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शराब ठेकों पर नीलाम हुई कोरोना योद्धाओं की तपस्या, सुरा प्रेमियों ने रौंदे स्वास्थ्य सुरक्षा के मानक

गाजीपुर न्यूज़ टीम, लखनऊ, स्कूल-कालेज बंद हैं, पढ़ाई प्रभावित हो रही है, लेकिन कोई बात नहीं। देश को कोरोना से बचाना है। सरकार-निजी दफ्तर बंद हैं, क्योंकि जनता की जान की फिक्र है। लाखों मजदूर-कामगारों को रोजगार देने वाले उद्योगों को चलाने की खुली छूट देने की जल्दी नहीं, कोरोना संक्रमण फैलने का डर है। फिर सिर्फ सुराप्रेमियों की चाहत की खातिर ये जान है तो जहान है का पैमाना कैसे गड़बड़ा गया?

मान लिया जाए कि सरकार ने लॉकडाउन के बीच शराब की दुकानें खोलने का फैसला शराब के शौकीनों की प्यास बुझाने को नहीं किया।प्रतिदिन लगभग सौ करोड़ रुपये के आबकारी राजस्व पर ही नजर रही होगी, मगर जिस तरह पहले दिन ही शराब बेचने और खरीदने वालों ने शारीरिक दूरी सहित अन्य स्वास्थ्य मानकों की धज्जियां उड़ाईं, क्या उससे उत्तर प्रदेश की 23 करोड़ की आबादी के लिए संक्रमण की आशंकाएं नहीं बढ़ गईं? क्या अपनी जान पर खेलकर एक-एक जान बचाने में जुटे कोरोना योद्धाओं की साधना का अपमान नहीं हुआ? क्या दस दिन और शराब बंदी रखकर सरकार एक हजार करोड़ रुपये अतिरिक्त घाटे का कड़वा घूंट सहन नहीं कर सकती थी? क्या दफ्तरों में बैठकर सुरक्षा मानक तय करने वाले सरकारी तंत्र के कारिंदे व्यवस्था के लडख़ड़ाए कदमों को संभालने के इच्छुक या काबिल थे?

देश-प्रदेश को कोरोना संक्रमण के संकट से बचाने के लिए लॉकडाउन लागू किया गया। स्कूल, कालेज, दफ्तार, बाजार, बस, ट्रेन, हवाई जहाज सब बंद कर दिया गया। इसी बंदी के दायरे में शराब-बीयर की दुकानें भी थीं, जिन्हेंं दूसरी गतिविधियों के साथ सोमवार से खोल दिया गया। 43 दिन की बंदी के बाद शराब की दुकानें खुलीं तो शराब के शौकीनों पर ऐसा नशा चढ़ा कि उन्होंने शारीरिक दूरी सहित स्वास्थ्य सुरक्षा के सारे मानक तार-तार कर डाले।

सुबह से ही खरीददारी को भीड़ उमड़ पड़ी। शराब ठेकों के गल्ले पर बैठे सौदागार और सरकार के लिए यह सुखदायी तथ्य हो सकता है कि सुबह दस से शाम सात बजे तक खुली दुकानों का 80 फीसद स्टॉक एक ही दिन में खत्म हो गया। प्रदेशवासियों ने 200 करोड़ रुपये से अधिक की शराब खरीद डाली। आम दिनों में 13 लाख लीटर देशी, 6.30 लाख बोतल अंग्रेजी व 12.30 लाख केन की बिक्री होती रही है। यह बिक्री दोगुना से अधिक हुई, जबकि प्रशासन की अनुमति न मिलने पर ललितपुर, आगरा, गाजियाबाद जिले में दुकानें नहीं खुल पाईं।

