Today Breaking News

लॉक डाउन : जो काम जनप्रतिधियों को करना चाहिए, वह कर रहे समाजसेवी

लाकडाउन के बाद शहर की मलिन बस्ती में बच्चों को खाने का पैकेट देते समाजसेवी सिद्धार्थ राय
गाजीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर लॉकडाउन में साधन संपन्न लोगों को तो किसी प्रकार की दिक्कत नहीं हो रही है, लेकिन गरीबों के लिए यह निराशाजनक है। इसके बाद भी वह पीएम के आदेश का पालन करते हुए घरों से बाहर नहीं निकल रहे हैं। ऐसे गरीब लोगों का पेट भरने की पहल जनप्रतिनिधियों को करनी चहिए, लेकिन यह काम सिर्फ समाजसेवी और पुलिस करती हुई नजर आ रही है। इनके ही रहमो-करम से गरीबों का पेट भर रहा है। लॉकडाउन के दौरान जनप्रतिनिधियों का सड़क पर न दिखने की लोगों में चर्चा हो रही है। बीते 25 मार्च से लॉकडाउन की शुरुआत होते ही खासकर रोज कमाने और खाने वालों के माथे पर चिंता की लकीरे खिंच गई थी।
अरसदपुर गांव के मुसहर बस्ती में लोगों को खाने का पैकेट बांटते विवेकानंद पांडेय

वह इस सोच में पड़ गए थे, जब कमाई ही नहीं होगी तो घर का चूल्हा कैसे जलेगा और उनका पेट कैसे भरेगा। ऐसे लोगों के मन में यह आस थी कि उनके जनप्रतिनिधि उनके दरवाजे तक पहुंचकर उनकी मदद करते हुए पेट भरने का कार्य करेंगे, लेकिन उनकी यह सोच गलत निकली। शायद कोरोना जैसी खतरनाक बीमारी के भय से जनप्रतिनिधि भी लाकडाउन का पूरी तरह से पालन करते हुए घरों से नहीं निकल रहे हैं, लेकिन समाजसेवी और पुलिस कर्मी इस बीमारी से सतर्कता बरतते हुए मास्क लगाकर दलित, मलिन बस्तियों के साथ ही गरीबों के दरवाजे पर जाकर उनमें खाना के पैकेट के साथ ही खाद्य सामग्री का वितरण कर रहे हैं और लोगों को इस बात का पक्का भरोसा दिला रहे हैं कि किसी को भूखा नहीं रहने दिया जाएगा।
कासिमाबाद में गरीबों को खाद्य सामग्री देते समाजसेवी शिवशंकर यादव

लॉकडाउन का पालन करते हुए घरों से मत निकलिए। इस दौरान खाद्य सामग्री पाने वाले कई लोगों के मुंह से यह बात निकल जा रही है कि हम लोग तो सोच रहे थे कि लाकडाउन के दौरान नेता जी लोग हम लोगों का पेट भरने की पहल करेंगे, लेकिन उन लोगों का तो पता नहीं चल रहा है। लोगों में चर्चा है कि जो काम जनप्रतिधियों को करना चाहिए, वह समाजसेवी और पुलिस कर रही है। दूर-दूर तक जनप्रतिनिधियों का अता-पता नहीं है।


'