लॉकडाउन का उल्लंघन कर रहे हैं तो जान लें पहले कानून, ताउम्र रहना पड़ सकता है जेल में
गाजीपुर न्यूज़ टीम, कोरोना वायरस संक्रमण को लेकर हालात दिन पर दिन बिगड़ते जा रहे हैं। शहर में दुकान पर खरीदारी प्रतिबंधित कर होम डिलीवरी शुरू की गई, इसके बावजूद लोग मानने को तैयार नहीं हैं। बेवजह घरों से निकल रहे हैं। वहीं कई स्थानों पर दुकानें खुल रही हैं। ङ्क्षजदगी महफूज रखने के लिए ऐसे लोगों के खिलाफ रोजाना मुकदमे दर्ज हो रहे हैं, लेकिन शायद उन्हें इन मुकदमों की गंभीरता का अंदाजा नहीं है। आइए हम आपको बताते हैं कि पुलिस किन-किन धाराओं में मुकदमा दर्ज कर रही है। सजा की बात करें तो महामारी के दौरान पुलिस को असीमित अधिकार प्राप्त हैं और दोषी मिलने पर उम्रकैद तक सजा हो सकती है।
सीआरपीसी की धारा-144
धारा-144 का मकसद कई लोगों को एक जगह एकत्र होने से रोकना है। सरकार यह धारा तब लागू करती है, जब लोगों के एकत्र होने से कोई खतरा हो। यह धारा शांति कायम करने या आपात स्थिति से बचने के लिए तब लगाई जाती है, जहां सुरक्षा, स्वास्थ्य संबंधी खतरा या दंगे की आशंका हो। इस धारा के तहत पांच या उससे अधिक लोग एक साथ जमा नहीं हो सकते हैं। यह जमानती अपराध है। धारा 144 के उल्लंघन का दोषी पाए जाने पर मोटी रकम के निजी मुचलके पर पाबंद किया जा सकता है। धारा 151 के तहत शांतिभंग में चालान भी किया जा सकता है। इसमें अधिकतम तीन साल जेल की सजा हो सकती है।
2/3 महामारी अधिनियम 1897
बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष सुरेश ङ्क्षसह चौहान के मुताबिक यह अधिनियम सरकार को असीमित अधिकार देता है। अधिनियम के अनुसार प्रशासन से जारी आदेश की अवज्ञा करने पर धारा 188 के तहत मुकदमा दर्ज होता है। इसमें एक माह के साधारण कारावास या 200 रुपये तक जुर्माना या दोनों हो सकते हैं। ये अवज्ञा मानव जीवन, स्वास्थ्य, सुरक्षा के लिए खतरा या दंगे का कारण बनती है, तब सजा छह महीने के कारावास या 1000 रुपये जुर्माना या दोनों हो सकती है। जान बूझकर लोगों में संक्रमण फैलाने की स्थिति में पुलिस इस नियम के तहत मिले असीमित अधिकारों का प्रयोग कर आरोपित के खिलाफ धारा 307 यानी हत्या के प्रयास का भी मुकदमा दर्ज कर सकती है। इसमें उम्रकैद तक का प्रावधान है।
56 आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आदेश दिया है कि लॉक डाउन के नियम तोडऩे वालों के खिलाफ आपदा प्रबंधन एक्ट 2005 के तहत कार्रवाई की जाए। आपदा प्रबंधन एक्ट की धारा 2 (डी) में आपदा का अर्थ किसी क्षेत्र में प्राकृतिक या मानवजनित कारण या उपेक्षा से पनपने वाली महाविपत्ति है। कोरोना वायरस को महामारी वर्ग में शामिल करते हुए इस धारा का प्रयोग किया जा रहा है। इस एक्ट में आपदा से निपटने के लिए 10 प्रमुख धाराएं (धारा 51 से 57 तक) हैं।
यह हैं धाराएं
धारा 51 : बाधा डालना
सरकारी कर्मचारी को आपदा के दौरान उसके कर्तव्य पूरा करने से रोकना, बाधा डालना। सरकार के निर्देशों को मानने से इन्कार करना।
सजा : एक साल की कैद या जुर्माना या फिर दोनों लेकिन, उस व्यक्ति के कारण किसी को क्षति पहुंचती है तो ये सजा दो साल की कैद में बदल सकती है।
धारा 52 व धारा 53 : मिथक फैलाना, झूठे दावे और धन या सामग्री का दुरुपयोग
पीडि़तों या किसी निश्चित वर्ग के लिए दी जाने वाली राहत सामग्री, सहायता या अन्य फायदे लेने के लिए गलत दावे करना।
सजा: दो साल तक की जेल या जुर्माना या फिर दोनों
धारा 54 : गलत तथ्य से भय दिखाना
आपदा की स्थिति में कोई झूठी खबर फैलाना, जिससे लोगों में घबराहट या भय का माहौल पैदा हो।
सजा: एक साल तक जेल, जुर्माना या दोनों
धारा 55 : सरकारी विभागों द्वारा होने वाले अपराधों से संबंधित
धारा 56: कर्तव्य पूरा न करना
अगर कोई सरकारी अधिकारी, कर्मचारी लॉक डाउन के दौरान सरकार द्वारा दिए गए निर्देशों, कर्तव्यों का पालन नहीं करता है, तो इन धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज होगा।
सजा: एक साल की जेल, जुर्माना या दोनों
धारा 57: आदेश का उल्लंघन
आपदा प्रबंधन एक्ट 2005 की धारा 65 के तहत प्रावधान है कि राष्ट्रीय, राज्य या जिला कार्यकारिणी समिति आपदा की स्थिति में जरूरत होने पर किसी वाहन, भवन या अन्य संसाधन की मांग जनता या किसी संस्थान से कर सकती है। इसे न मानने में संबंधित के खिलाफ मुकदमा दर्ज हो सकता है।
सजा: एक साल की कैद, जुर्माना या दोनों
धारा 269, 270 और 271 : शासन के निर्देशों की अवज्ञा करके संक्रमण बढ़ाने में मददगारों पर आइपीसी की धारा 271 के तहत मुकदमा दर्ज हो रहा है। इसमें तीन साल की सजा या जुर्माना या फिर दोनों हो सकते हैं। अगर कोई संक्रमण फैलाने का कारण बन रहा है तो धारा 269 व 270 में दो-दो साल तक सजा या जुर्माना या दोनों का प्रावधान है।