कौन था निगहबान, अब कौन है जिम्मेदार
दुकानों पर ज्यादा भीड़ एकत्र न करने का निर्देश था। फुटकर दुकानों पर एक साथ सिर्फ पांच ग्राहक को उपस्थित होने की अनुमति दी गई थी। इसके सहित सैनिटाइजर व मास्क के इस्तेमाल के निर्देश जारी किए गए। मगर, यह देखने वाला कोई नहीं था। तमाम फोटो सोशल मीडिया पर भी वायरल हो रही हैं कि कैसे लंबी-लंबी कतारें एक-दूसरे से सटकर लगाई गईं। बोतल-पौव्वा पाने की जंग में न सैनिटाइजर का इस्तेमाल, न ही दुकानदारों ने भी मास्क लगाए। हो सकता है कि सादे कपड़े में लगाए गए आबकारी कर्मी ओवर रेटिंग रोकने में भले कुछ कामयाब हो गए हों।
ज्यादातर दुकानों का स्टॉक खत्म
प्रदेशभर में 25 हजार के लगभग शराब की दुकानें हैं। इसमें कंटोनमेंट, हॉटस्पॉट क्षेत्र व शापिंग मॉल में स्थित 1800 के लगभग दुकानें बंद रहीं। देशी शराब की दुकानों जिनके लाइसेंस का नवीनीकरण हो गया है और जिनका नहीं हुआ। ऐसी कुल 12467 दुकानें हैं और इनमें लगभग 7,36,830 पेटी देशी शराब का स्टॉक बचा हुआ था। जिसका अनुमानित मूल्य लगभग 215.20 करोड़ आंका गया था। देशी शराब के थोक विक्रेताओं जिनके लाइसेंस का नवीनीकरण हुआ है और जिनका नहीं हुआ है, के यहां करीब 2,49,954 पेटी देसी शराब का स्टॉक बचा था, जिसका अनुमानित मूल्य लगभग 215 करोड़ रुपये रहा। अंग्रेजी शराब और बीयर की फुटकर दुकानों और माडल शाप पर लगभग 9,60,036 पेटी अंग्रेजी शराब और बीयर का स्टाक बचा था। इसमें अधिकतर स्टॉक सोमवार को खत्म हो गया।

दिखी कमाई की ज्यादा चिंता
दरअसल, राज्य सरकार के कुल कर राजस्व में आबकारी राजस्व दूसरे पायदान पर है। पिछले वित्तीय वर्ष में शराब आदि की बिक्री से 27323.29 करोड़ रुपये हासिल करने वाली सरकार ने इस वर्ष इससे 37,500 करोड़ रुपये की कमाई का लक्ष्य तय कर रखा है लेकिन लाकडाउन के चलते शराब की दुकानें बंद होने से राज्य सरकार को रोजाना तकरीबन 100 करोड़ रुपये आबकारी राजस्व का नुकसान हो रहा था। अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि अप्रैल में 3560.13 करोड़ रुपये का लक्ष्य था लेकिन, सरकारी खजाने में मात्र 41.96 करोड़ रुपये ही आए।

हर जगह शराब पाने को मारामारी
लखनऊ समेत पूरे अवध में लोग सड़कों पर निकल आए। बोरी व झोला लेकर लोग शराब खरीदने निकले। पुलिस की सख्ती बेअसर रही। राजधानी में रोक के बावजूद लोग कार, बाइक पर निकले। प्रयागराज में आज करीब छह करोड़ रुपये की शराब बिक्री हुई। इसमें 50 हजार बोतल अंग्रेजी, बीयर दस हजार बोतल व केन, देशी 40 हजार लीटर शामिल रही। प्रतागपढ़ में करीब 40 लाख रुपये की शराब बिकी, जबकि कौशांबी में स्टाक की कमी रही। अलीगढ़ में शारीरिक दूरी के नियम का पालन कहीं नहीं हुआ। शराब बिक्री के सारे रिकार्ड टूट गए। सासनीगेट स्थित एक दुकान की प्रतिदिन की बिक्री सवा लाख थी। सोमवार को वहां से अकेले 7.50 लाख रुपये की शराब बिक चुकी थी। पूरे जिले में तकरीबन 20 करोड़ रुपये से ज्यादा की शराब की बिक्री हुई है। वहीं, हाथरस में करीब 90 लाख की शराब बिकने का अनुमान लगाया जा रहा है।

