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बाबा शोभन सरकार की अंतिम यात्रा में उड़ीं सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां

गाजीपुर न्यूज़ टीम, कानपुर. महंत विरक्तानन्द (शोभन सरकार) बुधवार सुबह ब्रह्मलीन हो गए। बाबा शोभन सरकार ने आज सुबह करीब पांच बजे अपने आश्रम स्थित आरोग्यधाम अस्पताल में अंतिम सांस ली। उनके देहांत की खबर लगते ही इलाके में शोक की लहर दौड़ गई और लोगों की भीड़ कोरोना संक्रमण का खौफ भूलकर उनके अंतिम दर्शन के लिए उमड़ पड़ी।
कानपुर के बिठूर में स्थित बंदी माता घाट पर बुधवार दोपहर बाबा शोभन सरकार के पार्थिव शरीर को गंगा में प्रवाहित किया गया। इस दौरान वहां पर बाबा के हजारों भक्त मौजूद रहे। हालांकि इस दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं किया गया। पुलिस ने लोगों को रोकने का काफी प्रयास किया लेकिन वह नहीं माने और सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ाते हुए बाबा शोभन सरकार की अंतिम यात्रा में शामिल हुए।
इससे पहले शिवली रोड पर ब्रह्मलीन महंत की अंतिम यात्रा में पीछे चल रहे वाहनों को चौबेपुर में पुलिस ने रोका। भीड़ रोकने के लिए पुलिस को बल का प्रयोग करना पड़ा। शोभन सरकार के शव को बिठूर स्थिति बन्दी माता घाट पर अंतिम दर्शन के लिए रखा गया था। वहां पर भी लोग पहुंचे लेकिन किसी ने सोशल डिस्टेंसिंग को फॉलो नहीं किया।

बाबा शोभन सरकार की जीवनी
महंत विरक्ता नन्द (शोभन सरकार) का जन्म कानपुर देहात के शिवली में हुआ था। उनके पिता का नाम पंडित कैलाशनाथ तिवारी था। कहते हैं कि शोभन सरकार को 11 साल की उम्र में वैराग्य प्राप्त हो गया था। शोभन सरकार ने गांव के लोगों के लिए कई तरह के जनहित के काम किए हैं। यही वजह है कि गांव वाले भी उन्हें अब भगवान की तरह मानने लगे हैं। कानपुर ही नहीं आसपास के कई जिलों तक में उनके भक्त हैं।

बाबा शोभन सरकार ने कानपुर के मंधना स्थित बीपीएमजी इंटर कालेज में हाईस्कूल तक पढ़ाई की। इसके बाद अचानकर गृहस्थ जीवन त्यागकर गुरु स्वामी सत्संगानंद जी की शरण में पहुंच गए। गुरु से आठ वर्ष तक दीक्षा लेने के बाद उन्होंने कानपुर देहात के शिवली में शोभन आश्रम का निर्माण कराया।

1000 टन सोने के खजाने की भविष्यवाणी की थी
शोभन सरकार ने वर्ष 2013 में उन्नाव के डौंडियाखेड़ा गांव में राजा राव रामवख्श के खंडहर हो चुके महल में सोने का भंडार होने का सपना देखा। उन्होंने प्रदेश सरकार को जानकारी दी थी इस महल के भूगर्भ में हजारों टन सोना दबा है। इसके बाद एएसआइ ने 18 अक्टूबर को राजा राव रामबख्श के खंडहर महल में खुदाई शुरू कराई। जियोलॉजिकल ऑफ इंडिया ने एएसआई को 29 अक्टूबर को रिपोर्ट दी थी, जिसमें उसने कहा था कि महल के नीचे सोना, चांदी या अन्य धातु दबी हो सकती है। करीब एक महीने तक चली खुदाई का काम काम 19 नवंबर 2013 को पूरा हुआ। इस काम में प्रदेश सरकार के 2.78 लाख रुपये खर्च हो गए लेकिन सोना का भंडार न मिलने पर खुदाई को रोक दिया गया।
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