हर चेहरे पर भूख, प्यास और बेबसी; सुकून बस इतना कि अब घर पहुंच जाएंगे
गाजीपुर न्यूज़ टीम, गोरखपुर, सहजनवां के कालेसर में जीरो प्वाइंट पर प्रवासी मजदूरों के लिए बने सहायता केंद्र पर मिनी ट्रक आकर रुकता है। उसमें सवार कुछ युवा उतरने लगते हैं। कई दिन से भूख से ऐंठती अतडिय़ों का दर्द और भेड़-बकरी की तरह ट्रक में सफर करने की बेबसी सभी के चेहरे पर चस्पा थी।
कुछ मजदूर प्यास बुझाने के लिए पानी के टैंकर की तरफ बढ़ते हैं। तभी वहां पहुंचे सरकारी कर्मचारी डंडा फटकारते हुए उन्हें रोकते हैं, पूछते हैं कि कहां से आ रहे हो? कड़क आवाज सुन मजदूर सहम कर रुक जाते हैं। सरकारी कर्मचारी के सवाल दोहराने पर आगे खड़ा मजूदर डरी आवाज में जवाब देता है, साहब गुजरात से। अगला सवाल, कहां जाना है? मजदूर बताता है, सिवान, बिहार जाना है। इतना सुनते ही कुछ कर्मचारी, ट्रक चालक के पास पहुंचते हैं और उसे भला-बुरा कहते हुए मजदूरों को बिहार बार्डर पर छोडऩे की हिदायत देते हैं। साथ ही उतर चुके मजदूरों को उल्टे पैर ट्रक में सवार होने का फरमान भी सुना देते हैं। चालक, ट्रक आगे बढ़ा देता है। इस बीच स्वयं सेवी संगठनों के कुछ लोग पानी के पैकेट ट्रक के अंदर फेंक देते हैं।
यह है इन मजदूरों की कहानी
इस पूरे घटनाक्रम के बीच राजेश नाम बताने वाले एक मजदूर से बात हुई। अपने गांव के नौ लोगों के साथ वह गुजरात के सूरत में एक फैक्ट्री में काम करता था। लॉकडाउन के बाद फैक्ट्री बंद हो गई, तो मालिक ने भी हाथ खड़े कर लिए। जल्दी ही लॉकडाउन खत्म होने की उम्मीद में सूरत में ही रुके रहे। तब पास की जमा-पूंजी भी खत्म हो गई। आखिरकार घर लौटने का फैसला किया। बिहार के रहने वाले मजदूरों से संपर्क साध कर ट्रक बुक किया। प्रत्येक व्यक्ति द्वारा 56 सौ रुपये का भुगतान करने पर चालक गोरखपुर छोडऩे के लिए तैयार हुआ। शनिवार को भोर में वे लोग चले थे। रास्ते में ही चालक ने रुपये वसूल लिए। भूख-प्यास से तड़पते हुए गोरखपुर पहुंचे हैं।
चेकिंग के नाम पर हो रही थी खानापूरी
जिले की सीमा में प्रवेश से रोकने के लिए सहजनवां इलाके में ही सीहापार के पास बने बैरियर पर तो हालात और भी खराब थे। दूसरे प्रदेशों से आ रहे करीब-करीब हर ट्रक पर बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूर सवार दिख रहे थे। यह ट्रक बे-रोकटोक जिले की सीमा प्रवेश कर रहे थे। चेकिंग के नाम पर खानापूरी हो रही थी। निजी वाहनों से आ रहे जो लोग स्वे'छा से रुक जा रहे थे, सरकारी कर्मचारी उनका नाम, पता नोट कर ले रहे थे। जो नहीं रुक रहा था, उसे रोकने की कोई जहमत भी नहीं उठा रहा था। बैरियर पर मौजूद पुलिस व प्रशासनिक अमले के सामने ही जान जोखिम में डालकर प्रवासी मजदूरों का सफर धड़ल्ले से जारी था।
