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लॉकडाउन का इस्तेमाल कुछ यूं कर रहे हैं पियक्कड़

एक ओर लॉकडाउन (lockdown in india) के बीच शराब (alcoholics in lockdown) ना मिलने से 29 लोगों ने सुसाइड कर दिया, दूसरी ओर कुछ लोग लॉकडाउन को मौके की तरह देख रहे हैं। वह इस मौके को भुनाते हुए नशा मुक्ति केंद्रों और ऑनलाइन ग्रुप ज्वाइन कर रहे हैं।
गाजीपुर न्यूज़ टीम, वैसे तो शराब पीने वाले अधिकतर लोग लॉकडाउन (lockdown in india) से काफी परेशान हैं। वह हर दिन यही दुआ मांगते हैं कि ठेकों को छूट मिल जाएं। नवभारत टाइम्स के खबर के अनुशार कई लोग ऐसे हैं, जो इस लॉकडाउन को अपनी शराब (alcoholics in lockdown) की लत छुड़वाने के तरीके की तरह देख रहे हैं। वह लत छुड़वाने वाले ग्रुप में शामिल हो रहे हैं। ऐसा ही एक ग्रुप है एल्कोहलिक्स एनोनिमस इंडिया (Alcoholics Anonymous India), जिस पर रोज ऐसे लोगों के फोन आ रहे हैं, जो अपनी शराब की लत छोड़ना चाहते हैं। यह ग्रुप वाट्सऐप ग्रुप भी चला रहा है और टेलेकॉन्फ्रेंसिंग का भी सहारा ले रहा है।

सुरिंदर की कहानी मोटिवेट करने वाली
चंडीगढ़ के सुरिंदर सिंह 2015 में लत छुड़ाने वाले सेंटर से भाग गए थे, ये उनके लिए दूसरे मौके जैसा है। उन्होंने ग्रुप में अपना अनुभव शेयर करते हुए कहा- 'पिछले दो महीनों ने मेरी जिंदगी बदल दी। जब मेरा स्टॉक खत्म हो गया तो मैंने दोस्तों और रिश्तेदारों से शराब मांगना शुरू किया, लेकिन जब वहां भी शराब खत्म हो गई तो मुझे समझ आया कि मुझे शराब की कितनी बुरी लत लग चुकी है। मैं एक सामान्य इंसान की तरह बर्ताव तक नहीं कर पा रहा था, तो मैंने इस ग्रुप में शामिल होने का फैसला किया।'

रवीश की कहानी भी सुरिंदर जैसी ही
बैंकर रवीश गुप्ता की कहानी भी सुरिंदर जैसी ही है, जो बताते हैं- 'सालों से मैं रोज शराब पी रहा था। अप्रैल में मेरे पास शराब का स्टॉक खत्म हो गया और मुझे तमाम दिक्कतें होने लगीं। एक साइकोलॉजिस्ट ने बताया कि मुझे एक बड़ा कदम उठाना होगा। मैं भी फिर से अपने बीबी-बच्चों के करीब जाना चाहता था, इसलिए मैंने फैसला किया कि मैं ये लत छोड़ दूंगा। अभी 20 दिन से मैंने शराब की एक बूंद तक नहीं पी है।'

लॉकडाउन नशा छोड़ने का मौका
इस ग्रुप के वरिष्ठ सदस्य आलोक कुमार गर्ग कहते हैं पिछले हफ्ते में जिन लोगों ने भी ग्रुप ज्वाइन किया है वह अपनी परेशानी को पलटने की कोशिश कर रहे हैं। उन्हें शराब नहीं मिल रही है, इसलिए वह इसे एक ऐसे मौके के तौर पर देख रहे हैं, जिसके चलते वह नशा छोड़ सकते हैं।

नशा मुक्ति केंद्रों में आने वाले फोन भी तेजी से बढ़े हैं। देहरादून में नशा मुक्ति केंद्र के कोऑर्डिनेटर नवीन किरन कहते हैं कि उन्हें रोज 15 से अधिक फोन आ रहे हैं, लेकिन लॉकडाउन की वजह से वह सिर्फ ऑनलाइन काउंसलिंग कर पा रहे हैं।

नहीं मिली शराब तो 29 लोगों ने किया सुसाइड
फेसबुक-वाट्सऐप पर तो ऐसे मुफ्त के ग्रुप में बहुत सारे लोग शामिल हो गए हैं, जो नशा मुक्ति के तरीके जानने के इच्छुक हैं। एक ओर शराब ना मिलने पर कुछ लोग उसे मात देने पर उतर आए, उसे एक मौके की तरह लिया, जबकि कुछ ने शराब ना मिलने पर अपनी जान दे देना उचित समझा। कुल 29 लोगों ने आत्महत्या कर ली, जिसमें 10 केरल के, 7 तमिलनाडु के, 6 तेलंगाना के, 4 कर्नाटक के और बाकी अन्य राज्यों के थे।
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