टीचरों व क्लर्क की नियुक्ति अवैध करार, निरस्त भी- इलाहाबाद उच्च न्यायालय
गाजीपुर न्यूज़ टीम, प्रयागराज. इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एक निर्णय में कहा है कि जूनियर हाईस्कूल को उच्चीकृत होकर हाईस्कूल की मान्यता मिल जाती है तो वह जूनियर हाईस्कूल नहीं रह जाता। हाईस्कूल की वित्तीय व प्रशासनिक मान्यता मिलने के बाद उस विद्यालय पर यूपी इंटरमीडिएट एक्ट 1921 व यूपी सेकेंडरी एजूकेशन सर्विस बोर्ड एक्ट 1982 के कानून लागू हो जाते हैं। साथ ही जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी का उस विद्यालय से प्रशासनिक व नियुक्ति संबंधी अधिकार खत्म हो जाता है।
यह निर्णय जस्टिस सुधीर अग्रवाल व जस्टिस नीरज तिवारी की खंडपीठ ने बलिया के कमलेश की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है। कोवारन्टो की प्रार्थना के साथ दाखिल याचिका में जंगली बाबा उच्चतर माध्यमिक विद्यामंदिर, कठौरा बलिया में सहायक अध्यापकों प्रेमशंकर राय व सुनील कुमार तिवारी और क्लर्क राजेश कुमार प्रजापति की नियुक्तियों को चुनौती दी गई थी। कहा गया था कि इनकी नियुक्ति का अनुमोदन 14 मई 2015 को जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ने किया। उस समय यह विद्यालय जूनियर हाईस्कूल से अपग्रेड होकर हाईस्कूल हो गया था। हाईस्कूल हो जाने के बाद जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी का ऐसे उच्चीकृत विद्यालय से प्रशासनिक व नियुक्ति संबंधी अधिकार समाप्त हो जाता है ।
याचिका का विरोध करते हुए कहा गया कि याची को याचिका दायर करने का कोई अधिकार नहीं है। भले ही कोई विद्यालय अपग्रेड होकर हाईस्कूल स्तर पर मान्यता प्राप्त कर ले, लेकिन जूनियर विद्यालय अपना अस्तित्व नहीं खोता और जूनियर स्तर पर नियुक्ति संबंधी अधिकार बेसिक शिक्षा अधिकारी का रहता है।
खंडपीठ ने विपक्षी की दलीलों को खारिज करते हुए कहा कि जैसे ही विद्यालय जूनियर हाईस्कूल से अपग्रेड होकर हाईस्कूल स्तर पर मान्यता प्राप्त करता है, उसका जूनियर हाईस्कूल का अस्तित्व समाप्त हो जाता है। वह विद्यालय पूर्ण रूप से माध्यमिक शिक्षा संस्थान हो जाता है। उस पर 1921 व 1982 एक्ट के प्रावधान लागू हो जाते हैं। ऐसी स्थिति में जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी का ऐसे विद्यालय से प्रशासनिक व नियुक्ति संबंधी अधिकार समाप्त हो जाता है। इसी के साथ खंडपीठ ने दोनों सहायक अध्यापकों व क्लर्क की नियुक्ति को अवैध घोषित कर रद्द दिया और याचिका स्वीकार कर ली।