गाजीपुर: मौसम खराब होने से नहीं आ सका शहीद सीआरपीएफ जवान अश्वनी यादव का पार्थिव शरीर
गाजीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर कश्मीर के हंदवाड़ा में सोमवार को आतंकी हमले में शहीद सीआरपीएफ जवान अश्वनी यादव का पार्थिव शरीर के आने का इंतजार मंगलवार को पूरे दिन नोनहरा थाना क्षेत्र के चकदाउद गांव निवासी करते रहे। देर शाम अधिकारियों ने सूचना दी कि मौसम खराब होने के कारण विशेष विमान नहीं आ सका। अधिकारियों ने उम्मीद जताई है कि बुधवार की सुबह करीब 11 बजे तक शहीद का पार्थिव शरीर उनके गांव चकदाउद पहुंच जाएगा। गांव सहित पूरे क्षेत्र में मातम छाया हुआ है। शहीद के पार्थिव शरीर के अंतिम दर्शन को पूरा गांव बेताब है। मां लालमुनी और पत्नी अंशु बेसुध पड़ी हुई हैं। वहीं भाई व बच्चों का रो-रोकर बुरा हाल है।
शहीद अश्वनी का पार्थिव शरीर बुधवार को वाराणसी के बाबतपुर स्थित हवाई अड्डे पर पहुंचेगा। यहां गार्ड ऑफ ऑनर देने के साथ ही अधिकारी ने श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे। इसके पश्चात सड़क मार्ग से चकदाउद गांव स्थित उनके घर पर लाया जाएगा। चकदाउद गांव में ही शहीद के घर सुबह से लोगों का तांता लगा रहा। रोते-बिलखते परिवार के सदस्यों को आसपास की महिलाएं और गांव वालें संभालने और सांत्वना देने में लगे रहे। शहीद के दोनों बच्चे छह वर्षीय आयशा और चार वर्षिय आदित्य भी पापा-पापा कह-कहकर बिलख रहे थे। बच्चों को रोता देखकर ग्रामीणों का दिल पसीज जा रहा था। हर कोई गोद में उठाकर उनका ढांढ़स बधाते रहे। अधूरा रह गया बेटी को साइकिल देने का वादा
शहीद अश्वनी यादव ने वीर गति प्राप्त होने से दो घंटे पूर्व अपनी पत्नी से बात की थी। पत्नी अंशु को बताया कि ड्यूटी खत्म होने वाली है। हम अभी जंगल इलाके में निकले हैं, यहां से बेस कैंप पर जाएंगे। पत्नी द्वारा कुछ परेशानी बताने पर अश्वनी ने कहा कि आएंगे तो सभी परेशानियों को दूर कर देंगे। बेटी आयशा को एक साइकिल भी खरीद कर देनी है। उसे डाक्टर बनना है, इसलिए उसकी पढ़ाई पर ध्यान देना। पत्नी को जब-जब ये बातें याद आ रही हैं तो उसके आंसू रुक नहीं रहे हैं। एक दिन पूर्व भेजी थी सेल्फी
शहीद अश्वनी यादव ने शहीद होने से एक दिन पूर्व रविवार को अपनी पत्नी के मोबाइल पर एक सेल्फी भेजी थी। इस सेल्फी को देख-देखकर पूरा परिवार बिलख रहा है। पत्नी बार-बार इस सेल्फी को देख रही है। पाकिस्तान के प्रति ग्रामीणों में गुस्सा
सीआरपीएफ जवान अश्वनी यादव की शहादत पर गांव के युवाओं को गर्व तो है ही, लेकिन एक लाल को खो देने से काफी गमजदा भी हैं। आतंकवाद और पाकिस्तान को लेकर ग्रामीणों में काफी गुस्सा भी है। सभी ग्रामीण खासकर युवा सरकार से बदला लेने की मांग कर रहे हैं। सभी को अश्वनी की बातें, उनका व्यवहार याद आ रहा है। 2005 में हुए थे भर्ती
शहीद अश्वनी यादव वर्ष 2005 में इलाहाबाद से सीआरपीएफ में भर्ती हुए थे। अश्वनी काफी होनहार व मेहनती भी थे। उनके साथ गांव के अन्य कई और युवा गए थे, लेकिन चयन सिर्फ अश्वनी का ही हुआ। अश्वनी जब-जब छुट्टी लेकर गांव आते थे, तो अन्य युवाओं को सेना में भर्ती होने के लिए प्रेरित करते रहते थे। हम लोग पूरा करेंगे भइया के सपने
शहीद अश्वनी के पिता रामसिंह यादव की कुछ वर्ष पहले ही मौत हो गई थी। इसके बाद से अश्वनी परिवार में इकलौते कमाऊ सदस्य थे। छोटे भाई अंजनी और अमन के अनुसार शहीद अश्वनी की इच्छा थी कि उनकी बेटी आयशा पढ़-लिखकर डाक्टर बने। शहीद होने के बाद उनकी अंतिम इच्छा अधुरी रह गई, लेकिन दोनों छोटे भाइयों ने कहा कि हम लोग भइया की अंतिम इच्छा को पूरा करेंगे। आयशा को किसी तरह की कमी नहीं होने देंगे।