उत्तर प्रदेश के सहकारी बैंकों की भर्तियों में अब नहीं होगी धांधली, IBPS को सौंपा गया जिम्मा
सहकारी संस्थागत सेवामंडल की जगह अब बैंकों की भर्ती आईबीपीएस और दूसरी शीर्ष संस्थाओं में होने वाली भर्तियां टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेस करेगी.
गाजीपुर न्यूज़ टीम, लखनऊ. उत्तर प्रदेश सहकारी संस्थागत सेवामंडल की जगह अब आईबीपीएस (IBPS) सहकारिता विभाग के बैंकों और अन्य संस्थाओं में भर्ती का जिम्मा संभालेगा. पिछली सरकार के दौरान भर्तियों में हुई धांधली को देखते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यह फैसला लिया है. मुख्यमंत्री ने सेवामंडल के अधिकार सीमित कर दिए हैं. अब सेवामंडल केवल अधियाचना भेज सकेगा. बैंकों की भर्ती आईबीपीएस और दूसरी शीर्ष संस्थाओं में होने वाली भर्तियां टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेस करेगी.
एक ही जाति विशेष की भर्तियां हुई थीं
सेवामंडल ने 2015 में कोऑपरेटिव बैंक के लिए 53 सहायक प्रबंधकों की भर्तियां निकाली थीं. जांच में पाया गया कि भर्तियां ज्यादातर उन युवकों की हुईं, जो एक ही विधानसभा क्षेत्र और एक विशेष जाति के थे. वहीं सेवामंडल की ओर से हुई दूसरी भर्तियों में भी यही धांधली पाई गई. शिकायतें होने पर खुलासा हुआ कि पिछली सरकार में नेता और अफसरों ने अपने जान-पहचान वालों को नौकरी पर रखा. उत्तर प्रदेश सहकारी समिति अधिनियम में संशोधन करते हुए सीएम योगी ने सेवामंडल की ओर भर्तियां कराने पर रोक लगा दी थी.
बैंक के पूर्व एमडी हो चुके है निलंबित
पूरे मामले की जांच के दौरान को ऑपरेटिव विभाग के एमडी रविकांत सिंह को निलंबित भी किया जा चुका है. उनपर आरोप था कि उन्होंने भर्ती विज्ञापन जारी होने के बाद भी नियम बदल दिए थे. यूपीसीबी इम्प्लॉइज एसोसिएशन के अध्यक्ष मोहम्मद सगीर और पूर्व महामंत्री जय सिंह ने जुलाई 2015 में तत्कालीन कृषि उत्पादन आयुक्त डॉ. प्रभात कुमार से मिलकर बैंक के एमडी रविकांत सिंह के खिलाफ शिकायत दी थी. आरोप लगाया था कि सपा सरकार के दौरान नियमों को दरकिनार कर यूपीसीबी में 53 सहायक प्रबंधकों की भर्ती की गई थी. आरोप था कि अपने लोगों को भरने के लिए आरके सिंह ने विज्ञापन जारी होने के बाद आयु और योग्यता में बदलाव किया.
इतना ही नहीं, आरोप यह भी था कि हाईकोर्ट के आदेशों को दरकिनार कर उप्र सहकारी संस्थागत सेवामंडल ने न सिर्फ चयन सूची जारी की गई, बल्कि आरके सिंह ने 53 सहायक प्रबंधकों को नियुक्ति पत्र जारी कर उनकी जॉइनिंग भी करवा दी. शिकायत की तत्कालीन PCF के एमडी पीके उपाध्याय से जांच करवाने के बाद उनके निलंबन की संस्तुतियों के साथ रिपोर्ट मुख्य सचिव के जरिए सीएम को भेजी थी. इसके बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पूर्व MD रविकांत सिंह को निलंबित करते हुए उनके खिलाफ अनुशासनिक व विभागीय जांच की संस्तुति भी की थी.