता है। इसका खुलासा तब हुआ, जब एक उद्यमी की फैक्ट्री से लगातार तीन दिन में 38 लेबर कम हो गए। उसने काम कर रहे सेंधमार को पकड़ा और पूरे नेटवर्क का खुलासा हुआ। उसने बताया कि रातोंरात भौंती हाईवे या पनकी हाईवे पर बस लगाकर लेबरों को भेज देते हैं।

इस सेंधमारी को रोकने के लिए उद्यमियों ने दादानगर, पनकी में किराये पर खाली गोदाम लिए हैं। यहां श्रमिकों को रुकवाया जा रहा है। फैक्ट्री से बाहर निकलने पर रोक है और गोदाम से भी बाहर निकलने पर रोक है। उनके खाने-पीने और देखरेख के लिए सुपरवाइजरों को लगाया गया है। सुरक्षा के लिए गार्ड भी तैनात किए गए हैं। इस आवभगत से कामगारों की मौज हो गई है।

कानपुर पान मसाले का गढ़ है। यहां इस ट्रेड से जुड़े स्किल्ड लेबर ज्यादा हैं। कुशल कामगारों का संकट कम होने के कारण शहर की इकाइयां पहले चल गईं लेकिन दूसरे शहरों की नहीं चल पा रही हैं। यही वजह है कि शहर के कुशल कामगारों को अन्य शहरों के ठेकेदार रातोरात तोड़कर ले जा रहे हैं। अपने लेबरों की सुरक्षा करना पड़ रही है। - राकेश अग्रवाल, पान मसाला उद्यमी

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