यूपी की वित्तीय हालात सुधारने के लिए कई खर्चों में 50% तक कटौती पर विचार कर रही योगी सरकार
गाजीपुर न्यूज़ टीम, लखनऊ. कोरोना लॉकडाउन से बिगड़े राज्य के वित्तीय हालात को सुधारने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार कई बिंदुओं पर विचार कर रही है। पहली कोशिश यह है कि सोशल डिस्टेंसिंग लागू रखते हुए औद्योगिक और कारोबारी गतिविधियां राज्य में पूरी तरह बहाल हों, ताकि आर्थिक गतिविधियां पटरी पर लौटनी शुरू हों। वहीं वित्तीय संसाधनों को जुटाने और सरकार के आर्थिक बोझ को कम करने के लिए कई तरह के खर्चों का बजट आधा किए जाने पर भी गंभीरता से विचार किया जा रहा है। ये वे खर्चे हैं जिससे आम आदमी सीधे प्रभावित नहीं होता है।
ऐसे खर्चों में विभागों द्वारा नए वाहनों की खरीद, गाड़ियों के पेट्रोल का खर्च और अनुरक्षण, आतिथ्य व्यय, गुप्त सेवा व्यय, मशीने साजसज्जा उपकरण, पूंजीगत परिसंपत्तियों के सृजन के लिए अनुदान मद, अन्य व्यय, भोजन व्यय, प्रशिक्षण और यात्रा व्यय, अवकाश यात्रा व्यय, कार्यालय व्यय आदि शामिल हैं। इनमें से वाहन खरीद, साजसज्जा जैसे खर्चों पर पूरी तरह रोक लगाई जा सकती है। 2020-21 के कुल राजस्व लेखा व्यय 409227 करोड़ 37 लाख 37 हजार में इन उपरोक्त मदों में अच्छी खासी धनराशि इस वर्ष के लिए आवंटित है।
वित्तीय वर्ष में भोजन व्यय पर 330.16 करोड़, मोटर गाड़ियों की खरीद के लिए 8.43 करोड़, यात्रा व्यय पर 672.28 करोड़, कार्यालय व्यय 237.14 करोड़, पूंजीगत परिसंपत्तियों के सृजन के लिए अनुदान मद में 15657.61 करोड़, प्रशिक्षण के लिए यात्रा व्यय मद में 181.68 करोड़, अन्य व्यय मद में 15478.28 करोड़ सामग्री एवं संपूर्ति मद में 3659.33 करोड़ रुपये का प्राविधान किया गया है। सूत्र बताते हैं कि वित्त विभाग द्वारा कई खर्चों को 50 फीसदी तक कम किए जाने का प्रस्ताव विचार के लिए सरकार के पास भेजा गया है।
राज्य के वित्तीय हालत पर वित्त मंत्री सुरेश कुमार खन्ना का कहना है कि वित्तीय संसाधनों को जुटाने के लिए हर पहलुओं पर विचार किया जा रहा है। पहली कोशिश यह है कि राज्य में औद्योगिक-कारोबारी गतिविधियां शुरू हों ताकि स्थितियां सुधरनी शुरू हो जाएं। वित्तीय संसाधनों को बेहतर करने के लिए अध्ययन किया जा रहा है, सरकार के स्तर से इसके लिए ठोस कदम उठाए जाएंगे।