Today Breaking News

कोरोना महामारी के चलते एमएलसी चुनाव पर ग्रहण

कोरोना महामारी के चलते एमएलसी चुनाव पर ग्रहण, शिक्षक एमएलसी ओमप्रकाश शर्मा सहित 11 एमएलसी अब नही बैठेंगे विधान परिषद में
गाजीपुर न्यूज़ टीम, लखनऊ। कोरोना महामारी के चलते लॉकडाउन का असर अब यूपी के माननीय पर भी पड़ने लगा है. बता दें कि 6 मई के बाद विधान परिषद के 11 माननीय सदन में नहीं बैठेंगे. क्योंकि कोरोना के चलते निर्वाचन आयोग चुनाव नहीं कराने जा रहा है. प्रमुख सचिव विधानसभा प्रदीप दुबे कहते हैं कि तकनीकी रूप से ये सीटें अब खाली रहेंगी. कोरोना महामारी के चलते चुनाव नहीं होगा और अब इंतजार निर्वाचन आयोग का रहेगा कि वो कब चुनाव कराएगा। माध्यमिक शिक्षक संघ यूपी के नेता लगातार आठ बार विधान परिषद सदस्य रहे ओमप्रकाश शर्मा भी इस सूची में शामिल हैं। 80 साल के ऊपर हो चुके ओमप्रकाश शर्मा कहते हैं कि कोरोना के चलते फिलहाल चुनाव स्थगित हो गया. लेकिन शिक्षकों की लड़ाई लड़ना उनका उद्देश्य है. उनके लिए शिक्षा हित सापेक्ष है और राजनीति निरपेक्ष है. 

शर्मा गुट के नेता ओमप्रकाश शर्मा कहते हैं कि मैं अभी भी चुस्त दुरुस्त हूं और आने वाला चुनाव भी लड़ूंगा। वे कहते हैं कि संविधान मे शिक्षकों के लिए जो सीटें विधान परिषद में दी गई हैं, उसपर राजनीतिक दलों को नहीं हथियाना चाहिए बल्कि शिक्षा हित की बात करनेवालों को चुनाव में लड़ना चाहिए. वित्तविहिन शिक्षक नेता उमेश द्विदी जो अब बीजेपी ज्वाइन कर चुके हैं उनकी सदस्यता भी 6 मई को समाप्त हो रही है. उन्होंने बताया कि जान है तो जहान है. राजनीति होते रहेगी अभी कोरोना से लड़ने का समय है. वे कहते हैं कि चुनाव फिलहाल टल गया है लेकिन आगे वे मैदान में उतरने की तैयारी में हैं. शिक्षक और स्नातक सीट से बने माननीय जो नहीं बैठ सकेंगे सदन में डॉ असीम यादव- आगरा संजय कुमार मिश्र बरेली-मुरादाबाद केदारनाथ सिंह- वाराणसी डॉक्टर यज्ञ दत्त शर्मा इलाहाबाद- झांसीओम प्रकाश शर्मा -मेरठ, जगवीर ध्रुव कुमार त्रिपाठी गोरखपुर- फैजाबाद हेम सिंह पुंडीर- मेरठ चेत नारायण सिंह- वाराणसी उमेश द्विवेदी- लखनऊ कांति सिंह- लखनऊ और किशोर जैन- आगरा उत्तर प्रदेश विधान परिषद में 100 सीटें हैं। जिनमें से 10 सदस्य उत्तर प्रदेश के राज्यपाल द्वारा मनोनीत होते हैं। जबकि 38 सदस्य विधानसभा सदस्यों द्वारा चुने जाते हैं. वहीं 36 स्थानीय निकायों द्वारा चुने जाते हैं। 8 सदस्य शिक्षकों द्वारा चुने जाते हैं और बाकी आठ स्नातकों द्वारा चुने जाते हैं. इन सबका कार्यकाल चुने जाने से 6 साल तक के लिए होता है।

'