इंसानियत हुई तार-तार, पिता के लिए अपने आंचल का कफन बना शव ले जाने को मजबूर हुई एक बेटी
गाजीपुर न्यूज़ टीम, कन्नौज, अमानीवयता की सारी हदें उस समय पार हो गईं, जब एक बेटी को पिता के लिए अपने आंचल का कफन बनाकर शव ले जाने को मजबूर होना पड़ा। जरा, सोचिए क्या गुजरी होगी उस बेटी पर, जिसने अपने दुपट्टे में पिता का शव लपेटा होगा। जिंदा रहते जो पिता अपनी बेटी के आंचल की रक्षा समाज की नजरों से करता रहा, आज वही आंचल उस पिता की आंखे बंद होते ही समाज के बेदर्द लोगों ने उतरवा दिया। इंसानियत को तार तार कर देने वाली ये वाक्या कन्नौज जिला अस्पताल में हुआ।
एंबुलेंस चालक अस्पताल के बाहर जमीन पर उतारा शव
सदर कोतवाली क्षेत्र के जेवां-अटारा गांव में बाइक की टक्कर से किसान महेश बुरी तरह घायल हो गए थे। ग्रामीणों की मदद से बेटी उन्हें जिला अस्पताल लेकर पहुंची। उसने बताया कि पिता का इलाज करने के बजाए डाक्टरों ने मेडिकल कालेज तिर्वा के लिए रेफर कर दिया, वह उनसे उपचार करने की गुहार लगाती रही लेकिन सभी ने अनसुना कर दिया। किसी तरह एंबुलेंस मिली तो हॉस्पिटल गेट पर पहुंचते ही पिता ने दम तोड़ दिया। चालक ने पिता की लाश को अस्पताल की मर्च्युरी के बाहर सड़क पर लाकर डाल दिया एंबुलेंस लेकर चला गया।
आंचल से बनाया पिता का कफन
इसके बाद धूप में जमीन पर पड़े पिता के शव के पास काफी देर तक बेटी अकेले बिलखती रही लेकिन किसी स्वास्थ्य कर्मी ने सुधि नहीं ली। अस्पताल के किसी स्टाफ कर्मी न तो शव में लगी डिप हटाई और न ही बोतल निकाली। करीब पौन घंटे बाद ग्रामीणों की मदद से शव को उठाकर टीन शेड के नीचे रखवाया। इससे पहले उसने खुद ही झाड़ू लगाकर सफाई की और स्ट्रेचर भी नहीं मिला तो उसने अपना आंचल (दुपट्टा) उतार कर जमीन बिछाकर कफन बना दिया।
लोगों को झकझोर देने वाला यह दृश्य देखकर पत्थर दिल नहीं पसीजे। जब इस बारे में सीएमएस यूसी चतुर्वेदी से पूछा तो उन्होंने किसी भी तरह की लापरवाही होने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि एंबुलेंस चालक शव को गेट पर रखकर मर्च्युरी की चाबी लेने चला गया था। उसके लौटकर आने से पहले ही घरवाले शव लेकर जा चुके थे। डिप हटाने के सवाल पर कहा कि मृतक परिजन ने किसी स्वास्थ्य कर्मी से संपर्क नहीं किया था।