रमजान में मुसलमान क्यों रखतें हैं रोज़ा? किन चीजों से टूट जाता है रोज़ा
मुस्लिम धर्मगुरु मौलाना सुफियान निजामी ने बताया कि इस्लाम (Islam) में सभी महीनों से सबसे मुबारक और अफजल रमजान महीने को माना जाता है. रमजान के ही महीने में मुसलमानों की पवित्र किताब कुरान को अल्लाह ने दुनिया मे उतारा था.
गाजीपुर न्यूज़ टीम, लखनऊ. पवित्र महीना रमजान (Ramzan) की शुरुआत के बाद आज पहला शुक्रवार है. शुक्रवार को मुस्लिम समाज मे बड़ा महत्वपूर्ण माना जाता है. इस बार रमज़ान में करोड़ों मुसलमान साढ़े 14 घंटे भूखे प्यासे रहकर अल्लाह की इबादत कर रहे हैं. लेकिन क्या आपको पता है कि मुसलमान रोजा (Roza) क्यों रखते हैं? और किन चीजों को करने से रोजेदार का रोजा टूट जाता है. इन सवालों का जवाब हमने मुस्लिम धर्मगुरु मौलाना सुफियान निजामी से पूछा तो उन्होंने बताया कि इस्लाम में सभी महीनों से सबसे मुबारक और अफजल रमजान महीने को माना जाता है. रमजान के ही महीने में मुसलमानों की पवित्र किताब कुरान को अल्लाह ने दुनिया मे उतारा था. मौलाना बताते हैं कि कुरान में अल्लाह ने रोजे को मुसलमानों पर फ़र्ज़ (जरूरी) करार दिया है.
सुफियान निजामी बताते हैं कि रोजा दुनिया में मुसलमानों की एक तरह से ट्रेनिंग कराता है. जिसमें मुसलमान तमाम चीजों से दूर रहता है. मौलाना कहते हैं कि 11 महीनों के बाद रमजान का एक महीना ऐसा आता है, जिसमें हर मुसलमान अपने ईश्वर को राजी करने लिए रोजा रखता है. जिसमें खाने-पीने के साथ तमाम हलाल चीजों से भी इंसान दूर रहता है. जिससे कि आम दिनों में वह हर गलत चीजों से भी दूर रह सके और अपनी इच्छाओं पर कंट्रोल कर सकें.
किन चीज़ों को करने से टूट जाता है रोज़ा
रमजान में रोजे की हालत में खाना खाने से या पानी पी लेने से रोजा टूट जाता है. साथ ही कान और नाक में दवा की ड्रॉप डालने से भी रोजा टूट जाता है हालांकि आंख में ड्रॉप डालने से और बालों में तेल डालने से रोजा नहीं टूटता है. खून देने से या फिर दर्द का इंजेक्शन लगवाने से रोजा बरकरार रहता है यानी कि इस्लाम में रोजे की हालत में इसको करने से मना नहीं किया गया है और खून देने की पूरी इजाजत दी गई है.