25 घंटे में पहुंचनी थी, अब 72 घंटे में गोरखपुर पहुंचेगी मुंबई से चली यह ट्रेन
गाजीपुर न्यूज़ टीम, गोरखपुर, इसे सिस्टम की खामी कहें या विभागीय उदासीनता। उत्तर प्रदेश के सैकड़ों लोगों को लेकर मुंबई के वसई रोड से रवाना हुई श्रमिक स्पेशल ट्रेन गोरखपुर की बजाए राउरकेला पहुंच गई। प्रवासियों ने याद दिलाया तो रेलवे के होश आया। आनन- फानन में ट्रेन को आसनसोल और वाराणसी के रास्ते गोरखपुर लाया जा रहा है। कई राज्यों का भ्रमण करते हुए श्रमिक ट्रेन के रविवार को दोपहर तक पहुंचने की संभावना जताई जा रही है।
अब 25 की जगह 72 घंटे लगेंगे
जहां मुंबई से सीधे गोरखपुर पहुंचने में श्रमिक ट्रेनों को 25 से 30 घंटे लग रहे हैं, वहीं यह ट्रेन 70 से 72 घंटे में गोरखपुर पहुंचेगी। प्रवासी रास्ते में भूख-प्यास से व्याकुल हैं। हालांकि, जब प्रवासियों की परेशानी सोशल मीडिया पर फैली तो रेलवे प्रशासन ने झारखंड के गोमो स्टेशन पर रोककर खाना और पानी उपलब्ध कराया। ट्रेन राउरकेला से आसनसोल, गोमो, पं. दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन और वाराणसी के रास्ते आ रही है। हालांकि, रेलवे प्रशासन का कहना है कि ट्रेनें रास्ता नहीं भटक रहीं, बल्कि खाली मार्गों से उन्हें चलाया जा रहा है। संख्या बढऩे पर ट्रेनों का मार्ग भी बदल दिया जा रहा है।
गोरखपुर पहुंच गई प्रयागराज के रास्ते सासाराम जाने वाली ट्रेन
दो दिन पहले ही लखनऊ- प्रयागराज- पं. दीनदयाल नगर के रास्ते गाजियाबाद से चलकर सासाराम जाने वाली श्रमिक ट्रेन गोरखपुर पहुंच गई। रेलवे प्रशासन के माथे पर बल पड़ गए। इस ट्रेन को गोरखपुर से छपरा-वाराणसी के रास्ते सासाराम के लिए रवाना किया गया। सासाराम जाने वाले प्रवासी परेशान रहे। दरअसल, प्रवासियों को घर तक पहुंचाने के लिए सभी प्रमुख रेलमार्गों पर श्रमिक स्पेशल ट्रेनों की भीड़ बढ़ गई है। रोजाना ढाई से तीन सौ श्रमिक ट्रेनें चल रही हैं। पूर्वोत्तर रेलवे के गोरखपुर स्टेशन पर ही औसत प्रतिदिन 12 ट्रेनें पहुंच रही हैं। इतनी ही ट्रेनें बिहार जा रही हैं। बस्ती, गोंडा और देवरिया जैसे छोटे स्टेशनों पर भी श्रमिक ट्रेनें पहुंच रही हैं।
रेल लाइन पर क्षमता से अधिक गाडिय़ां हो जाने के चलते 21 मई को वसई रोड से गोरखपुर चलने वाली श्रमिक स्पेशल को मार्ग बदलकर चलाया जा रहा है। - रविंद्र भाकर, मुख्य जनसंपर्क अधिकारी, पश्चिम रेलवे