जुगाड़ से बनाई गाड़ी, परिवार के साथ चल पड़े घर
मोतीहारी बिहार के सिकंदरपुर निवासी कृष्णा, दो भाइयों व पत्नी के साथ रोहतक, हरियाणा में रहकर मजदूरी करते थे। लॉकडाउन में वहीं फंस गए। पास की जमा-पूंजी खत्म होने लगी तो घर लौटने का फैसला किया। साधन की व्यवस्था न होने पर बाइक में ठेला जोड़कर जुगाड़ गाड़ी बनाई और पत्नी, दोनों भाई तथा एक दोस्त के साथ निकल पड़े सफर पर। सोमवार को दोपहर में खोराबार के कोनी मोड़ पर पानी पीने के लिए रुके थे। बातचीत में कृष्णा की प्रतिक्रिया थी कि हम मजदूर हैं साहब, अपनी किस्मत खुद लिखते हैं। हमें किसी से कोई गिला नहीं है।
साइकिल से 23 दिन में पूरा किया चेन्नै से गोरखपुर का सफर
महराजगंज जिले के रहने वाले दीपचंद, प्रेमशंकर और विंध्याचल, चेन्नै में रहकर मजदूरी करते थे। लॉकडाउन लागू होने के बाद काम-धंधा बंद हो गया। कुछ दिन में ही पास के रुपये भी खत्म हो गए। फैक्ट्री मालिक ने मदद से इन्कार कर दिया। आखिरकार तीनों ने घर फोन कर खाते में कुछ रुपये मंगाए। तीन साइकिल खरीदी और घर के लिए चल पड़े। 23 दिन साइकिल चलाने के बाद रविवार को वे गोरखपुर पहुंचे थे। साइकिल से इतने लंबे सफर के फैसले के बाबत दीपचंद का कहना था कि कुछ न करने से बेहतर हमने घर पहुंचने का फैसला लिया।
मुंबई से भाई और पालतू कुत्ते को साथ स्कूटर से चल पड़े घर
कसया, कुशीनगर निवासी अभिषेक, भाई रितेश के साथ मुंबई के थाणे में रहकर काम-धंधा करते थे। लॉकडाउन लागू होने के साथ ही कभी न रुकने वाली मुंबई पूरी तरह से ठप हो गई। हाल-फिलहाल लॉकडाउन खत्म होने की कोई उम्मीद नहीं दिख रही थी। लिहाजा उन्होंने स्कूटर से ही घर लौटने का फैसला किया। थाणे में रहते हुए उन्होंने कुत्ता पाल रखा था। चलते समय कुत्ते को बेसहारा छोडऩे की सोचकर ही मन भर आया। लिहाजा स्कूटर के आगे पैर रखने की जबह लकड़ी का पटरा लगाकर उसे भी बिठा लिया। पांच दिन चलने के बाद सोमवार को दिन में ढाई बजे के आसपास वह सहजनवां में सीहापार हाल्ट के पास बने बैरियर पर पहुंचे थे। थोड़ा आराम कर लेने के लिए कहने पर उनकी प्रतिक्रिया थी कि जब इतनी दूर से चलकर घर की दहलीज पर पहुंच गए हैं, तो यहां क्या रुकना।
ट्रकों से आ रहे परदेसी, नहीं लग रही रोक
शासन के आदेश के बाद भी प्रवासी ट्रकों पर सवार होकर घर लौट रहे हैं। प्रशासन कालेसर जीरो प्वाइंट से उन्हें बसों के जरिये गंतव्य तक भेजा रहा है। हालांकि सोमवार को तमाम माल वाहक अफसरों के सामने से मजदूरों को लेकर निकल गए, लेकिन किसी ने उन्हें टोका तक नहीं। ज्वाइंट मजिस्ट्रेट व एसडीएम अनुज मलिक ने कहा कि कालेसर के पास से लोगों को बसों में बैठाकर भेजा जा रहा है। परदेसियों को लाने वाले ट्रकों के खिलाफ कार्रवाई भी की जा रही है। परदेसियों को लेकर आ रहे ट्रक चालकों के खिलाफ प्रशासन सख्त है। सोमवार को भी ट्रक चालकों के खिलाफ कार्रवाई की गई। प्रभारी निरीक्षक गीडा दिलीप सिंह ने बताया कि सोमवार को प्रवासियों को लेकर आए पांच ट्रकों को सीज करके चालकों के खिलाफ आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत केस दर्ज किया गया है। साथ ही पांच ट्रकों का चालान भी किया गया है। रविवार को 15 ट्रक सीज किए गए थे।
श्रमिकों को बैठाकर ले जा रहे तीन ट्रकों को मंडलायुक्त ने कराया सीज
मंडलायुक्त जयंत नर्लिकर ने कालेसर स्थित जीरो प्वाइंट का निरीक्षण किया। उन्होंने प्रवासी मजदूरों को विभिन्न जनपदों में भेजने के लिए लगाए गए बसों की व्यवस्था को भी देेखा। उन्होंने जीरो प्वाइंट पर आने वाले श्रमिकों के लिए भोजन व पीने के लिए पानी का इंतजाम कराने का निर्देश दिया। कहा कि श्रमिकों को छाया प्रदान करने के लिए टेंट व शौचालय आदि का भी प्रबंध करने को कहा। मंडलायुक्त ने तेनुआ टोल प्लाजा के पास श्रमिकों को लेकर कुशीनगर जा रहे तीन ट्रकों को भी सीज कराया। ट्रकों पर बैठे श्रमिकों को बसों के माध्यम से भेजने का निर्देश दिया।
इसके बाद मंडलायुक्त कुशीनगर के सुकरौली ब्लॉक के प्राथमिक विद्यालय डुमरी मलांव पहुंचे। वहां पर निगरानी समितियों के सदस्यों के साथ बैठक कर उनका हौसला बढ़ाया। उन्होंने कहा कि कोरोना सर्विलांस में निगरानी समिति की भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है। निगरानी समिति के सदस्यों को घर-घर जाकर लोगों को कोरोना संक्रमण के प्रति जागरूक करना होगा। उन्होंने कहा कि निगरानी समिति की सूचनाओं को अधिकारी गंभीरता से लें। इस दौरान डीआइजी रेंज राजेश मोदक, अपर आयुक्त प्रशासन अजयकांत सैनी, अपर जिलाधिकारी वित्त राजेश सिंह आदि मौजूद रहे।
यात्रियों की मदद के लिए भाजपा ने बनाए तीन सेंटर
दूसरे राज्यों से पैदल और बस से आ रहे यात्रियों की मदद के लिए भाजपा की महानगर इकाई की ओर से तीन सेंटर बनाए गए हैं। नौसढ़, रेलवे स्टेशन और कडज़हां पर बनाए गए इन मदद सेंटरों से जरूरतमंद यात्रियों के बीच भोजन का पैकेट, पानी, मास्क और बिस्किट आदि वितरित किया जा रहा है। जिनके पास चप्पल नहीं हैं या टूट गए हैं, उन्हें वह भी मुहैया कराया जा रहा है। क्षेत्रीय अध्यक्ष डॉ. धर्मेंद्र सिंह ने कहा कि कार्यकर्ता दूसरे राज्यों से आने वाले लोगों की सुविधा के लिए सतर्क हैं। प्रशासन के साथ मिलकर वह हर यात्री की हर संभव मदद कर रहे हैं। मदद कार्य महानगर अध्यक्ष राजेश गुप्ता की देखरेख में किया जा रहा है। महानगर उपाध्यक्ष बृजेश मणि मिश्र ने बताया कि यात्रियों को बसों में स्थान दिलाने का कार्य भी कार्यकर्ता कर रहे हैं।