गाजीपुर लाया गया शहीद CRPF जवान अश्वनी यादव का पार्थिव शरीर, नहीं पहुंचा कोई जनप्रतिनिधि या अधिकारी
गाजीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर कश्मीर के कुपवाड़ा में शहीद सीआरपीएफ जवान अश्वनी कुमार यादव का पार्थिव शरीर बुधवार की सुबह गाजीपुर लाया गया। निधन के दो दिन बाद पार्थिव शरीर तो अपने पैतृक जिले में आ गया लेकिन इन दो दिनों में कोई भी जनप्रतिनिधि या अधिकारी शहीद के घर सांत्वना देने तक नहीं पहुंचा। मंगलवार की शाम डीएम ने एसडीएम के शहीद के घर जाने और अंतिम संस्कार की तैयारियों के लिए जाने की बात कही लेकिन वह भी नहीं आए। शहीद का पार्थिव शरीर पहले मंगलवार की शाम ही लाया जाना था। कश्मीर से पार्थिव शरीर दिल्ली तक आ गया लेकिन मौसम खराब होने से गाजीपुर नहीं आ सका था।
कुपवाडा़ में सोमवार की सुबह अश्वनी समेत तीन जवान आतंकियों की गोलीबारी में शहीद हो गए थे।बुधवार की सुबह करीब साढ़े आठ बजे पार्थिव शरीर विशेष विमान से वाराणसी के बाबतपुर एयरपोर्ट पहुंचा। यहां से पुलिस और सीआरपीएफ अधिकारियों के अलावा एयरपोर्ट के अफसरों ने श्रद्धांजलि दी। इसके बाद फूलों से सजी गाड़ी पर पार्थिव शरीर गाजीपुर के लिए रवाना किया गया। इस दौरान अश्वनी यादव अमर रहे भी गूंजता रहा।
इधर गाजीपुर के नोनहरा थानाक्षेत्र के चकदाउद गांव स्थित घर पर अपने लाल को अंतिम विदाई देने के लिए पहले से लोगों का जमावड़ा लगा रहा। स्थानीय थाने से पहुंची पुलिस ने लाउडस्पीकर से लोगों को कोरोना संक्रमण के कारण सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने की हिदायत भी देती रही। घर के आसपास लाइनें और गोला भी खींचा गया ताकि लोग सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते रहें।
लोगों में इस बात को लेकर काफी रोष देखा गया कि परिवार के अकेले कमाऊ सदस्य के शहीद होने की खबर के बाद भी कोई अधिकारी या जनप्रतिनिधि नहीं पहुंचा। अश्वनी के चचेरे भाई ने कहा कि सोमवार की शाम से ही सभी चैनलों पर भैया के शहीद होने की खबर चलने लगी। इसके बाद भी कोई जनप्रतिनिधि, अधिकारी या सरकार का प्रतिनिध परिवार को सांत्वना देने तक नहीं आया। अब परिवार कैसे चलेगा, बच्चों की पढ़ाई कैसे होगी, यहां तक कि अभी तक किसी तरह की आर्थिक सहायता की भी घोषणा नहीं की गई है।
शहीद के पिता का पहले ही निधन हो चुका है। घर में वृद्ध मां, पत्नी, दो बच्चे और दो छोटे भाई हैं। पत्नी भी लगातार अपने बच्चों के भविष्य को लेकर चिंता जताती रहीं। उन्होंने भी मंगलवार को रोते रोते अपने बच्चों का भविष्य सुरक्षित करने की सरकार से गुहार की थी। इन सब के बाद तो कम से कम किसी अधिकारी या जनप्रतिनिधि को आना चाहिए था।