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69000 शिक्षक भर्ती: कोर्ट के फैसले पर बोले CM योगी आदित्यनाथ और शिक्षामंत्री

गाजीपुर न्यूज़ टीम, यूपी में 69 हजार सहायक शिक्षक भर्ती मामले में बुधवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने फैसला सुनाया। कोर्ट ने सरकार द्वारा तय किए गए मानकों पर ही मुहर लगाई।। कोर्ट ने प्रदेश सरकार को आदेश दिया है कि तीन महीने के अंदर भर्ती प्रक्रिया पूरी कर ली जाए। कोर्ट ने कटऑफ अंक बढ़ाने के सरकार के फैसले को सही बताया है। 

कोर्ट का फैसला आने के बाद यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रदेश के बेसिक शिक्षा, राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डाॅ सतीश द्विवेदी ने प्रतिक्रिया दी। मुख्यमंत्री ने कोर्ट के इस फैसले का स्वागत किया है। प्रदेश के अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश अवस्थी ने कोरोना वायरस पर अपडेट देने के लिए बुलाई पत्रकार वार्ता में बताया कि मुख्यमंत्री ने शिक्षक भर्ती मामले पर कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है। वहीं बेसिक शिक्षा मंत्री ने ट्वीट कर कहा है कि बेसिक शिक्षा के 69,000 शिक्षकों की भर्ती के मामले में मा.उच्च न्यायालय के निर्णय का स्वागत करते हुए सभी सफल अभ्यर्थियों को शुभकामनाएं। इस निर्णय से जहाँ एक ओर स्कूलों को शिक्षक मिलेंगे तथा शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ेगी वहीं दूसरी ओर प्रदेश के 69000 नौजवानों को रोजगार भी प्राप्त होगा।


बेसिक शिक्षा के 69,000 शिक्षकों की भर्ती के मामले में मा.उच्च न्यायालय के निर्णय का स्वागत करते हुए सभी सफल अभ्यर्थियों को शुभकामनाएं। इस निर्णय से जहाँ एक ओर स्कूलों को शिक्षक मिलेंगे तथा शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ेगी वहीं दूसरी ओर प्रदेश के 69000 नौजवानों को रोजगार भी प्राप्त होगा।


ये है पूरा मामला :
न्यायमूर्ति पंकज कुमार जायसवाल और न्यायमूर्ति करुणेश सिंह पवार की खंडपीठ ने सरकार द्वारा तय किए गए मानकों पर मुहर लगाई। कोर्ट ने सरकार द्वारा तय किये गये मानको 90/97 पर मुहर लगाते हुए तीन माह के भीतर भर्ती प्रक्रिया पूरी करने का आदेश दिया। इस आदेश के तहत सामान्य वर्ग के अभ्यर्थी 65 फीसद और अन्य आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी 60 फीसद अंक पाकर उत्तीर्ण होंगे। राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता राघुवेन्द सिंह तथा अपर मुख्य स्थाई अधिवक्ता रण विजय सिंह ने याचिका दायर की थी। सरकार ने अपील को स्वीकार कर लिया था। राज्य सरकार 60 व 65 प्रतिशत कट ऑफ को उच्च न्यायालय ने सही ठहराया है। बता दें कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनउ खंडपीट ने लंबी सुनवाई के बाद तीन मार्च 2020 को फैसला सुरक्षित कर लिया था। यह अहम भर्ती कटऑफ अंक विवाद के कारण करीब डेढ़ वर्ष से अधर में फंसी थी।

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