नियमों का पूरी तरह से पालन हो रहा
प्रमुख सचिव आबकारी विभाग संजय आर. भूसरेड्डी ने बताया कि कोरोना के मद्देनजर शारीरिक दूरी का ध्यान रखते हुए शराब की दुकानें खोलने की अनुमति दी गई है। मैंने खुद भी लखनऊ में कई दुकानों का निरीक्षण किया। ज्यादातर जगहों पर शारीरिक दूरी आदि का पूरी तरह से पालन हो रहा था। मास्क न लगाने वालों को लाइन से हटाकर उन्हें शराब नहीं खरीदने दिया गया। मंगलवार से व्यवस्था में और सुधार दिखाई देगा। आयुक्त आबकारी विभाग पी. गुरुप्रसाद ने बताया कि कई दिनों के बाद शराब की दुकानें खुलने पर भीड़ अधिक थी लेकिन, आगे ऐसा नहीं होगा। प्रदेश की सभी 25 डिस्टलरी में काम शुरू हो गया है। वहां से माल भी निकलने लगा है। ललितपुर, आगरा, गाजियाबाद जिला की दुकानें भी मंगलवार से खुलेंगी।

दुकानें खुलें, लॉकडाउन की बंदिश भी रहे बरकरार
उत्तर प्रदेश में शराब की दुकानें खुलते ही लॉकडाउन की बंदिशें ध्वस्त हो गईं। न शारीरिक दूरी मानक का पालन हुआ, न कोई नियम-निर्देश काम आया। शराब की दुकानों के बाहर लंबी कतारों ने घरों में बैठे लोगों को जैसे मुंह चिढ़ा रही थीं। साथ ही कोरोना वायरस का प्रकोप खत्म होने की प्रतीक्षा कर रहे लोगों के माथे पर चिंता की लकीरें भी साफ नजर आ रही थी कि ऐसे कैसे स्थिति सुधरेगी? हर कोई भयभीत है कि शराब लेने की आजादी से कहीं कोरोना का प्रकोप बढ़ न जाय। अगर ऐसा हुआ तो उसकी बढ़ी कीमत चुकानी पड़ सकती है। वहीं, समाज के विशिष्टजन सरकार के निर्णय के साथ हैं, परंतु वह शराब की बिक्री को नियम व बंदिशों के दायरे में रहकर करने की सलाह दे रहे हैं।

दुकानों के बाहर जुटने वाली भीड़ चिंतित कर रही
अध्यक्ष हाई कोर्ट बार एसोसिएशन अमरेंद्रनाथ सिंह ने कहा कि प्रदेश में शराब राजस्व का बड़ा स्रोत है। ऐसे में उसकी दुकानें खोलना अनुचित नहीं है, परंतु दुकानों के बाहर जुटने वाली भीड़ जरूर चिंतित कर रही है। भीड़ नियंत्रित करने की जरूरत है, अन्यथा लॉकडाउन का कोई औचित्य नहीं रहेगा। पूर्व ज्वाइंट कमिश्नर आबकारी विभाग एसके जैन ने कहा कि  शराब की दुकानें बंद होने से अवैध शराब का धंधा बढ़ेगा। साथ ही सरकार को राजस्व की हानि होगी, इसलिए मैं शराब की दुकानें खोलने के पक्ष में हूं। परंतु शारीरिक दूरी मानक का पालन न होना गलत है। शासन-प्रशासन को कोरोना के मद्देनजर शारीरिक दूरी मानक का पालन कराना चाहिए। उत्तर प्रदेश एक्साइज मिनिस्टीरियल एसोसिएशन के अध्यक्ष राहुल यादव ने कहा कि सरकार ने शराब की दुकानें खोलकर अपनी मजबूत इच्छाशक्ति दिखाई है। शराब की बिक्री से राजस्व की प्राप्त होगी। इससे प्रदेश सरकार को कोरोना से लड़ने में सहायता मिलेगी, क्योंकि बिना पैसे के कोई काम नहीं हो सकता।
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