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लॉकडाउन: बूढ़ी मां को साइकिल के पीछे बैठाकर नेपाल के लिए निकला बेटा

गाजीपुर न्यूज़ टीम, वाराणसी। जिस दिन से चला हूं मेरी मंजिल पर नजर है... आंखों ने मेरी मील का पत्थर नहीं देखा... यह चंद लाइन शुक्रवार को वाराणसी-इलाहाबाद हाइवे पर नुमाया हुआ... साइकिल पर सवार एक युवक। पीछे कैरियर पर फल के क्रेट पर बैठी उसकी 70 वर्षीय मां। दूर तक सूनी सड़क। चेहरे पर थकावट मगर जोश-जज्बा बरकरार। नजर दूर खाली सूनी सड़क पर। हर कदम मंजिल पर पहुंचने की ओर। साइकिल के पैडल पर इसी सोच के साथ पैर चलता रहा कि अब मंजिल पर पहुंचकर ही रुकेंगे।

पटना से अपने वतन (नेपाल) के लिए साइकिल से निकले नेपाली युवक शेर सिंह का जोश-जज्बा देख हर कोई हैरान है। पटना में एक निजी कंपनी में काम करने वाले इस युवक ने लाकडाउन में बढ़े संकट के कारण करीब एक हजार किलोमीटर का सफर साइकिल से करने की ठानी। साइकिल के पीछे कैरियर पर फल के क्रेट को बांधा। उस पर मां जशोदा को बिठाया और चल दिया मंजिल की ओर। दिन में सफर तो रात सड़क किनारे किसी घर के पास गुजारी। बनारस पहुंचने पर मंजिल थोड़ी नजदीक दिखी...

वाराणसी से करीब 25 किलोमीटर पहले मिर्जामुराद बाजार से गुजर रहे युवक पर अचानक लोगों की नजर पड़ी। वैसे तो लॉकडाउन में सभी अपने घरों में हैं लेकिन राहत सामग्री बांट रहे लोग युवक को देखकर चौंक पड़े। माथे से गिरता पसीना। होठों पर जमी पपड़ी...रोकने पर नेपाली युवक थोड़ा हिचका और डरा।  पूछने पर अपना नाम शेर सिंह बताया। कहा कि बिहार से नेपाल  सीमा सील होने के कारण वह बनारस, प्रतापगढ़, गोंडा, बहराइच होते हुए नेपाल जाना चाहता है। 

शेर सिंह का कहना था कि कोई  साधन न मिलने के कारण साइकिल से ही घर लौटने की ठान ली। लोगों ने रोका लेकिन मां के गांव जाने की इच्छा को टाल नहीं पाया। बोला, पत्नी-बच्चे नेपाल में ही है। लिहाजा कुछ दिन उनके साथ रहकर लाकडाउन खत्म होते ही लौट आऊंगा। बोला... लॉकडाउन में दुकानें बंद है। चाय तक नसीब नहीं हुई। भूख मिटाने के लिए सिर्फ एक ही आस... कही छाँव के लिए रुके तो सड़क किनारे बसे लोगो ने अनजान पथिक को गुड़़ पानी दे दिया.. ...लोगों ने नेपाली युवक को खाने का सामान दिया। उसके जज्बे को सलाम करते हुए दुआ की कि वह अपनी मां को सकुशल घर पहुंचा सके। 

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